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गुरुवार, 8 जुलाई 2021

"तो क्या हुआ---- "

 


खो गई मंजिल

 भटक  गया पथिक 

 तो क्या हुआ ----?

पहुँचने की लगन तो है। 

ढल गई शाम

 घिर गया तम 

तो क्या हुआ ----?

प्रभात आगमन की आस तो है। 

उड़ गए पखेरू 

रह गया पिंजरा रिक्त 

तो क्या हुआ ----?

आत्म-अमरता का विश्वास तो है। 

बिछड़ गए तुम

 टूट गया दिल 

तो क्या हुआ ----?

तुम्हारे  जीवित स्पर्श का एहसास तो है।  

झड़ गए पत्ते 

छा  गया मातम 

तो क्या हुआ ----?

बासंतिक वयारों का शोर तो है। 

सूख गया सागर 

बढ़ गई प्यास 

तो क्या हुआ ----?

प्रेम अश्रु का प्रवाह तो है। 

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