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बुधवार, 1 जनवरी 2020

"नववर्ष का शुभारम्भ "-एक विनम्र प्रार्थना के संग 



एक विनम्र प्रार्थना सर्वशक्तिमान परमात्मा से 
          

   परमात्मा से प्रार्थना तो हम रोज ही करते हैं ,परन्तु उस प्रार्थना में हम ईश्वर से कुछ ना कुछ माँगते ही रहते हैं ,सुख -समृद्धि ,यश -कृति ,संतान-परिवार ,खुशियाँ-स्वस्थ और भी बहुत कुछ । लेना या माँगना ही हमारी प्रवृति हैं ,कभी कुछ देने की चाह ही नहीं होती। ये सच हैं कि - माँगना ही हमारी प्रवृति हैं और ईश्वर से नहीं माँगेगें तो और किससे माँगेगें । परन्तु माँगने के साथ साथ देने की प्रवृति भी होनी ही चाहिए न । 
तो चलें ,इस नववर्ष में ईश्वर से कुछ नया माँगते हैं और साथ ही साथ प्रभु से कुछ वादें भी करतें हैं -" अज्ञानतावश  अपने तन-मन ,देश-समाज ,प्रकृति और पर्यावरण का हमनें  जो भी नुकसान किया हैं उसका ईश्वर से क्षमा माँगते हुए ,उन्होंने हमें जो कुछ भी दिया हैं उसका धन्यवाद कर ,हम उनसे कुछ वादें करतें हैं। हे प्रभु ,आपने हमें ये जो मानव तन दिया हैं उसके लिए आपको कोटि कोटि धन्यवाद ,आपकी दी हुई इस मानव तन की रक्षा करना ,इसे स्वस्थ रखना हमारा पहला कर्तव्य हैं। साथ ही साथ आपकी इस अनमोल सृष्टि और सृष्टि से जुड़े प्रत्येक जीवधारी का संरक्षण भी हमारा ही कर्तव्य हैं। इस समाज ,सभ्यता और देश के प्रति भी हम अपने कर्तव्य के लिए सजग हैं। हे प्रभु ,हमें वो शक्ति दे कि हम अपने वादें को निभा सकें और अपने कर्तव्य पथ पर डटें रहें ......."

वह शक्ति हमें दो दयानिधि कर्तव्य मार्ग पर डट जाएँ  
पर सेवा पर उपकार में हम ,निज जीवन सफल बना जाएँ 
वह शक्ति....... 

हम दिन दुखी निर्बलों -विकलों ,के सेवक बन संताप हरे 
जो हो भूले भटकें -बिछुड़े ,  उनको तारे  खुद तर जाएँ 
वह शक्ति ......

छल द्वेष- दंभ ,पाखंड -झूठ ,अन्याय से निस दिन दूर रहें 
जीवन हो शुद्ध सरल अपना ,सूचि प्रेम सुधा रस बरसाए 
वह शक्ति .......

निज आन -मान मर्यादा का ,प्रभु ध्यान रहें  अभिमान रहें 
जिस देवभूमि पर जन्म लिया बलिदान उसी पर हो जाएँ 
वह शक्ति 

वह शक्ति हमें दो दयानिधि कर्तव्य मार्ग पर डट जाएँ  
पर सेवा पर उपकार में हम ,निज जीवन सफल बना जाएँ 

हम इस धरा पर फिर से सुख ,शांति और समृद्धि ला सकें, इस नए संकल्प के साथ हम इस नववर्ष का स्वागत करते हैं। आप सभी को भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ,नववर्ष मंगलमय हो। 

मंगलवार, 16 जुलाई 2019

गुरु वंदना

गुरुपर्व के पावन अवसर पर " गायत्री परिवार "द्वारा रचित एक हृदयस्पर्शी गुरु वंदना आप सब के साथ साझा कर रही हूँ जो मेरे पापा को अत्यंत प्रिये था और वो इसे हर वक़्त गुनगुनाया करते रहते थे और कहते थे इससे मुझे गुरु की शक्ति मिलती हैं। 

गुरु वो हाथ है जो मुश्किल घडी में भी हमें थामे रखता है 



गुरुवर  तुम्ही बता दो,किसके शरण में जायें     
किसके चरण में गिरकर ,मन की व्यथा सुनायें  
गुरुवर तुम्ही बता दो-----

 अज्ञान के तिमिर ने चारो तरफ से घेरा
क्या रात है प्रलय की ,होगा नहीं सवेरा 
क्या होगा नहीं सवेरा ---
पथ और प्रकाश दो तो ,चलने की शक्ति पायें  
गुरुवर तुम्ही बता दो -------

जीवन के देवता का ,करते रहे निरादर 
कैसे करे समर्पित ,जीवन की जीर्ण चादर  
जीवन की जीर्ण चादर -----
यह पाप की गठरियाँ ,क्या खोलकर दिखायें  
गुरुवर तुम्ही बता दो-----

माना कपूत है हम, क्या रुष्ट रह सकोगें  
मुस्कान ,प्यार, अमृत ,क्या दे नहीं सकोगें  
क्या दे नहीं सकोगें-------
दाता तुम्हारे दर से ,जायें तो कहाँ जायें  
गुरुवर तुम्ही बता दो -------
दाता तुम्ही बता दो --------


सच,है गुरु बिन ज्ञान नहीं होता और आज के युग में गुरु का ही आभाव है। 
मेरा मानना है कि - गुरु सिर्फ वही नहीं है जो संत-महात्मा ही हो 
यदि एक बच्चा भी आपको कोई ज्ञान दे जाता है तो उस पल वही आप का गुरु है 
गुरु अर्थात ज्ञान---
गुरुपर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ,आप सब पर गुरु की कृपा बनी रहें .... 






"हमारी जागरूकता ही प्राकृतिक त्रासदी को रोक सकती है "

मानव सभ्यता के विकास में नदियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है तो उनकी वजह आने वाली बाढ़ भी हमारी नियति है। हज़ारों वर्षों से नदियों के पानी क...