सोमवार, 2 दिसंबर 2019

ब्लॉग का एक साल -" एक यादगार सफर "





  वो कहते हैं न कि -" शामें कटती नहीं और साल गुजर जाते हैं ",देखें न ,कैसे एक साल गुजर गया पता ही नहीं चला,हाँ आज मेरे ब्लॉग के सफर का एक साल पूरा हो गया। कभी सोचा भी नहीं था कि मैं अपना ब्लॉग बनाऊँगी ,ब्लॉग की छोड़ें कभी कुछ लिखूँगी ये भी नहीं जानती थी ,हाँ कुछ लिखने के लिए हर पल दिल मचलता जरूर था। तो ,जहाँ चाह होती हैं वहाँ राह खुद -ब -खुद मिल जाती हैं। हाँ ,कभी -कभी देर हो जाती हैं पर मिलती जरूर हैं और मुझे भी मिली। आज ही के दिन  सखी रेणु ने मेरे ब्लॉग को आप सभी से साझा किया था और  पहली टिप्पणी भी की थी और देखते ही देखते 4 -5 दिनों में ही आप सभी ने सहर्ष मुझे अपना लिया था। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था ,सब सपना सा लगता था।
सखी रेणु ,जो इस आभासी दुनिया में मेरी पहली प्रशंसक ,मार्गदर्शक और प्यारी सहेली बन कर आई। उन्होंने मेरे ब्लॉग का लिंक साझा कर मेरा परिचय ब्लॉग जगत के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों से कराया। मैं सखी रेणु की आजीवन आभारी रहूँगी  ,उन्होंने मुझे अपने स्नेह के काबिल समझा और साथ ही आप सभी दिग्गज साहित्य प्रेमियों से मुझे रूबरू भी कराया। अगर सखी रेणु ने मेरा साथ ना दिया होता तो मेरा ब्लॉग यूँ ही कही अंधकार में गुम होता। 
 ब्लॉग पर अपना पहला लेख तो मैंने 8 /10 /2018 को ही प्रकाशित किया था पर मैं समझ ही नहीं पा रही थी कि इसे साझा कैसे करूँ। मुझे तो ब्लॉग का B भी नहीं पता था। ब्लॉग का नाम मैंने पहली बार अपनी एक दोस्त (जो मुझसे 12 -13 साल छोटी हैं और इंटरनेट की दुनिया में पूरी तरह रची बसी हैं )के मुख से सुना था। आज से डेढ़ साल पहले जब मैं अपनी बेटी के साथ दिल्ली से मुंबई शिफ्ट हो रही थी तो मैं थोड़ी चिंतित थी कि मुंबई में मैं अपना वक़्त कैसे गुजारूंगी ,बेटी तो अपने काम पर चली जाएगी तो मैं क्या करुँगी ? अनजाना जगह ,ना कोई दोस्त ,ना रिश्तेदार ,पुरे दिन का खालीपन ये सोच मैं थोड़ी परेशान थी। दिल्ली में फुर्सत ही नहीं मिलती हैं ,दिन के  4 -5 घंटे तो होमियोपैथिक प्रक्टिस में ही गुजर जाता हैं फिर घर -परिवार ,दोस्त -रिश्तेदार इन सब में दिन कैसे गुजर जाता हैं पता ही नहीं चलता लेकिन वहाँ क्या करुँगी ये सोच में चिंतित हो रही थी।  जब मेरी दोस्त मुझसे मिलने आई तो बातों बातों में मैंने अपनी परेशानी उससे कही तो उसने कहा -दीदी आप ब्लॉग लिखना शुरू कर दे ,आप किसी भी विषय पर अच्छा बोल लेती हैं ,आपके खालीपन को दूर करने का ये अच्छा तरीका होगा। मैंने कहा -मुझे तो इंटरनेट का अच्छा ज्ञान भी नहीं हैं ,कैसे बनाऊंगी मैं ब्लॉग। उसने कहा -कुछ मुश्किल नहीं बस गूगल पर जाकर blogger .com टाइप करो और फिर फेसबुक की तरह उसपर अपना अकाउंट बना लो। उस वक़्त उससे ज्यादा कुछ जानने का समय  नहीं था। लेकिन ब्लॉग बनाना इतना भी आसान नहीं था वो भी उसके लिए जिसने अपना फेसबुक अकाऊंट भी खुद से नहीं बनाया हो। 
मुंबई आने पर महीना दिन तो व्यवस्थित होने में और घूमने में गुजर गया। उसके बाद जब बेटी काम पर जाने लगी तो बस ,मेरा अकेलापन मुझे काटने लगा। फिर अपनी दोस्त की कही बात याद कर मैंने गूगल सर्च करना शुरू किया,youtube पर सर्च कर ब्लॉग की एक एक बात समझने की कोशिश करने लगी। दो महीने के अथक प्रयास के बाद आख़िरकार मैं अपना ब्लॉग बनाने में कामयाब हुई। लेकिन ब्लॉग पर पाठक कहा से लाऊँ ,इसी खोजबीन में  मुझे शब्दनगरी मंच के बारे मै ज्ञात हुआ। मैंने उसपर अपना अकाउंट बनाया ,इस मंच से अपना लेख प्रकाशित करना मुझे थोड़ा आसान लगा। मैंने डरते डरते इस पर अपना एक  लेख  "प्यार एक रूप अनेक "प्रकाशित कर दिया। अगले दिन शब्दनगरी के द्वारा भेजे गए मेल को देख मेरी ख़ुशी और आश्चर्य का ठिकाना ना रहा ,उन्होंने मेरे लेख को "आज का सर्वश्रेष्ठ लेख "से सम्मानित कर मुख्यपृष्ठ  पर डाला था ,एक दो टिप्पणियाँ भी आ गई। मेरे लिए इतनी काफी था ,मैं कोई बड़ी साहित्यकार तो हूँ नहीं और नाही मुझमे बहुत ज्यादा प्रसिद्धि के चाह थी।  