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ज़िंदगी हर पल एक चलचित्र की तरह अपना रंग रूप बदलती रहती है। है न , जैसे चलचित्र में एक पल सुख का होता है तो दुसरा पल दुःख का...फिर अगले ही पल कुछ ऐसा जो हमें अचम्भित कर जाता है और एक पल के लिए हम सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि "क्या ऐसा भी होता है ?"ढाई तीन घंटे की चलचित्र में बचपन से जवानी और जवानी से बुढ़ापे तक का सफर दिख जाता है। हमारा जीवन भी तो एक चलचित्र ही है फर्क इतना है कि- चलचित्र में हमें "The end "देखने को मिल जाता है वो भी ज्यादा से ज्यादा खुशियों से भरा अंत। हमारे जीवन का The end क्या, आगे क्या होगा ये भी हमें नहीं पता होता है।और पढ़िये