" हैप्पी बर्थ डे बेटा जी "
" क्या मम्मा ,कैसा बर्थ डे ना केक है, ना पापा है और ना ही कोई अपना फिर कैसा बर्थ डे "फोन में ही देखते हुए उदास आवाज में मनु बोली ...अरे, इधर देखो तो सही ...नीरा ने कहा। अरे, मम्मा ये क्या हैं... नीरा के हाथों में एक छोटी से प्लेट में एक छोटा सा केक सजा देख मनु चहकती हुई उठ बैठी..... कैसे किया आपने घर में तो कुछ भी नहीं था। बस, बेटा जी , जो कुछ भी था... जैसे , थोड़ा ब्रेड, थोड़ा आमंड बटर, थोड़ा ड्राई फ्रूट्स और ढेर सारा प्यार मिलाकर.... मैं ये छोटा सा केक लाई हूँ .... उठो -उठो, सबको विडिओ कॉल करते हैं और केक काटते हैं ....मनु नीरा के गले से लिपटकर उसे चूमने लगी। फिर विडिओ कॉल पर ही सबके साथ मिलकर मनु ने केक कटाकर अपना जन्मदिन मनाया।
मम्मा ,कैसा दिन आ गया है न..... हमने कभी सोचा भी नहीं था कि -हम कभी ऐसे ...सबसे इतनी दूर अकेले होकर.... अपना बर्थ डे मनाएंगे। कोई बात नहीं बेटा, ये दिन भी एक यादगार हो सकता है न ....पता है आपको ,
जब हरपल हम सबके साथ होते हैं न तो उनकी अहमियत भूल जाते हैं .....दूरियाँ हमें सबकी अहमियत समझती है और अपनों का कद्र करना सिखाती है.....जो परिवार के करीब होते हुए भी परिवार की परवाह ना करके सिर्फ भौतिक सुखों के पीछे भागते हैं ....उस पल उन्हें समझ ही नहीं आता कि -जिसके लिए आप कमा रहे हैं .. उन्ही को भूले जा रहें हो ....रोटी कमाने के लिए घर से निकलते हैं और रोटी खाने की ही फुरसत नहीं होती...कोरोना काल का ये पल उन्हें समझा रहा है कि -भौतिक सुख तुम्हें बाहरी खुशियाँ तो दे सकती है मगर साथ ही भटकाव भी दे रही है..... परिवार के बीच रहकर नमक रोटी खाकर जो सुख और शांति तुम्हें मिलेगी वो परमानंद है....जो तुम्हें परमात्मा के करीब ले जाएगा..... देखो न बेटा, आज पैसा होते हुए भी हम जरूरत की चीज़े नहीं खरीद पा रहे हैं ....ये हमें कम में जीना सीखा रही है, है न .....इतना ही नहीं, ऐसे हालत में आगे हमें पैसों की कमी भी होगी और तब पैसो से दुरी..... हमें पैसे की अहमियत भी समझाएंगी .... ऐसे में जिसने कम में ख़ुशी खरीदना और बाँटना सीख लिया न उनका समय सार्थक गुजरेगा.......बेटा, ये पल हमें ढेरों अनुभव देकर जाएगा ......अब आप इस अनुभव को अपने जीवन में कैसे उतारते हो.... टूटकर बिखर जाते हो या अपने जीवन जीने का नजरिया बदलकर हमेशा के लिए सम्भल जाते हो.... ये आप पर निर्भर है.... बेटा, ये बिपदा की घडी भी हमें बहुत कुछ समझाने- सीखने आई हैं.... अगर, हम समझना चाहे तो....यदि अब भी नहीं समझे और सम्भले..... तो हमारा विनाश निश्चित है।
नीरा कहती जा रही थी और मनु उसके बाँहों में सोये-सोये ख़ामोशी से सब सुन रही थी.... शायद वो समझने की कोशिश कर रही थी .....जीवन के उतार-चढाव को,वक़्त के दिखाए फेर -बदल को, रिश्तो की अहमियत को ,अपनों के प्यार और एहसास को .....
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (02-04-2020) को "पूरी दुनिया में कोरोना" (चर्चा अंक - 3659) पर भी होगी।
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मित्रों!
कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं भी नहीं हो रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत दस वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय धन्यवाद सर ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार ,सही कहा आपने -चर्चा मंच गुमनाम ब्लगरों को भी स्थान दे रहा हैं ,आपका ये प्रयास सराहनीय हैं ,सादर नमन
हटाएंजब कोई चीज नहीं रहती या मिलती तब भी उसकी अहमियत का एहसास होता है !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
दिल से शुक्रिया गगन जी ,सही कहा आपने --ये पल यही समझा रहा हैं ,सादर नमन
हटाएंसच है जो हमेशा साथ होते हैं उनकी अहमियत तभी होती है जब वो पास नहीं होते ... जीवन के कई ऐसे लम्हे ख़ुद को देखने का मौक़ा देते हैं ...
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया दिगंबर जी ,बिलकुल सही.... और ये वही लम्हा हैं ,सादर नमन आपको
हटाएंसामयिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर ,सादर नमन
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय कामिनी दीदी 👌
जवाब देंहटाएंप्यारी बिटिया को जन्मदिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ. जीवन में हर ख़ुशी मिले,
ईश्वर-कृपा साथ चले,
विद्यार्जन की कलियाँ खिलें,
अपनों की सदा ही ढाल मिले🎊🎊🎂🎂🎊🎊🎉🎉🎁🍫
दिल से शुक्रिया अनीता जी ,आप सभी की दुआएं बड़ी अनमोल हैं ,दिल से आभार
हटाएंजन्मदिन पर बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ ....... सुगना फाउंडेशन परिवार
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर ,आपकी दुआओं के लिए दिल से आभार आपका, सादर नमन आपको
हटाएं"कम में ख़ुशी खरीदाना और बाँटना सीख लिया न उनका समय सार्थक गुजरेगा.......बेटा, ये पल हमें ढेरों अनुभव देकर जाएगा ......अब आप इस अनुभव को अपने जीवन में कैसे उतारते हो.... टूटकर बिखर जाते हो या अपने जीवन जीने का नजरियाँ बदलकर हमेशा के लिए सम्भल जाते हो.... ये आप पर निर्भर हैं.... "
जवाब देंहटाएंअनुभवों का लाजवाब और सकारात्मक नज़रिए की अनुपम अभिव्यक्ति । बहुत सुन्दर सृजन कामिनी जी ।
दिल से शुक्रिया मीना जी ,आप लेख से उसका मर्म निचोड़ लाती हैं ,सुंदर समीक्षा के लिए दिल से आभार आपका सादर नमन आपको
हटाएंप्रिय कामिनी , जीवन कभी- कभी ऐसे पड़ाव पर आ थमता है , जिसकी कल्पना तक हमने कभी नहीं की होती | इसी कारण आज की सुविधासम्पन्न पीढ़ी के बच्चे अक्सर आकस्मिक संकट से घबरा जाते हैं | उन्हें कैसे समझाना चाहिए नीरा के माध्यम से तुमने खूब लिखा | अक्सर अपनों से दूरियाँ असुरक्षा पैदा करती हैं पर अपनी समझबूझ से इस निराशा पर काबू पाया जा सकता है | सुंदर लेख के लिए आभार सखी |
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