मैंने सोचा  इसी बहाने अच्छी अच्छी रचनाएँ पढ़ने को भी मिल जाएगी और कुछ लिखने का भी प्रयास करती रहूँगी ,मुझे अच्छा लगने लगा। मेरा सौभाग्य मेरी लगभग सभी लेखो को शब्दनगरी नै सर्वश्रेष्ठ लेख से सम्मानित किया ,इसके लिए मैं हमेशा शब्दनगरी की आभारी रहूंगी। 
फिर एक दिन  शब्दनगरी पर लिखे मेरे एक लेख पर सखी रेणु की प्रतिक्रिया आई। उनके स्नेहिल पहली प्रतिक्रिया से ही मुझे अपनत्व का एहसास होने लगा। हम बहुत जल्द एक दूसरे से घुल -मिल गए। वैसे आभासी दुनिया में मैं जल्दी से किसी से मित्रता करने में थोड़ी झिझकती हूँ। लेकिन  रेणु से मिलकर मुझे अच्छा लगने लगा। रेणु  ने मुझे अपने ब्लॉग पर आने का निमंत्रण दिया और साथ ही ये भी कहा कि -कामिनी तुम अपना ब्लॉग बनाओं ।मैंने रेणु को अपने ब्लॉग का लिंक भेजा और उनसे ये भी कहा कि वो मेरा मार्गदर्शन करें। अगले ही दिन रेणु ने मेरे ब्लॉग का लिंक आप सब से साझाकर मेरे जीवन में नई ख़ुशी ,नई ऊर्जा और नया उत्साह भर दिया। रेणु ने मुझे आप सब साहित्य प्रेमियों से मिलवाया ,साथ ही साथ मेरी टंकण अशुद्धियों के लिए भी मुझे सचेत करती रही ,मैं हमेशा रेणु की आभारी रहूँगी। 
एक सखी का हाथ थामकर चली थी पता ही नहीं था आगे सफर में मुझे इतने सारे संगी -साथियों का सानिध्य और स्नेह मिल जाएगा। आदरणीया  बिभा दी ,यशोदा दी ,साधना दी जैसे सम्मानित रचनाकारों का आशीर्वाद मिला ,आदरणीया  कुसुम जी ,मीना भरद्वाज जी ,मीना शर्मा जी ,सुजाता जी ,शुभा जी ,सुधा देवरानी जी ,अनुराधा जी ,अभिलाषा जी ,ज्योति जी,कविता जी ,नीतू जी जैसी स्नेहिल सखियों का स्नेह ,सहयोग और प्रोत्साहन मिला ,मेरे ब्लॉग पर इनकी निरंतर उपस्थिति ने हर पल मेरा मनोबल बढ़ाया और मैं कुछ अच्छा लिखने का प्रयास करती रही हूँ। इतना ही नहीं श्वेता जी ,अनीता सैनी जी और अनु जी जैसी प्यारी बहनो का साथ मिला जिन्होंने मेरी रचनाओं को " पाँच लिंको का आनन्द "और चर्चामंच जैसे प्रतिष्ठित मंचो पर साझा कर मुझे अपने स्नेह डोर से बांध लिया। 
आदरणीय दिग्विजय अग्रवाल जी ,रूपचन्द्र  शास्त्री जी ,रविंद्र सिंह यादव जी ,सुशील कुमार जोशी जी , विश्वमोहन जी ,ज्योति खेर जी ,पुरुषोत्तम जी ,दिगंबर जी जैसे ब्लॉग जगत के प्रतिष्ठित वरिष्ठ रचनाकार जिनकी रचनाओं को पढ़ने तक का सौभाग्य भी मुझे शायद कभी नहीं मिलता, उनके रचनाओं को पढ़ने का आनन्द भी मिला और उनका स्नेह ,आशीर्वाद और प्रोत्साहन पाकर मैं धन्य हुई। आदरणीय शशि जी ,लोकेश जी ,पंकज प्रियम जी रोहतास जी ,संजय भास्कर जी जैसे प्रतिष्ठित साहित्यकरों ने मेरी  रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देकर मेरा उत्साहवर्धन करते रहे। मैं कहाँ इस काबिल थी कि आप सभी का सानिध्य पा सकती थी ,आप सभी से जुड़कर मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानती हूँ। इस एक साल में जीवन ने मुझे बहुत बड़ा सदमा भी दिया परन्तु आप सब के बीच रहकर मैं उससे भी जल्दी उभर पाई। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास हैं कि आप सभी का  स्नेह और सहयोग मुझे हमेशा मिलता रहेगा। अगर इस एक साल के सफर में मुझसे कभी भी कोई भूल हुई हो तो मैं आपसभी से क्षमाप्रार्थी हूँ।  आप सभी का तहे दिल से आभार और सादर नमस्कार 
मेरा पहला लेख जिसमे अनगिनत गलतियाँ थी
हर पल सिखाती जिंदगी

