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सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

"तू मेरी माँ थी या मैं तेरी माँ"


हम सभी से विदा लेने से पांच महीने पहले ऐसी थी मेरी  माँ...... बहुत बीमार थी फिर भी चेहरे पर वही तेज था।


 मेरी माँ से मेरा रिश्ता कुछ अजीब था.....वो तो मुझे ही अपनी माँ मानती थी....पता नहीं, पूर्वजन्म में विश्वास वजह था या मेरा उसका जरूरत से ज्यादा ख्याल रखना। अक्सर बीमार रहा करती थी वो और दस साल की उम्र से ही मैं उसकी सेवा करती रही। सेवा करते-करते कब वो मेरी माँ से मेरी बेटी बनी हम दोनों नहीं जान पाए। मैं अक्सर उससे ये सवाल किया करती थी....आज, वो मुझे छोड़कर बहुत दूर जा चुकी है कभी ना लौटने के लिए। 

अब किससे पूँछु तो सहेज लिया...शब्दों। 

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तू मेरी माँ थी या मैं तेरी माँ 

था रहस्य ये क्या 

अब तो, बतला दें माँ 

 

तुमने जन्म दिया था मुझको 

फिर क्यूँ ,कहती थी तू मुझको माँ 

पालन किया था तुमने  मेरा 

या मैंने संभाला था, तुझको माँ 

था रहस्य क्या,अब तो बतला 


हाँ, मैं तो बेटी थी तेरी

 पर,हठ करती तू बन बेटी मेरी 

 छूटा तो तेरा आँचल मुझसे 

फिर क्यूँ, सुनी हो गई मेरी गोद 

है रहस्य ये कैसा, अब तो बोल  


तुममें मैं थी या मुझमें तू 

तुमसे मैं थी या मुझसे तू 

जाना तेरा क्यूँ लगता है,

कर गई मुझको खाली तू 

बन्धन था ये कर्मो का 

या, बंधे थे दिल से माँ 

ये रहस्य अब तो बतला


जब होती नाराज़ मै तुमसे 

इतरा के कहती तुम 

 छोड़ मुझे कहाँ जाओगी

 मेरी एक आवाज को सुनकर,

दौड़ी-दौड़ी आ जाओगी

क्यूँ था, मुझ पर इतना एतबार 

ये रहस्य  बतला दो माँ 



अब, दे रही मैं तुझको आवाज

क्यूँ,  बन बैठी हो अनजान

नाता मुझसे तोड़ चुकी हो 

या मुझसे तुम हो नाराज़

जा बसी हो कौन नगर तुम 

ढूँढू तुमको कौन से द्वार

 इतना तो बतला दो माँ 


बहुत हठ किया था तुमने मुझसे

अब है मेरी बारी माँ 

आ जाओ तुम पास मेरे
  
या अपनी याद बिसरा दो माँ 

जीवन मेरा उलझा है 

अब तो,ये रहस्य सुलझा दो माँ 

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कुछ प्रश्नों के उत्तर कभी नहीं मिलते....इसके भी नहीं मिलेंगे 
क्योंकि, अब तुम लौट के कहाँ आने वाली हो.....


माँ की पहली पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि 
वो जहाँ कही भी हो परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। 

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