सोमवार, 7 जनवरी 2019

" बृद्धाआश्रम "बनाम "सेकेण्ड इनिंग होम "







" बृद्धाआश्रम "ये शब्द सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कितना डरावना है ये शब्द और कितनी डरावनी है इस घर यानि "आश्रम" की कल्पना। अपनी भागती दौड़ती ज़िन्दगी में दो पल ठहरें और सोचे, आप भी 60 -65 साल के हो चुके हैं ,अपनी नौकरी और घर की ज़िम्मेदारियों से आज़ाद हो चुके हैं। आप के बच्चों के पास फुर्सत नही है कि वो आप के लिए थोड़ा समय निकले और आप की देखभाल करें।(कृपया ये लेख पूरा पढ़ेगे )

बुधवार, 2 जनवरी 2019

जीवन का अनमोल "अवॉर्ड "

                                                                   " नववर्ष मंगलमय हो "
                                                       " हमारा देश और समज नशामुक्त हो "

                                           नशा जो सुरसा बन हमारी युवा पीढ़ी को निगले जा रहा है...
                                    अपने आस पास नजरे घुमाये देखे...आये दिन कई घर और ज़िंदगियाँ 
                                इस नशे रुपी सुरसा के मुख में समाती जा रही है। मेरे जीवन से जुड़ा मेरा ये 
                                                  संस्मरण नशामुक्ति के खिलाफ एक आवाज़ है........


        सुबह-सुबह अभी उठ के चाय ही पी रही थी कि फोन की घंटी बजी...मैंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से  चहकते हुए शालू की आवाज़ आई, हैलो माँ --" Merry Christmas" मैंने कहा -" Merry Christmas you too" बेटा , मैं अभी-अभी सो कर उठी हूँ और उठते ही मैंने सोचा सबसे पहले अपने सेंटा को  Wish करूँ--वो चहकते हुए  बोली।  मैंने कहा --बेटा, मैं तो आप से इतनी दूर हूँ और...पिछले साल से मैंने आप को कोई गिफ्ट भी नहीं दिया..फिर मैं आप की सेंटा कैसे हुई? उसने बड़े प्यारी आवाज़ में कहा -" माँ,आप जो हमें गिफ्ट दे चुकी है उससे बड़ा गिफ्ट ना किसी ने दिया है और ना दे सकता है...उससे बड़ा गिफ्ट तो कोई हो ही नहीं सकता "  मैं थोड़ी सोचती हई बोली --ऐसा कौन सा बड़ा  गिफ्ट मैंने दे दिया आप को बच्चे, जो मुझे याद भी नही। रुथे हुए गले से वो बोली -" पापा " आपने हमें हमारे पापा को वापस हमें दिया है माँ। ये सुन मैं निशब्द हो गई। 


रविवार, 23 दिसंबर 2018

"ज़िंदगी का सबक सिखाता " - दिसम्बर और जनवरी का महीना



        एक और साल अपने नियत अवधि पर समाप्त हो जाने को है और एक नया साल दस्तक  दे  रहा है। बस....एक रात और कैलेंडर पर तारीखें  बदल जायेगी। दिसम्बर और जनवरी महीने की कुछ अलग ही खासियत होती है। कहने को तो ये भी दो महीने ही तो है पर.....साल के सारे महीनो को बंधे रखते हैं। दोस्तों , क्या आप को भी लगता है कि - इन दोनों के बीच एक खास रिश्ता है ? 

मुझे लगता है...इन दोनों के बीच एक खास रिश्ता है बिलकुल रात और दिन के जैसे। दोनों एक ही धागे के दो सिरे ही तो है...कहने को दोनों दूर है...फिर भी एक दूसरे के साथ बंधे रहते हैं...दोनों के  बीच कभी  ना ख़त्म होने वाला एक रिश्ता होता है। जब ये दो महीने दूर जाते हैं...तो साल बदल जाते हैं और...जब पास आते हैं  तो आस बदल जाते हैं....एक का अंत हो रहा होता है तो दूसरे का आरंभ....। देखने में तो  ये दोनों एक से ही तो लगते हैं..एक  सा मौसम और एक  जितनी  ही  तारीखें.....बस, दोनों के अंदाज़ अलग होते हैं।  एक में ढेरों यादें होती है तो दूसरे में अनेको वादें।  

"हमारी जागरूकता ही प्राकृतिक त्रासदी को रोक सकती है "

मानव सभ्यता के विकास में नदियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है तो उनकी वजह आने वाली बाढ़ भी हमारी नियति है। हज़ारों वर्षों से नदियों के पानी क...