52 टिप्‍पणियां:

  1. पहला वर्षगाँठ पर शुभकामनाएँ
    सादर

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    1. सहृदय धन्यवाद यशोदा दी ,आप सभी के आशीर्वाद और सहयोग से ही मुझे ये ख़ुशी मिली हैं ,सादर नमस्कार आपको

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  2. लेखन का यह खूबसूरत सफ़र अनवरत चलता रहे प्रिय कामिनी जी...आपकी रचनाएँ सादगी और सरलता से अपनी बातें कहती है और मन छू जाती है।
    समस्या स्त्रियों या बच्चों एवं बुजुर्गों से संबंधित हो या प्रकृति,पर्यावरण या फिर सामाजिक विद्रूपताओं से आपकी लेखनी निष्पक्ष और निडर होकर सदैव सशक्तता रही है।
    मेरी बहुत सारी शुभकामनाएँ प्यार और बधाई भी स्वीकार करें।
    सादर।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता ,आप सभी का साथ ,सहयोग और स्नेह पाकर ही आगे बढ़ पाई हूँ ,आभारी हूँ आप सभी की ,सादर स्नेह

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  3. वाह ! ब्लॉग जगत में आपका आगमन और एक वर्ष की यात्रा का सुंदर लेख-जोखा आपने दिया है, बहुत बहुत बधाई !

