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कहते हैं "बेटियाँ" लक्ष्मी का रूप होती है, घर की रौनक होती है। ये बात शत प्रतिशत सही है। इसमें कोई दो मत नहीं हो सकता कि बेटियाँ ही इस संसार का मूल स्तंभ है। वो एक सृजनकर्ता और पालनकर्ता है। प्यार और अपनत्व की गंगा बेटियों से ही शुरू होती है और बेटियों पर ही ख़त्म हो जाती है। लेकिन आज हमारा विषय हमारी प्यारी बेटियों पर नहीं है बल्कि बेटियों के " बेटी से बहू "बनने के सफर पर है।