आज ना जाने फिर क्यूँ आवाक हूँ.....अतीत और भविष्य के मध्य....वर्तमान में सतत दोलित....एक अबोध पेंडुलम की तरह.......संबंधों की डोर से बँधी.....मैं झूलती जा रही हूँ......तभी, आँखें कुछ आश्वस्त होती है.......शायद, आसमान की बुलंदियों को....छूने की मधुर कामना से......मगर, भावनाओं के अप्रत्यशित प्रहार से.....मैं चूर-चूर हो जाती हूँ....संबंधों की डोर टूट जाती है,
और तब मैं.....
एक अनाम अतुल गहराईयों में......लुढ़कने लगती हूँ......आधारहीन पत्थर की तरह.....तभी, भावनाओं से आहत मेरा शरीर........छपाक से किसी की आग़ोश में गिर पड़ता है.......जो शायद,मेरा ही इंतजार कर रहा था..... ना जाने कब से .......मैं कुछ कह नहीं सकती......वो इंतजार था या.....मुझ पर अनायास उमड़ा उसका दयाभाव......जिसने मुझे अपने दामन में संभाल लिया......मेरे गिरने से....... प्रतिक्रिया में उठी तरंगों की उफाने.......गर्जनघोष से नभ को ललकार उठी.......या शायद, उस प्रिय के प्रहार से व्यथित होकर.......मैं खुद हर्ष से पुलकित हो.....खिलखिला उठी थी.....एक मधुर हल्केपन का अहसास.....मेरा रोम-रोम रोमांचित हो रहा है.....
मगर ये क्या----
उस जल का विश्लेषण कर.......उस खारे नमकीन जल को चखकर......मैं पुनः आवाक हो जाती हूँ..... मुझे विश्वास नहीं कि- वो जल है......अरे,यह तो मेरे प्रियतम का दिया हुआ.....पूर्व जन्म का प्रसाद है.......जो अश्रु बनकर उसकी आँखों के कोर से......ना जाने कब से बह रहा है......और उस अश्रु गंगाजल के खारे झील में.....मैं डूबती चली गई .... .मेरे सारे जख्म भर चुके हैं..... उस अमृत का पान कर मैं निर्मल हो चुकी हूँ.......
सुन्दर आलेखनुमा पोस्ट।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर,सादर नमन
हटाएंसुंंदर सार्थक ललित निबंध के लिए बधाई 🙏
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद वर्षा जी,सादर नमन
हटाएंप्रिय कामिनी, मनोभावों को बड़े सुंदर शब्द शिल्प में सजाया है आपने।
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया मीना जी,सादर नमन
हटाएंअद्भुत शब्द चित्र। बधाई! यूँ ही कूची आंदोलित और गतिमान रहे।🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद विश्वमोहन जी,प्रेरित करने के लिए दिल से आभार एवं सादर नमन
हटाएंशानदार सृजन..
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम..
दिल से शुक्रिया आपका
हटाएंमनोभावों की सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया आपका पम्मी जी,आपकी उपस्थिति से आपार हर्ष हुआ,आभार एवं सादर नमन
हटाएंएहसास और संवेदना जब आडोलित होती है ऐसे अनुपम सृजन लेखनी से होते हैं।
जवाब देंहटाएंनिशब्द कामिनी जी ।
भाव भी समर्पण भी श्रृद्धा भी शंका भी ।
अनुपम।
दिल से शुक्रिया कुसुम जी,आपकी प्रतिक्रिया अनमोल है आभार एवं सादर नमन
हटाएंइस सरस कोमल शब्दावली से सज्जित भावपूर्ण गद्य गीत के लिए शत शत बधाई हार्दिक शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर,उत्साहवर्धन करती आपकी प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार एवं सादर नमन
हटाएंऔर इस तरह अश्रु गंगाजल ने भर दिए सारे जख़्म...वाह कामिनी जी बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया अलकनंदा जी, आभार एवं सादर नमन
हटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए दिल से शुक्रिया श्वेता जी,सादर नमन
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए दिल से शुक्रिया मीना जी,सादर नमन
जवाब देंहटाएंअंतर्वेदना से लेकर प्रणय के सुधारस तक --- वाह सखी , कमाल का आत्मसंवाद और अंत में आंतरिक अनुराग का सुखद अनुभव !!आलोक जी ने सही कहा ये अनुपम गद्य गीत है सखी ! लगता है कवियों की रचनाओं का रसपान करते- करते तुम्हारे भीतर भी काव्यात्मकता हिलोरे लेने लगी है | आशा नहीं विश्वास है कि तुम किसी दिन सुंदर सी कविता लिखकर हैरान कर दोगी | सस्नेह शुभकामनाएं सखी |
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया प्रिय रेणू ,तुम लोगो जैसे बुद्धिजीवियों के सनिध्य का यदि लाभ ना उठाया तो मुझ जैसा कोई बुद्धिहीन नहीं ,स्नेह सखी
हटाएंइन शब्दों में अंतर्निहित अनुभूति को हृदयंगम कर रहा हूं । यह कोई साधारण अभिव्यक्ति नहीं ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस सरहनासम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार जितेंद्र जी,सादर नमन
हटाएंसभी की बातों में सच्चाई है मैं भी सहमत हूँ सभी के विचारों से , बेहतरीन रचना,अद्भुत
जवाब देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया ज्योति जी,आपकी इस सराहनासम्पन प्रतिक्रिया के लिए दिल से शुक्रिया ,सादर नमन
हटाएंसुन्दर शब्दों में अभिव्यक्त किया है ..बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद संजय जी
हटाएंविश्वास नहीं कि- वो जल है......अरे,यह तो मेरे प्रियतम का दिया हुआ.....पूर्व जन्म का प्रसाद है.......जो अश्रु बनकर उसकी आँखों के कोर से......ना जाने कब से बह रहा है......और उस अश्रु गंगाजल के खारे झील में.....मैं डूबती चली गई .... .मेरे सारे जख्म भर चुके हैं..... उस अमृत का पान कर मैं निर्मल हो चुकी हूँ....
जवाब देंहटाएंनिशब्द हूँ कामिनी जी आपके इस अद्भुत भावपूर्ण सृजन पर।
लाजवाब...।
दिल से शुक्रिया सुधा जी,सराहना सम्पन्न आपकी प्रतिक्रिया पाकर हार्दिक प्रसन्नता हुई,सादर नमन आपको
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