गुरुवार, 11 मार्च 2021

फिर क्यूँ??



क्यूँ ये मन उदास है ?

किसकी इसे तलाश है ?

सीने में हूक सी उठती है। 

क्यूँ दर्द से दिल ये बेजार है ?

ना कुछ खोया,ना पाया है। 

 फिर किस बात का मलाल है ?

ना रूठी हूँ,ना मनाया है किसी ने। 

 क्यूँ कहते हैं,तुमसे बहुत प्यार है ?

ना कुछ भूली,ना ही याद है। 

फिर क्यूँ उलझे से ये मन के तार है?

ना आया है,ना आएगा कोई। 

फिर मुझे किसका इंतज़ार है ?

ना प्यार है,ना शिकवा-गिला। 

फिर क्यूँ ये तकरार है ?

ना मरती हूँ,ना जिन्दा हूँ। 

क्यूँ त्रिशंकु सा बना हाल है ?

और कितने इम्तहान लेगी ऐ ज़िंदगी !

आखिर तुझे मुझे से, 

क्या दरकार  है ?

ऐ मन ! तू ही बता 

ना चाहती थी,ना चाहिए कुछ तो  

फिर क्यूँ, इतने सवाल है ?


42 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर रचना।
    --
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  2. सवालों के सिलसिले टूटते नहीं हैं
    ऐ ज़िंदगी बता न तू पहेली-सी क्यूँ है?
    ----//---
    अनसुलझे प्रश्न मन को परेशान करते हैं मन की यही छटपटाहट शब्दों में व्यक्त की गयी आपकी सुंदर रचना प्रिय कामिनी जी।

    सस्नेह।

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    1. मेरे प्रश्नों में एक और प्रश्न जोड़ मेरी कविता को पूर्ण करने के लिए हृदयतल से आभार श्वेता जी,सादर नमन

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  3. बहुत ही भावपूर्ण तरीके से आपने अपने मन की भावना को प्रकट किया है ..

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    1. तहे दिल से शुक्रिया जिज्ञासा जी, सराहना हेतु आभार...सादर नमन

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  4. अंतर्मन की कशमकश कोजागर करती भावपूर्ण रचना

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    1. सरहनासम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए सहृदय धन्यवाद गगन जी, सादर नमन

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  5. मन की अजब सी
    कशमकश है
    न हार है न
    ही कोई जीत है
    मुझे तो लगता है कि
    बस थोड़ी सी प्रीत है .

    खूबसूरती से मन के द्वंद्व को लिखा है .

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    1. क्या बात है दीदी,मेरी रचनाओं को आपने पूर्णता प्रदान कर दी,आपकी इस सुंदर पंक्तियों ने लाज़बाब कर दिया,
      आप की उपस्थिति ब्लॉग जगत में रौनक ला रही है,कुछ दिनों से यहाँ सूनापन छा गया था। आपके व्यक्तित्व की महक हर तरफ खुशबु फैला रही है
      मेरे घर-आँगन तक भी ये खुशबु आ रही है...मैं खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रही हूँ... सादर नमन आपको

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    2. आप सब इतना स्नेह दे रहे हैं ... समझ नहीं पा रही कि कैसे संभालूं :):)

      शुक्रिया

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    3. आप का साथ और स्नेह पाकर तो हम धन्य हुए,सादर नमन दी

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  6. बहुत सुंदर भाव 🙏 भोलेबाबा की कृपादृष्टि आप पर सदा बनी रहे।🙏 महाशिवरात्रि पर्व की आपको परिवार सहित शुभकामनाएं

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    1. आपके आशीर्वचनों के लिए सहृदय धन्यवाद सर, सादर नमन

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  7. ना कुछ भूली,ना ही याद है।
    फिर क्यूँ उलझे से ये मन के तार है?
    ना आया है,ना आएगा कोई।
    फिर मुझे किसका इंतज़ार है ?
    खुद से उलझते वीतरागी मन के प्रश्न सखी !कभी- कभी इन प्रश्नों के कोई अर्थ नहीं होता पर फिर भी ये निरर्थक नहीं होते | विकल मन के भावों को तुमने बहुत ही अच्छे से प्रकट किया है प्रिय कामिनी | यूँ ही आगे बढती रहो सखी !मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ है |
    मेरी शुभकामनाएं|

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    1. सही कहा तुमने सखी-ये प्रश्न निरर्थक नहीं होते मगर इसका उत्तर बड़ा कठिन होता है। तुम्हारे इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए दिल से शुक्रिया,तुम्हारा स्नेह यूँ ही बना रहें।

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  8. क्यूँ ये मन उदास है ?

    किसकी इसे तलाश है ?

    सीने में हूक सी उठती है।

    क्यूँ दर्द से दिल ये बेजार है ?

    ना कुछ खोया,ना पाया है।

    फिर किस बात का मलाल है ? दिल की गहराइयों से उभरते हुए स्वर जैसे शब्दों की मोतियों में ढल गए हैं - - अति सुन्दर सृजन।

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    1. सहृदय धन्यवाद सर, सराहना हेतु आभार....सादर नमन

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  9. न चाहती थी कुछ न चाहिए कुछ तो फिर क्यों इतने सवाल हैं । बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना । शुभ कामनाएं ।

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  10. मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय धन्यवाद मीना जी,सादर नमन

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  11. बहुत अच्छी कविता।सादर अभिवादन आपको

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  12. बहुत सुंदर मनोभाव सुंदर सृजन।
    सादर

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    1. दिल से शुक्रिया प्रिय अनीता जी,तुम्हारा स्नेह बना रहे

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  13. बहुत खूब, बहुत ही सुंदर है ये जिंदगी की मुलाकात,बधाई हो कामिनी जी,

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    1. दिल से शुक्रिया ज्योति जी,आपकी सराहना ने मुलाकात को सफल बना दिया आभार एवं सादर नमन

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  14. बहुत बहुत सुंदर कामिनी जी।
    कितने प्रश्न है पर जवाब नदारद है।
    आपकी पद्य खजाना भी बहुमूल्य है।
    बधाई।

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    1. दिल से शुक्रिया कुसुम जी,आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया ने हमेशा मेरा हौसला बुलंद किया है आभार एवं सादर नमन

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  15. जिंदगी एक सवाल ही तो है...तलाशते रहते है हम जवाब उम्र भर… सुंदर कविता प्रस्तुत करने के लिए बधाई कामिनी जी...!!

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    1. सहृदय धन्यवाद संजय जी,बिलकुल सही कहा आपने -जिंदगी से सवाल करना आसान है मगर जबाब पाना बेहद मुश्किल

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  16. ना रूठी हूँ,ना मनाया है किसी ने।

    क्यूँ कहते हैं,तुमसे बहुत प्यार है ?

    ना कुछ भूली,ना ही याद है।

    फिर क्यूँ उलझे से ये मन के तार है?
    बेहतरीन रचना सखी 👌👌

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    उत्तर
    1. दिल से शुक्रिया सखी,इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभार

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  17. कोई नहीं है फिर भी है मुझको ना जाने किसका इंतज़ार । भावपूर्ण अभिव्यक्ति । अभिनंदन ।

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    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद जितेंद्र जी, इंतज़ार तो मौत की घडी तक किसी ना किसी चीज़ की रहती ही है,यही मानव प्रकृति है,सराहना हेतु आभार एवं सादर नमन

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  18. उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद मनोज जी,सराहना हेतु आभार एवं सादर नमन

      हटाएं

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