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी ,मेरे ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति पाकर आपार हर्ष हुआ ,सादर नमस्कार

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  4. कामिनी जी, बहुत दिल से लिखा गया आपका ये लेख सहज व्यवहार और सादगी भरा लेखन आकर्षित करता है तथा सबको अपनेपन से भर देता हैं ... लिखती रहे और आगे बढ़ती रहे...ईश्वर से यही प्रार्थना आपकी कलम ऐसे ही निरंतर चलती रहे......शुभकामनाएं

    सादर
    संजय भास्कर

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    1. सहृदय धन्यवाद संजय जी ,आप सभी ने मेरा मनोबल बढ़ाया तभी मैं ये सफर तय कर पाई ,सादर

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  5. चरैवेति। चरैवेति।। शुभकामनायें।।।

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    1. सहृदय धन्यवाद विश्वमोहन जी ,इस नए सफर में आप सभी ने मेरा हाथ थामे रखा तभी तो चलना संभव हुआ वरना सफर तय करना तो दूर चलना भी मुश्किल होता ,सादर नमस्कार

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  6. आप बहुत अच्छा लिखती हैं। बहुत से स्नेह और बधाई के साथ शुभकामनाएँ।

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    1. तहे दिल से शुक्रिया मीना जी ,आप सभी का स्नेह पाकर बस कुछ टूटी -फूटी लिख लेती हूँ ,मैं कहा इस काबिल हूँ ,आभार आपका

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  7. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं
    बेहतरीन रचनाओं का ब्लॉग
    💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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    1. सहृदय धन्यवाद लोकेश जी ,आप सभी ने सराहा इसीलिए कुछ लिखने की कोशिश करती रही हूँ,सादर आभार

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  8. बहुत सारी शुभकामनाएँँ।
    सरल, मधुर, समसामयिक एवं जनोपयोगी लेखन है आपका।
    लिखते रहें।
    प्रणाम।

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    1. जी कामिनी जी,
      रेणु दी ने मेरे ब्लॉग को भी सुंदर और सुलभ बना दिया था।
      इसीकारण तो मैं आप सभी तक पहुंच सका। इस ब्लॉग जगत में स्नेह करने वाले मुझे अनेक लोग भी मिले है।
      प्रणाम।

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    2. सहृदय धन्यवाद शशि जी ,मैं कोई साहित्यकार तो हूँ नहीं बस आपकी ही तरह दिल के बातों को शब्दों में पिरो लेती हूँ वो भी आप सभी का प्रोत्साहन पाकर सादर नमस्कार

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  9. सबसे पहले मेरी बधाई स्वीकार करें सखी कामिनी जी । ये सिलसिला निरंतर यूँ ही चलता रहे ईश्वर से यही प्रार्थना है ।आप लिखती बहुत अच्छा हैं 👌👌👌

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    1. हृदयतल से धन्यवाद शुभा जी ,बस आप सभी का स्नेह और प्रोत्साहन पाकर कुछ लिखने का साहस कर पाती हूँ सखी ,उम्मीद हैं ये स्नेह हमेशा बना रहेगा ,सादर नमन

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  10. बहुत बहुत बधाई कामिनी जी । आप की लेखन यात्रा अनवरत जारी रहे इन्हीं शुभकामनाओं सहित ...सस्नेह

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    1. हृदयतल से धन्यवाद मीना जी ,आप सभी की मैं दिल से शुक्रगुजार हूँ आप सभी के प्रोत्साहन ने ही मुझे इस सफर में चलना सिखाया वरना ये सम्भव नहीं हो पाता ,सादर नमन आपको

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  11. आपको एक वर्ष पूरा करने की हार्दिक बधाई .... रेनू जी ने निरंतर ब्लॉग जगत में एक स्नेहिल मित्र, मार्ग दर्शक और अभिभावक का एहसास रखा है और हर पढने वाले की वाल को गहराई से विस्तार दिया है ... उनका स्नेह सभी पे बना रहे ... आपकी लेखनी से निकले कई संवेदनशील विषय सहज ही पढने वाले को आकर्षित करते हैं ... और वो बह जाते हैं आपकी लेखनी के साथ ...
    आप ऐसे ही निरंतर लिखती रहे ... मेरी बहुत बहुत शुभकामनायें हैं ...

