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गुरुवार, 7 जनवरी 2021

दोष किसका ???

    









नमस्ते आंटी जी, कैसी है आप - शर्मा आंटी  को देखते ही मैंने हाथ जोड़ते हुए पूछा। 

    खुश रहो बेटा....तुम कैसी हो...कब आई दिल्ली....बिटिया कैसी है....कितने दिनों के लिए आई हो....शर्मा आंटी अपनी चिरपरचित अंदाज़ में सवालों की झड़ी लगा दी। अरे, ये मुआ कोरोना जो ना कराये.....जरूर बिटिया का काम  छूट गया होगा तभी आयी हो न.... इस कोरोना के कारण तो घर से निकलना ही नहीं हो रहा....आज कितने दिनों बाद निकली हूँ घर से ......ना निकलती तो पता ही नहीं चलता की तुम आ गई हो - वो बोले जा रही थी। 

     अरे आंटी, सांस तो ले लो-  मैंने हँसते हुए कहा। मेरे इतना कहते ही वो भी हँसने लगी। मैंने कहा -आंटी मेरी छोडो अपनी सुनाओं कैसे हैं सब....आपकी बहु कैसी है....अब तो बहु के हाथ का खा रही है इसीलिए वजन बहुत बढ़ गया है आपका....शादी हुए तो एक साल से ज्यादा हो गया जरूर घर में नन्हा-मुन्ना भी आ ही गया होगा...कब खिला रही है मिठाई - मैंने भी उन्ही के जैसे एक पर एक सवाल रख दिए।  जैसे-जैसे मैं आंटी से सवाल किए जा रही थी वैसे-वैसे आंटी के मुँह का ज्योग्राफिया बदलता जा रहा था। मैं मन ही मन सोच रही थी -इन्हे क्या हुआ इनका मुँह तो कड़वे करेले जैसा बनता जा रहा। 

   मेरे सवालों से आंटी के सब्र का बांध जैसे टूट गया अचानक से झिड़कती हुई बोली -अरे मेरे आगे उस कलमुही का नाम ना ले, खून जलने लगता है मेरा...मर गई वो। हे भगवान ! कब मर गई...कैसे मर गई - मुझे तो शॉक सा लग गया, मैं एक साल बाद दिल्ली आई थी मुझे तो ये पता ही नहीं था। वो उतने ही गुस्से में बोली- अरे, मेरे वास्ते मर गई....वो तो शादी के एक महीने बाद ही मेरे बेटे को छोड़ कर चली गई....किसी दूसरे के साथ चक्कर था उसका......नाहक शादी में इतने पैसे खर्च कर दिए...हाथ ढेला ना आया। 

    आंटी तो गुस्से में बड़बड़ाती हुई निकल गई, उनकी दुखती रग पर हाथ जो रख दिया था मैंने, मगर मैं उनकी बातें सुनकर सन्न रह गई। आंटी हमारे ही मुहल्ले में रहती है एक बेटा एक बेटी है अच्छा-खासा धूम-धाम से बेटे का व्याह की थी और बहु एक महीने में ही घर छोड़कर चली गई और तलाक का नोटिस भेज दी। आंटी की बेटी तो पहले से ही तलाकशुदा थी वो भी आंटी के घर में ही बैठी थी। आंटी तो चली गई मगर मेरे जेहन में कई सवाल छोड़ गई.... 

कमी किस में थी ?

दोष किसका था ?

क्यूँ घर बस काम रहे हैं, उजड़ ज्यादा रहे हैं ?

क्यूँ आखिर क्यूँ ?

"हमारी जागरूकता ही प्राकृतिक त्रासदी को रोक सकती है "

मानव सभ्यता के विकास में नदियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है तो उनकी वजह आने वाली बाढ़ भी हमारी नियति है। हज़ारों वर्षों से नदियों के पानी क...