एक और साल अपने नियत अवधि को समाप्त कर जाने को है और एक नया साल दस्तक दे रहा है। बस, एक रात और कैलेंडर पर तारीखें बदल जायेगी। दिसम्बर और जनवरी महीने की कुछ अलग ही खासियत होती है। कहने को तो ये भी दो महीने ही तो है पर साल के सारे महीनो को बंधे रखते है। दोस्तों , क्या आप को भी लगता है कि - इन दोनों के बीच एक खास रिश्ता है ?
मुझे लगता है इन दोनों के बीच एक खास रिश्ता है बिलकुल रात और दिन के जैसे। दोनों एक ही धागे के दो सिरे ही तो है ,कहने को दोनों दूर है फिर भी एक दूसरे के साथ बंधे रहते है ,दोनों के बीच कभी ना ख़त्म होने वाला एक रिश्ता होता है। जब ये दो महीने दूर जाते है तो साल बदल जाते है और जब पास आते है तो आस बदल जाते है। एक का अंत हो रहा होता है दूसरे की शुरुआत। देखने में तो ये दोनों एक से ही तो लगते है,एक सा मौसम और एक जितनी ही तारीखें ,बस दोनों के अंदाज़ अलग होते है। एक में ढेरों यादें होती है तो दूसरे में अनेको वादें।