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    1. दिल से शुक्रिया आपका दिगंबर जी ,आपने सही कहा सखी रेणु जिससे भी जुड़ती हैं दिल से उसे सहयोग ,प्रोत्साहन तो देती ही हैं साथ ही साथ उनका मार्गदर्शन भी करती हैं। आप सभी के साथ एवं सहयोग ने ही मेरा मनोबल बढ़ाया और मैं ये सफर तय कर पाई ,सादर नमस्कार आपको

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  12. ब्लॉग जगत पर सशक्त लेखन का एक वर्ष पूरा होने की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं सखी💐💐💐💐🌹

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    1. तहे दिल से धन्यवाद सखी ,हमारा साथ यूँ ही बना रहे यही ईश्वर से कामना करती हूँ ,सादर आभार सखी

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  13. प्रिय कामिनी जी आपके एक वर्ष के ब्लाग जगत के शानदार सफर के लिए बहुत बहुत बधाई।
    आपने बहुत सुंदर धन्यवाद ज्ञापन किया है।
    सभी सह ब्लागरों को नाम से संबोधित किया जो एक अपनापन कायम करता है ,
    आपका पहला रेणु बहन द्वारा लिंक लेख से आज तक के बहुत से लेख मैंने पढ़े हैं आपके सभी लेख जीवन के आसपास के सहज सामायिक और सार्थक होते हैं जिनमें यथार्थ के साथ-साथ प्रेरणा और समाधान होते हैं।
    आप सदा यूं ही लिखती रहें और हमें सदा अभिनव पढ़ने को मिलता रहे ।
    फिर से अशेष शुभकामनाएं।

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    1. तहे दिल से धन्यवाद कुसुम जी ,लिखने वाले से ज्यादा पढ़ने वाले का महत्व होता हैं कुसुम जी , मेरे प्रत्येक लेख पर सराहना और उत्साहवर्धित करती आपकी सतत प्रतिक्रिया नै मुझे बहुत बल दिया है ,मैं आप सभी की दिल से शुक्रगुजार हूँ इसलिए हर एक को वक्तिगत रूप से शुक्रिया अदा करना था मुझे ,मैं बहुत सौभाग्यशाली हूँ कि ब्लॉगजगत में मुझे आप सभी जैसे स्नेहिल साथियों का साथ मिला ,सादर नमस्कार आपको

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  14. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  15. प्रिय कामिनी, तुम्हें ब्लॉग जगत में अपना एक साल पूरा करने पर हार्दिक बधाई सखी |तुम ब्लॉग जगत में अपना मौलिक लेखन और चिंतन लेकर आई थी , जिनके चलते तुम्हें अपार लोकप्रियता मिली | सच कहूं तो लेखन के समानांतर शिष्टाचार और शालीन व्यवहार भी लोकप्रियता में अहम् भूमिका निभाते हैं |तुम में सब खूबियाँ मौजूद हैं | ब्लॉग पर सरल , स्नेहिल व्यवहार और विमर्श को आगे बढ़ाने की लालसा तुम्हें विशेष बनाती है | सखी तुम यूँ ही आगे बढो | मेरा प्यार और शुभकामनायें अहर्निश तुम्हारे लिए रहेंगी |और तुमने मुझे महत्व दिया,ये तुम्हारा निश्छल स्नेह है सखी।मैं अगर ना भी होती तुम देर सवेर अपना रास्ता ढूंढ ही लेती, पर मा शारदे ने मुझे माध्यम बनने का सुअवसर दिया ये मेरा सौभाग्य हैं।हमें निश्चित रूप से बहुत ही स्नेहिल मित्रमंडली मिली है ,जिन्होंनेकभी मुझे भी एक अपरिचित के रूप में बहुत उदारता से अपनाया था। सो ये ही जीवन का मूल मंत्र है __ साथी हाथ बढ़ाना _कल शायद कोई ऐसा मिले , जिसे तुम्हारी जरूरत हो। अपने लेखन को विस्तार देते हुये तुम यूँ आगे कदम बढाती रहना। एक बार फिर बधाई और प्यार 🌹🌹🥞🌹🌹🥞🌹🌹🥞💐💐💐🌹🌹🌹🌹

