माँ तेरे चरणों में
हम शीश झुकाते हैं
श्रद्धा पूरित होकर
दो अश्रु चढ़ाते हैं॥
झंकार करो ऐसी
सदभव उभर आये
हे माँ ,हे माँ
हुंकार भरो ऐसी
दुर्भाव उखड़ जायें॥
सन्मार्ग न छोड़ेगें
हम शपथ उठाते हैं॥
माँ तेरे चरणों में.....
यदि स्वार्थ हेतु माँगे
दुत्कार भले देना।
हे माँ ,हे माँ
जनहित हम याचक हैं
सुविचार हमें देना॥
सब राह चलें तेरी
तेरे जो कहाते हैं॥
माँ तेरे चरणों में.....
वह हास हमें दो माँ
सारा जग मुस्काये।
हे माँ ,हे माँ
जीवन भर ज्योति जले
पर स्नेह न चुक पाये॥
अभिमान न हो उसका
जो कुछ कर पाते हैं॥
माँ तेरे चरणों में.....
विश्वास करो हे! माँ
हम पूत तुम्हारे हैं।
हे माँ ,हे माँ
बलिदान क्षेत्र के माँ
हम दूत तुम्हारे हैं॥
कुछ त्याग नहीं अपना
बस कर्ज चुकाते हैं॥
माँ तेरे चरणों में
हम शीश झुकाते हैं।
श्रद्धा पूरित होकर
दो अश्रु चढ़ाते हैं॥
माता के चरणों में आओ, हम सब शीश झुकायें।
हीन, तुच्छ, संकीर्ण वृत्ति को, हम सब दूर भगायें।।
लोभ, मोह,अभिमान भाव को,आओ दूर करें हम।
हैं सपूत माता को हम सब, यह विश्वास दिलायें।।
बहुत बहुत सुंदर, कामिनी जी मन भर गया कुछ याद आ गया..
जवाब देंहटाएंमर्म को छू लेने वाली प्रस्तुति।
हृदय तल से धन्यवाद कुसुम जी ,लगता हैं आप भी अपनी यादों से मन की गहराई से जुडी हैं ,ये प्रार्थना आप के दिल को छू गई तो यकीनन साझा करना सार्थक हुआ, सादर नमस्कार
हटाएंपहले वाली बात अब किसी त्योहार में ना रही। बस यादें ही रह गई हैं....
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद मीना जी ,आपने सही कहा अब सिर्फ यादें ही बची हैं त्योहारों की वो रौनक कहा रही ,सादर नमस्कार
हटाएंबचपन की बहुत सारी यादें झिलमिला गयी बहुत भावपूर्ण लिखा है आपने और प्रार्थना तो बस क्या कहें...नमन,सादर प्रणाम।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ कामिनी जी।
सहृदय धन्यवाद श्वेता जी ,लगता हैं मेरी और आप की यादें एक सी हैं ,बेहद ख़ुशी हुई कि ये जानकर कि ये प्रार्थना आप को भी बचपन की याद दिला गई ,सादर
हटाएंनमन। पूज्य पिता द्वारा प्रवाहित इस संस्कार-धारा को रुकने नहीं देना और आगे की पीढ़ियों में संचरित करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। माता रानी का आशीष बना रहे।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद विश्वमोहन जी ,मेरी लेख के मर्म को आपने सही समझा ,मुझे आत्मबल प्रदान करने वाली आप की इस प्रतिक्रिया से हार्दिक प्रसन्नता हुई ,आपने सही कहा उनके संस्कारों को सहेजे रखना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि हैं ,सादर नमस्कार आपको
हटाएंवाह नमन।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर,सादर नमस्कार
हटाएंबेहतरीन प्रस्तुति सखी।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सखी ,सादर स्नेह
हटाएंहृदय को छू गयी आपके बचपन की यादें देवी माँ की आरती .. अभिभूत हूँ पढ़ कर । अति उत्तम सृजन कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद मीना जी ,हां,मीना जी बचपन की यादे जाती ही नहीं हैं ,आप सब के दिल तक पंहुचा, सार्थक हुआ साझा करना
हटाएंविजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
प्रिय कामिनी , बहुत ही भावपूर्ण और अन्तस् को छूता संस्मरण है | पिताजी के संस्कारों को जीवित रखना ही उनका सच्चा स्मरण है | माता रानी की अभ्यर्थना के स्वर बहुत भावभीने हैं | माँ जगदम्बा का आशीर्वाद
जवाब देंहटाएंसपरिवार तुम्हारे ऊपर बना रहे यही दुआ है |
सहृदय धन्यवाद सखी , विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
हटाएंकामिनी दी, दिल को छूती बहुत ही सुंदर रचना। माता पिता के संस्कार बच्चों में आते ही हैं। इसकी झलक आपके लेखन ने दे दी।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद ज्योति जी ,मनोबल बढ़ाने के लिए आभार , विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
हटाएंमन भीग गया आपकी पाती पढ़ कर ...
जवाब देंहटाएंमाता पिता की कई यादें पुनः पुनः घिरती हैं मन में और नत-मस्तक होने को मजबूर कर देती हैं ... कितना संबल देती हैं ... बहुत ही सुन्दर प्रार्थना माँ के चरणों में ... विजयदशमी की बहुत शुभकामनायें ...
सहृदय धन्यवाद दिगंबर जी ,सही कहा आपने आज हमारा व्यक्तित जो भी हैं वो उन्ही की तो देन हैं ,आप को भी विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
हटाएंभावपूर्ण पार्थना सचमुच मन को छूने वाली है।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद गोपाल जी ,आपके बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आभार ,सादर
हटाएंसर्वहित समभाव भरी सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद कविता जी ,मेरे लेख पर आपकी प्रतिक्रिया पाकर आपार हर्ष हुआ आभार ,सादर
हटाएंको छूता संस्मरण लिखा है आपने बचपन की यादें तो याद ही रहती है ये सब बड़ो के के संस्कार है जो बच्चों में आते है सब बढ़िया होता था पहले.....पर लगता है अब इन सब में फीकापन आने लगा है पर अब महसूस होता है जब हमारी ज़िंदगी से बड़े चले जाते है तो कई बार सारी खुशिया ही ले जाते है और रह जाती है तो बस यादें ही हैं आपका आलेख पढ़ कर बहुत कुछ याद आ गया....बढ़िया प्रस्तुति कामिनी दी ब्लॉग पर कई दिनों बाद आना हुआ पर बढ़िया पढ़ने को मिला ......आभार
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा संजय भाई ,यकीनन बड़ों से ही घर में बरकत होती हैं ,खुशियां आती हैं और सारे त्योहारों की रौनक भी रहती हैं लेकिन शायद ये अहसास सिर्फ हमारी पीढ़ी तक हैं ,खेद हैं हम अपने परम्पराओं के संवाहक ना बन सके। आपकी प्रतिक्रिया पाकर आपार प्रसन्नता हुई ,सादर स्नेह
हटाएंबहुत ही मार्मिक गीत है आदरणीय कामिनी जी
जवाब देंहटाएंहृदय को छू गई।
दिल से शुक्रिया आप को
हटाएंसुन्दर अति सुन्दर, हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।, एक राय मेरी रचना पर भी
जवाब देंहटाएंbahut achi rachna hai Rahasyo Ki Duniya par aapko India ke rahasyamyi Places ke baare me padhne ko milegi, Rupay Kamaye par Make Money Online se sambandhit jankari padhne ko milegi.
जवाब देंहटाएंRTPS Bihar Plus Services RTPS BIHAR Service Apply for Caste Income Residential Certificate
बहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंNice Post Good Informatio ( Chek Out )
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