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शनिवार, 11 अप्रैल 2020

" माँ से कहना "


" तुम बिलकुल फिक्र नहीं करो दोस्त ...तुम्हें कुछ नहीं होगा ",गोलियों के धमाके के बीच खून से लथपथ पड़े, दीपक को शेखर  बड़ी मुश्किल से सहारा देते हुए एक सुरक्षित जगह पर लेकर आता है। दीपक बुरी तरह घायल है, उसे एक पेड़ से टिकाकर बैठाते हुए शेखर बोला - " लो थोड़ा पानी पिलो..  मैं तुम्हारे जख्मों को साफ करता हूँ... डरना नहीं  दोस्त ,हम दोनों साथ घर लौटेंगे।"  दीपक की साँसे उखड़ रही थी, खुद को संभालते हुए बड़ी मुश्किल से बोला--" यकीन मानो दोस्त , मुझे जरा भी डर नहीं लग रहा... कोई घबड़ाहट नहीं हो रही ...बस,  माँ की कही बात याद आ रही है.. पता है मेरे भाई, एक बार जब  मैं माँ के गोद में लेटा था तो,माँ से पूछ बैठा- " माँ तुमने तो मुझे फौजी  बनाकर अपनी गोद से महरूम कर दिया... कितना सुकून मिलता है तुम्हारी गोद में। तो माँ ने  कहा था - " माँ से ज्यादा सुकून तुम्हें मातृभूमि के गोद में सोकर आएगा मेरे लाल .....यदि हर बेटा माँ की गोद में रह जाएगा तो,  मातृभूमि की रक्षा कौन करेगा।"
 शेखर उसके जख्मों का प्राथमिक उपचार कर रहा था ,उसके बहते खून को रोकने के प्रयास में लगा था और दीपक अपनी ही धुन में बोले जा रहा था। दोस्त-- देश के  असली सैनिक हम नहीं ....देश के असली रक्षक तो वो हर एक माँ हैं ,वो हर एक पत्नी हैं... जो हमें मातृभूमि के प्रति अपना कर्तव्य निभाने की सहर्ष स्वीकृति ही नहीं देती बल्कि हमें अपना कर्तव्य निभाने की हिम्मत भी देती है.... हम तो मर के शहीद की उपाधि से सम्मानित होते हैं उन्हें तो कोई मेंडल या तगमें का  स्वार्थ भी नहीं होता....हम तो मर कर मुक्ति भी पा लेते हैं ....मगर वो तो जीते जी मरने की सजा आजीवन पाती है ...और दोस्त कमाल की बात तो ये है कि - इस सजा को भी वो सजा नहीं मानती ...बल्कि बड़ी हिम्मत से अपना धर्म समझकर निभाती है।
शेखर भाई ,मेरा तो अंत समय आ गया हैं.....तुम मुझ पर एक एहसान करना ...तुम मेरी माँ तक मेरा एक संदेश पहुँचा देना....माँ से कहना - तुम ने सच कहा था माँ  - " आज मातृभूमि पर न्योछावर होकर... उसकी गोद में सोकर... जो सुख मिल रहा हैं उस पर कई जीवन कुर्बान हैं  " -  दीपक गहरी साँस लेते हुए बोला।

   शेखर  भाई तुम सुन रहे हो न.... हाँ ,हाँ मैं सब सुन रहा हूँ दीपक.. अभी मदद के लिए कोई आता ही होगा तुम्हें  कुछ नहीं होगा दोस्त - शेखर संतावना देते हुए बोला। शेखर की बातों को अनसुना कर दीपक बोले जा रहा था - शेखर भाई , तुम मेरी माँ को मेरा सेल्यूट देना ...मेरे सभी सैनिक दोस्तों के माँ को भी मेरा सेल्यूट देना ,कहना-  वो धन्य है ...वो धन्य है ....वो देश की सच्ची पहरेदार है जिन्होंने हमें जन्म देकर देश का सैनिक बनने का गौरव प्रदान किया ...उन सभी पत्नियों को मेरा सेल्यूट देना  - जिन्होंने  देश के हित में अपने सर्वस्व सुख को  न्योछावर कर दिया.... उन सभी को  मेरा कोटि-कोटि नमन कहना... जिन्होंने  अपने प्राण से प्यारों को देश के लिए हँसते-हँसते समर्पित कर दिया है -  एक-एक शब्द बड़ी मुश्किल से बोलते हुए,  दीपक ने सेल्यूट के लिए अपना हाथ उठाया और ...उसकी साँसों  ने उसका साथ छोड़ दिया ...देश का एक और  दीपक देश को रोशन करते-करते बुझ गया था ...
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" आज देश में फिर से युद्ध जैसी स्थिति हैं... यकीनन उससे भी ज्यादा चिंताजनक... देश के प्रत्येक व्यक्ति को एक सैनिक बनना हैं तभी हम ये युद्ध जीत पाएंगे। युद्ध भी ऐसा जिसमे ना बन्दूक उठाना हैं ना तलवार  सिर्फ घर में छुपकर रहना  हैं। इस वक़्त देश में सच्चे सैनिक का फ़र्ज़ अदा  कर रहे हैं स्वस्थ सेवा से जुड़े सभी कर्मचरी ,सभी सुरक्षाकर्मी ,सभी सफाईकर्मी और मानवता के सेवा में जुटे वो प्रत्येक मानव जो रात दिन हमें बचाने के लिए अपने घर -परिवार से दूर प्रयासरत हैं .... सेल्यूट हैं उन्हें और उनके घरवालों को जिन्होंने अपने प्राणों से प्यारों को  अनदेखे दुश्मन से लड़ने के लिए समर्पित कर दिया हैं। "कोटि -कोटि नमन उन्हें 


"नारी दिवस"

 नारी दिवस " नारी दिवस " अच्छा लगता है न जब इस विषय पर कुछ पढ़ने या सुनने को मिलता है। खुद के विषय में इतनी बड़ी-बड़ी और सम्मानजनक...