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    1. प्रिय सखी रेणु ,तुम्हे क्या कहूँ ,तुम्हारे लिए तो धन्यवाद शब्द भी छोटा जान पड़ता हैं ,ये सच हैं सखी की परमात्मा किसी न किसी को निमित बनता हैं मेरे लिए तुम्हे बनाया। लेकिन ये भी सच हैं वो निमित इतनी प्यारी हो ये जरुरी नहीं। मैंने पहले भी तुम से अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं कि -तुम मुझे बचपन की बिछुड़ी हुई सहेली जैसी लगती हो। हमारा साथ यूँ ही बना रहे बस यही प्रार्थना हैं। सखी तुमने लैपटॉप के बारे में पूछा था तो लैपटॉप अब बनने के लायक नहीं रहा अब शायद नया ही लेना होगा और वो कब तक होगा पता नहीं। बेटी की एक दोस्त एक सप्ताह के लिए घर गई हैं तो अपना लैपटॉप मुझे दे गई हैं। तभी तो मैं सभी को धन्यवाद कह पाई वरना मुझे तो लगा था कि -मुझे सभी के प्रति अपना आभार व्यक्त करने का सुअवसर भी नहीं मिल पायेगा। एक बार फिर से तुम्हे शुक्रिया सखी ,साथ में ढेर सारा स्नेह भी।

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  16. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (04-12-2019) को     "आप अच्छा-बुरा कर्म तो जान लो"  (चर्चा अंक-3539)     पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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    1. सहृदय धन्यवाद सर ,मेरे लेख को चर्चमंच पर साझा करने के लिए आभार आपका ,सादर नमस्कार

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  17. सहृदय धन्यवाद यशोदा दी ,मेरे लेख को साझा करने के लिए ,सादर नमस्कार आपको

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  18. हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई कामिनी जी एक साल का खूबसूरत सफर तय करने की...
    आपके लेख कल्पनाओं से परे यथार्थ और अनुभव के आधार पर पाठक को सच का आइना दिखाते हैंं
    इसलिए अपने आप में विशिष्ट हैं और हमारा सौभाग्य है कि हमें आपको पढ़ने का सुअवसर मिला .....हमारा साथ हमेशा यूँ ही बना रहे ।और आप हमेशा सफलता के सौपान चढ़ती रहें ईश्वर से यही प्रार्थना है...
    सस्नेह शुभकामनाएं।

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    1. सहृदय धन्यवाद सुधा जी ,ये आप सभी के स्नेह और प्रोत्साहन से ही सम्भव हुआ वरना मैं कहाँ इस काबिल थी ,सादर नमस्कार एवं आभार आपका

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  19. ढेर सारी बधाई आदरणीया कामिनी दीदी ब्लॉग का एक वर्ष सफलतापूर्वक पूरा करने के लिये. आपके ब्लॉग पर समसामयिक लेख बहुत प्रभावशाली होते हैं जिनमें सामाजिक जीवन के उतार-चढ़ाव बख़ूबी नज़र आते हैं. आपका चिंतन समाजोपयोगी है जिसे ख़ूब पढ़ा जाना चाहिए.
    आप इसी ऊर्जा से लिखते रहिए और अपना कृतित्व गढ़ते चलिए.
    पुनः बधाई एवं बहुत सारी शुभकामनाएँ.
    सादर

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    1. दिल से शुक्रिया अनीता जी ,मेरी इस सफर को खुशनुमा बनाने में आपका भी बहुत सहयोग हैं ,आप बहनों का साथ पाकर ही तो ये सफर इतना सुहाना हुआ ,ज्यादा की चाह भी नहीं मुझे आप सभी का स्नेह और साथ बना रहे मेरे लिए काफी हैं। ढेर सारा स्नेह बहन

