क्यूँ ये मन उदास है ?
किसकी इसे तलाश है ?
सीने में हूक सी उठती है।
क्यूँ दर्द से दिल ये बेजार है ?
ना कुछ खोया,ना पाया है।
फिर किस बात का मलाल है ?
ना रूठी हूँ,ना मनाया है किसी ने।
क्यूँ कहते हैं,तुमसे बहुत प्यार है ?
ना कुछ भूली,ना ही याद है।
फिर क्यूँ उलझे से ये मन के तार है?
ना आया है,ना आएगा कोई।
फिर मुझे किसका इंतज़ार है ?
ना प्यार है,ना शिकवा-गिला।
फिर क्यूँ ये तकरार है ?
ना मरती हूँ,ना जिन्दा हूँ।
क्यूँ त्रिशंकु सा बना हाल है ?
और कितने इम्तहान लेगी ऐ ज़िंदगी !
आखिर तुझे मुझे से,
क्या दरकार है ?
ऐ मन ! तू ही बता
ना चाहती थी,ना चाहिए कुछ तो
फिर क्यूँ, इतने सवाल है ?