जब भी स्वप्न कोई टूटा
पलकों को सहला दिया
शूल चुभा कोई दामन में
होठों से दर्द चुरा लिया
जब छलका आँखों से आँसू
एक मीठी लोरी सुना दिया
जब भी थका सामर्थ्य मेरा
उम्मीद किरण दिखला दिया
राह सूनी जब घुप्प अँधेरा
पथ में दीपक जला दिया
जब-जब जग ने ताने मारे
आँचल में तुमने छुपा लिया
पल-पल मुझे सँवारा तुमने
हो गई खुद की जर्जर काया
मेरा व्यक्तित्व निखारा तुमने
खुद का वज़ूद मिटा दिया
तू ज्ञान है तू ही प्रेरणा
तुमने ही जीवन दिया
धरती पर "माँ" तेरे रुप ने
ईश्वर दर्शन करा दिया