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  20. प्रिय कामिनी दी, ब्लॉग के प्रथम सालगिरह की बहुत बहुत बधाई। आप जो भी लिखती है दिल से लिखती हैं इसलिए वो दिल को छू जाता हैं। आपबीसी तरह लिखती रहे यही शुभकामनाए।

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    1. सहृदय धन्यवाद ज्योति बहन , आप सभी जुड़कर ही ये साहस कर पाई मैं ,आभार आपका एवं सादर स्नेह

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  21. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरूवार 5 दिसंबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सहृदय धन्यवाद सर ,मेरी ख़ुशी को सब से साझा करने के लिए दिल से आभार आपका एवं सादर नमन

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  22. .. माफ कीजिएगा मैं ही सबसे पीछे रह गई आपको शुभकामनाएं देने में ब्लॉग जगत में 1 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आपको मेरी ओर से भी बहुत ढेर सारी शुभकामनाएं आपकी कलम की नॉक में मां सरस्वती की कृपा हमेशा बरकरार रहे.. बेहतरीन रचनाओ के साथ आने वाली कई सालों तक यूं ही अपनी कविताओं से पाठकों के दिलों में राज करते रहे.. और इस साहित्य सुधा में अपना परचम फैलाते रहे,
    एक बारगी और आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।

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    1. दिल से शुक्रिया अनु जी ,बहनें देर से आये या जल्दी स्नेह तो कम नहीं होता न ,आप मेरी ख़ुशी में शामिल हुई मेरे लिए यही काफी हैं। सादर स्नेह आपको

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  23. एक झिझक ही होती है कि पता नहीं मेरे विचारों को कोई कैसे लेगा पर एक बार जरा सी हिम्मत कई द्वार खोल देती है ! आज देखिए कितने स्नेही मित्र अपनी शुभकामनाओं के साथ आपके साथ हैं

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    1. सहृदय धन्यवाद गगन जी ,बिलकुल सही कहा आपने ,पहले लेख को प्रकाशित करते समय यही झिझक हुई थी पर दिल ने कहा कोई पढ़े ना पढ़ें ,कोई सराहे ना सराहे परन्तु अपने मन की बातों को बेझिझक लिख दूँ ,बस यही सोच लिखती गई ,आप सभी नै हौसला बढ़ाया और आप सभी का स्नेह पा यहॉँ तक आ गई ,उम्मीद हैं ये स्नेह और सहयोग यूँ ही बना रहेगा। सादर नमन आपको

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  24. उत्तर
    1. आदरणीय रश्मि जी ,क्षमा चाहती हूँ आपने ब्लॉग का जो लिंक दिया था वो खुल ही नहीं रहा हैं ,अतः मैं ब्लॉग पर उपस्थित नहीं हो पाई और हमें पता ही नहीं चला कि -आपने मेरे ब्लॉग की रचना को " ब्लॉग बुलेटिन "जैसे सम्मानित मंच पर स्थान दिया हैं। इसलिए आपका धन्यवाद भी नहीं कर पाई। वो तो आभार सखी रेणु का जिन्होंने ने मुझे सूचित किया वरना मुझे तो पता ही नहीं चलता। मैं दिल से आपकी आभारी हूँ जो आपने अपने मंच पर मुझे स्थान दिया ,सहृदय धन्यवाद एवं सादर नमस्कार

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  25. आभार कामिनी जी आपके स्नेह के लिये। लिखती रहें। शुभकामनाएं।

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    1. सहृदय धन्यवाद सर ,आपके प्रोत्साहन एवं सहयोग के लिए जिसने मेरे सफर को खुशनुमा बनाया ,सादर नमस्कार आपको

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kaminisinha1971@gmail.com

"नारी दिवस"

 नारी दिवस " नारी दिवस " अच्छा लगता है न जब इस विषय पर कुछ पढ़ने या सुनने को मिलता है। खुद के विषय में इतनी बड़ी-बड़ी और सम्मानजनक...