हमारे भारतीय संस्कृति के श्रृंगार में काजल का एक खास स्थान है। यदि आँखें काजल बिना सुनी हो तो श्रृंगार अधूरा ही रहता है। काजल ने गोरी के आँखों में ही अपनी खास जगह नहीं बनाई बल्कि कवियों की कविताएं हो या गीतकारों के गीत या शायरों की शायरी काजल ने सबके दिलों और कलम पर भी अपना हक जमा रखा है।
हर लड़की की तरह मेरा भी काजल से गहरा संबंध रहा है। "काजल" ने मुझे मेरे जीवन का बहुत बड़ा पाठ पढ़ाया है। अब आप सोचेंगे कि - "काजल" क्या सीख दे सकती है। दे सकती......इस जहाँ कि... हर एक सय आपको कोई ना कोई सीख जरूर देती है। बात मेरे बचपन की है जब मैं तीसरी कक्षा में पढ़ती थी। पापा मेरा एडमिशन शहर के सबसे अच्छे स्कुल में कराना चाहते थे। मैं एडमिशन के लिए गई... वहाँ मैं टेस्ट में पास भी हो गई। लेकिन क्लास ज्वाइन करने से पहले प्रिंसिपल ने कहा कि -"मुझे स्कूल बिलकुल साधारण भेष -भूषा में ही आना होगा"...बाकी सब तो ठीक था लेकिन, मुझे "काजल" भी नहीं लगाना था....ये मेरे लिए बहुत मुश्किल था। क्योंकि मेरी माँ खुद भी कभी भी बिना काजल के नहीं रही थी और मुझे भी उस उम्र तक याद नहीं कि.. एक दिन भी मैं बिना काजल लगाये रही हूँ। खैर ,स्कूल जाना शुरू हुआ बिना काजल के...मगर पहले ही दिन से मेरी आँखों में सूजन शुरू हो गई ....दो दिन गुजरे ...आँखों से पानी आना शुरू हो गया और तीसरे दिन तो मेरी आँखों ने काजल की जुदाई को बर्दास्त करने से इंकार ही कर दिया....चौथे दिन , वो लाल -पिली हुई और पाँचवे दिन नाराज होकर पलको ने अपना पट बंद ही कर लिया। साथ ही साथ मेरा स्कूल जाना भी बंद हो गया। हार कर माँ ने आँखों का काजल से मिलन करा ही दिया और फिर जैसे ही ....दोनों का मिलन हुआ आँखों की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा और अगले दिन ही वो सारी नाराजगी भूल गई और... अपना पट खोल दी।
माँ -पापा समझ चुके थे कि -मेरी आँखें काजल की जुदाई बर्दास्त नहीं कर पाएंगी सो ...उन्होंने प्रिंसपल के पास जाकर मेरी आँखों की व्यथा-कथा सुनाई और उनसे मिन्नत की कि-- मुझे काजल लगाकर आने की इजाजत दे दे ....मगर प्रिंसिपल को मेरी आँखों पर जरा भी दया नहीं आई.... वो किसी भी हाल में अपने स्कूल का नियम नहीं तोड़ सकती थी।माँ एक महीने तक बार-बार प्रयास करती रही कि -मेरी आँखों को काजल के बिना रहना सीखा सकें मगर.... वो असफल रही लिहाज माँ -पापा ने ही हथियार डाल दिए और मेरा एडमिसन किसी और स्कूल में कराया जहाँ ...उन्हें मेरी आँखों को काजल से मिलने से कोई आपत्ति नहीं थी।
इस घटना से मुझे बेहद तकलीफ हुई ...मेरा भी सपना था उस बड़े स्कूल में पढ़ने का मगर मेरी आँखों का काजल से अथाह प्रेम ने मेरा वो सपना तोड़ दिया। मैंने उसी दिन तय कर लिया कि.. इनका संबंध तो तोड़कर ही रहूँगी और उसी दिन... उस छोटी उम्र में ही मैंने ये भी प्रण लिया कि -"मैं खुद को कभी भी ,किसी भी चीज की ..किसी भी आदत की आदि नहीं बनाऊँगी।" मैंने धीरे-धीरे आँखों को काजल से दूर कर दिया और ऐसा दूर किया कि - चौथी कक्षा के बाद आज तक मेरी आँखों ने काजल को नहीं देखा।
