"यूट्यूब" ज्ञान बाँटने की सबसे बड़ी पाठशाला। वही के ज्ञानी बाबा के मुख से मेरी बहन की लड़की ने एक कहानी सुन ली। (जो अभी 18 साल की है ) उसने वो कहानी मुझें सुनाई और मुझसे अपने कुछ सवालों के जबाब मांगने लगी। उस कहानी को सुन मैं थोड़ी confuse हो गई। आजकल के बच्चें हमारी तरह तो है नहीं। हमें तो बड़े जो समझा देते थे बिना तर्क-वितर्क के मान लेते थे। आज के पीढ़ी के पास तो ज्ञान बाँटने का महासागर पड़ा है अब वो ज्ञान कितना सही है या गलत उसे भी वो उसी जगह खोजते हैं।
कहानी कुछ इस तरह है- एक कर्मानन्द थे एक भाग्यनंद,दोनों ही अपने आपको बड़ा मानते थे। जब वो खुद इस बात का फैसला नहीं कर सकें तो पहुचें ज्ञानिनंद के पास कि -"आप इसका फैसला कीजिये। ज्ञानिनंद ने कहा कि "मैं तुम दोनों को आज रात एक अँधेरे कोठरी में बंद रखूंगा और सुबह तुम दोनों का फैसला सुनाऊँगा। दोनों राजी हो गए और अँधेरी कोठरी में बंद हो गए। रात को उन्हें बहुत जोर की भूख लगी क्योंकि ज्ञानिनंद ने उन्हें कुछ खाने को दिया नहीं था। कर्मानन्द जी अपने कर्म में लग गए,अँधेरे में ही कोठरी में खाने की कुछ चीज तलाशने लगे। ढूंढते-ढूंढते उन्हें एक मटका मिला टटोला तो उन्हें समझ आया कि -इसमें कुछ भुने चने है, वो उसे मजे से खाने लगे। उधर भाग्यनंद भगवत भजन कर रहे थे और इस उम्मींद में थे कि-भगवान उनके लिए कुछ जरूर करेंगे। कर्मानन्द चने खा रहा था तो बीच-बीच में कुछ कंकड़ आ जाता वो उसे निकल कर भाग्यनंद की तरफ फेंक देता। भाग्यनंद पहले तो झल्लाया फिर उन कंकड़ों को ये कहते हुए इकठ्ठा करने लगा कि-शायद ईश्वर ने उसके भाग्य में आज यही दिया है। खैर, सुबह हुई ज्ञानिन्द आये तो कर्मानन्द ने खुश होते हुए रात का अपना करनामा कह सुनाया। ज्ञानिनंद ने भाग्यनंद से पूछा "तुमने क्या किया " तो वो बोला मैंने ये मान लिया कि-भगवान ने मेरे भाग्य में भूखा रहना ही लिखा था और मैं कर्मानन्द के फेंके पथ्थरों को चुन-चुनकर अपने अगौछे में बांधता रहा। ये कहते हुए उसने अपने अंगोछे की गांठ खोली तो उसकी आँखे चौंधिया गई वो जिसे पथ्थर समझकर इकठ्ठा कर रहा था वो तो सारे हीरे निकलें। कहानी को ख़त्म करते हुए यूट्यूब के ज्ञानी बाबा ने कहा कि-अब आप खुद ही समझ ले "कर्म और भाग्य में अंतर " (मुझे यहाँ ये बताने की आवश्यकता नहीं कि-वो बाबा जी एक ज्योतिषाचार्य थे।)
अब मेरी बेटी का सवाल ये था कि -"जब भगवान ही हमे सब कुछ दे देंगे तो हम बे वजह इतनी मेहनत क्यों करते हैं।" मैंने कहा -बेटा हमने तो अपने गुरुजनों से यही सीखा और समझा है कि " आपका कर्म ही आपका भाग्य निर्धारित करता है,भगवन भी उसी को देते हैं जो कर्म करता है,बैठे-बिठाये सिर्फ भजन करने से तो कुछ नहीं मिलता "
उसने कहा- लेकिन आज के सन्दर्भ में तो बाबा जी की कही बात ही सही दिखाई दे रही है। क्योंकि आज बिना किसी काबिलियत के अकर्मक लोग गुलझरे उड़ा रहे है और काबिल तथा कर्मठ लोगों की कोई कद्र ही नहीं है। अब इंस्ट्राग्राम और यूट्यूब पर ही देख लो क्या हालत है।
मैंने कहा-लगता है ये कहावत सच हो रही है कि "रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा युग आएगा,हँस चुनेगा दाना-तिनका और कौआ मोती खायेगा "
ये कहते हुए मैंने अपनी बेटी से मुँह छुपा लिया और क्या कहती आज के हालत को देखते हुए।
आप क्या कहते हैं ?????