खो गई मंजिल
भटक गया पथिक
तो क्या हुआ ----?
पहुँचने की लगन तो है।
ढल गई शाम
घिर गया तम
तो क्या हुआ ----?
प्रभात आगमन की आस तो है।
उड़ गए पखेरू
रह गया पिंजरा रिक्त
तो क्या हुआ ----?
आत्म-अमरता का विश्वास तो है।
बिछड़ गए तुम
टूट गया दिल
तो क्या हुआ ----?
तुम्हारे जीवित स्पर्श का एहसास तो है।
झड़ गए पत्ते
छा गया मातम
तो क्या हुआ ----?
बासंतिक वयारों का शोर तो है।
सूख गया सागर
बढ़ गई प्यास
तो क्या हुआ ----?
प्रेम अश्रु का प्रवाह तो है।
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