और इस तरह ....काजल ने मुझे जीवन का एक बड़ा सबक सिखाया - " कभी भी किसी चीज के आदि मत बनो ,किसी से इतना मत जुडो कि ---" उससे अलगाव बर्दास्त नहीं कर सको " हमें नहीं पता कब... हम से हमारी कोई प्यारी चीज छीन ली जाएँ या हम उसे छोड़ने पर मजबूर हो जाएँ।
" कभी भी किसी चीज के आदि मत बनो ,किसी से इतना मत जुडो कि ---" उससे अलगाव बर्दास्त नहीं कर सको "
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सार्थक आलेख।
सहृदय धन्यवाद सर , सादर नमन आपको
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
३० मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सहृदय धन्यवाद श्वेता जी ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए दिल से आभार आपका ,सादर नमन
हटाएंवाह!सखी कामिनी जी ,बहुत बडी सीख दे गया आपका ये संस्मरण । सही है किसी भी चीज का आदि नहीं बनना चाहिए ।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद शुभा जी , आपकी इस समीक्षा के लिए दिल से आभार आपका ,सादर नमन
हटाएंसुन्दर लेखन।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर ,आपकी प्रतिक्रिया हमेशा मुझे प्रोत्साहित करती हैं ,सादर नमन
हटाएंवाह !! जीवन की एक सामान्य घटना से आपने सुंदर सबक ले लिया ।
जवाब देंहटाएंऔर इतनी सार्थकता से पाठक तक पहुंचाया कि एक पाठ बन जाए जीवन का ।
सहृदय धन्यवाद कुसुम जी , आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए दिल से शुक्रिया आपका ,सादर नमन
हटाएंअति सुंदर।
जवाब देंहटाएंजीवन की हर घटना कुछ न कुछ सीख अवश्य देती हैं बशर्ते हम उस पर गौर करे और संकल्प ले।जैसा कि अपने लिया।
आभार।
सहृदय धन्यवाद सर , उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार ,सादर नमन
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं" काजल " गोरी के आँखों को सजाये तो उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देता हैं.... नन्हे शिशु के नैनो में जब माँ काजल भर के उसकी बलाएँ लेती हैं तो ....वही काजल उस शिशु के लिए नजरबटु बन शिशु की हर बुरी नजरों से रक्षा करता हैं लेकिन ......वही काजल जब दामन पर लग जाएँ तो दाग बन जाता हैं
जवाब देंहटाएंसखी यही पंक्तियाँ परिपूर्ण हैं जो काजल को परिभाषित करती हैं | भगवान् करे काजल आँखों को संवारता रहे , नजर उतारता रहे पर किसी के स्वच्छ दामन को काला न करे नहीं तो ये कालिख कभी भी नहीं उतरती | सुंदर भावपूर्ण लेख जो काजल के माध्यम से बहुत ही अनमोल सीख देता है----
कभी भी किसी चीज के आदि मत बनो ,किसी से इतना मत जुडो कि ---" उससे अलगाव बर्दास्त नहीं कर सको " हमें नहीं पता कब... हम से हमारी कोई प्यारी चीज छीन ली जाएँ या हम उसे छोड़ने पर मजबूर हो जाएँ। ----------------
तुमने सही कहा सखी , ये भी जीवन का मर्मान्तक अनुभव हो सकता है | हार्दिक स्नेह और शुभकामनाएं तुम्हें |
दिल से शुक्रिया सखी ,तुम्हारा स्नेह यूँ ही बना रहे ,ढेर सारा स्नेह तुम्हे
हटाएंबहुत सार्थकता पूर्ण बातें कहीं हैं आपने काजल के संदर्भ । बेहतरीन और रोचक लेख ।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद मीना जी ,सादर नमस्कार आपको
हटाएंबहुत ही सार्थक और रोचक लेख
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर ,सादर नमस्कार आपको
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