हम सभी से विदा लेने से पांच महीने पहले ऐसी थी मेरी माँ...... बहुत बीमार थी फिर भी चेहरे पर वही तेज था।
मेरी माँ से मेरा रिश्ता कुछ अजीब था.....वो तो मुझे ही अपनी माँ मानती थी....पता नहीं, पूर्वजन्म में विश्वास वजह था या मेरा उसका जरूरत से ज्यादा ख्याल रखना। अक्सर बीमार रहा करती थी वो और दस साल की उम्र से ही मैं उसकी सेवा करती रही। सेवा करते-करते कब वो मेरी माँ से मेरी बेटी बनी हम दोनों नहीं जान पाए। मैं अक्सर उससे ये सवाल किया करती थी....आज, वो मुझे छोड़कर बहुत दूर जा चुकी है कभी ना लौटने के लिए।
अब किससे पूँछु तो सहेज लिया...शब्दों।
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तू मेरी माँ थी या मैं तेरी माँ
था रहस्य ये क्या
अब तो, बतला दें माँ
तुमने जन्म दिया था मुझको
फिर क्यूँ ,कहती थी तू मुझको माँ
पालन किया था तुमने मेरा
या मैंने संभाला था, तुझको माँ
था रहस्य क्या,अब तो बतला
हाँ, मैं तो बेटी थी तेरी
पर,हठ करती तू बन बेटी मेरी
छूटा तो तेरा आँचल मुझसे
फिर क्यूँ, सुनी हो गई मेरी गोद
है रहस्य ये कैसा, अब तो बोल
तुममें मैं थी या मुझमें तू
तुमसे मैं थी या मुझसे तू
जाना तेरा क्यूँ लगता है,
कर गई मुझको खाली तू
बन्धन था ये कर्मो का
या, बंधे थे दिल से माँ
ये रहस्य अब तो बतला
जब होती नाराज़ मै तुमसे
इतरा के कहती तुम
छोड़ मुझे कहाँ जाओगी
मेरी एक आवाज को सुनकर,
दौड़ी-दौड़ी आ जाओगी
क्यूँ था, मुझ पर इतना एतबार
ये रहस्य बतला दो माँ
माँ की प्रथम पुण्यतिथि पर भावभीनी और मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति कामिनी जी ! ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें 🙏
जवाब देंहटाएंआपको हृदयतल से धन्यवाद मीना जी
हटाएंमाँ की मधुर स्मृतियाँ भी आँखें भिगो जाती हैं माँ के जाने के बाद.... भूलें भी कैसे, उसी शरीर का एक अंश हैं ना हम, निदा फाजली के शब्दों में -
जवाब देंहटाएंबाँट के अपना चेहरा, माथा,
आँखें जाने कहाँ गई,
फटे पुराने इक अलबम में
चंचल लड़की जैसी माँ !
आदरणीया मैम, सादर प्रणाम । आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ, आपकी रचना पढ़ते -पढ़ते आँखों से आँसू भने लगे , वो रुके नहीं पर फिर भी पूरी पढ़ गई ।माँ जानकी आपकी पूज्य माँ को अपने चरणों में स्थान दें। मेरी ओर से भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि एवं उन्हें प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंप्रिय अनंता,दिल से शुक्रिया बेटा,माँ की चर्चा से आँखे नम हो ही जाती है।
हटाएंमैं ही ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आई हूँ। दो महीने से ज्यादा हो गए। कोशिश करूंगी अब एक्टिव रहने की
अब, दे रही मैं तुझको आवाज
जवाब देंहटाएंक्यूँ, बन बैठी हो अनजान
नाता मुझसे तोड़ चुकी हो
या मुझसे तुम हो नाराज़
जा बसी हो कौन नगर तुम
ढूँढू तुमको कौन से द्वार
इतना तो बतला दो माँ
माँ की पुण्यतिथि पर अत्यंत भावपूर्ण आँखे नम करती रचना । विनम्र श्रद्धांजलि माँ को ।
भगवान ने आपको माँ की सेवा करने का विशेष अवसर दिया या यूँ कहें कि इस पुण्य काम के लिए आपको चुना आप बहुत भाग्यशाली हैं कामिनी जी ! आपने अपना फर्ज पूर्ण किया ।
हाँ सुधा जी,इस मामले में मैं बहुत भाग्यशाली तो हूँ। आजीवन माँ-पापा का साथ था और दोनों की जी भर के सेवा भी की हूँ। इस बात का संतोष है।
हटाएंआपका तहे दिल से शुक्रिया सुधा जी
🙏🙏 कुछ भी लिखने में असमर्थ हूँ।।
जवाब देंहटाएंआपका तहे दिल से शुक्रिया दी,सही कह रही है कभी कभी शब्द खो से जाते है,सादर नमन दी
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद दी, 🙏
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है ...बहुत हठ किया था तुमने मुझसे
जवाब देंहटाएंअब है मेरी बारी माँ ...कहकर आपने बालहठ को जीवित रख हमें फिर उसी गुजरे समय में पहुंचा दिया कामिनी जी...शानदार
कभी कभी तो बालहठ जाग ही जाता है ☺️ इतनी सुन्दर प्रतिक्रया देने के लिए दिल से शुक्रिया अलकनंदा जी🙏
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