माँ तेरे चरणों में
हम शीश झुकाते हैं
श्रद्धा पूरित होकर
दो अश्रु चढ़ाते हैं॥
झंकार करो ऐसी
सदभव उभर आये
हे माँ ,हे माँ
हुंकार भरो ऐसी
दुर्भाव उखड़ जायें॥
सन्मार्ग न छोड़ेगें
हम शपथ उठाते हैं॥
माँ तेरे चरणों में.....
यदि स्वार्थ हेतु माँगे
दुत्कार भले देना।
हे माँ ,हे माँ
जनहित हम याचक हैं
सुविचार हमें देना॥
सब राह चलें तेरी
तेरे जो कहाते हैं॥
माँ तेरे चरणों में.....
वह हास हमें दो माँ
सारा जग मुस्काये।
हे माँ ,हे माँ
जीवन भर ज्योति जले
पर स्नेह न चुक पाये॥
अभिमान न हो उसका
जो कुछ कर पाते हैं॥
माँ तेरे चरणों में.....
विश्वास करो हे! माँ
हम पूत तुम्हारे हैं।
हे माँ ,हे माँ
बलिदान क्षेत्र के माँ
हम दूत तुम्हारे हैं॥
कुछ त्याग नहीं अपना
बस कर्ज चुकाते हैं॥
माँ तेरे चरणों में
हम शीश झुकाते हैं।
श्रद्धा पूरित होकर
दो अश्रु चढ़ाते हैं॥
माता के चरणों में आओ, हम सब शीश झुकायें।
हीन, तुच्छ, संकीर्ण वृत्ति को, हम सब दूर भगायें।।
लोभ, मोह,अभिमान भाव को,आओ दूर करें हम।
हैं सपूत माता को हम सब, यह विश्वास दिलायें।।