शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2022

"एक मुलाकात संगीता दी के साथ"




ब्लॉग जगत एक ऐसा संसार जहाँ अपनी काबिलियत और शिष्टाचार से किसी की नज़र में अपनी पहचान तो बना सकते हैं परंतु सबके दिलों पर राज वहीं कर सकता है जिसके व्यवहार में एक ठहराव हो, जिसके कुछ भी कहने के लहजे में अपनत्व हो, जिसका भाव निष्पक्ष हो,जो सांकेतिक शब्दों में ही आपके गुणों की भी प्रशंसा कर दें और आपकी कमियों को भी समझा दें । हमारे ब्लॉग जगत की एक ऐसी ही  शख्सियत है हमारी प्रिय संगीता दीदी।

 मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक आभासी दुनिया जहाँ हम सिर्फ नाम से और उनके लेखन से एक दूसरे को जानते और पहचानते हैं वहाँ से कोई दिल का रिश्ता भी जुड़ सकता है। लेकिन ये सम्भव है और मेरे साथ हुआ भी।

     एक- दो महीने पहले जब ब्लॉग पर मेरी उपस्थित कम हो रही थी तो संगीता दीदी ने फेसबुक पर मेसेज करके पुछा कि -"सब ठीक है न आज कल नज़र नहीं आ रही हो।" दीदी के इस अपनत्व भरे व्यवहार से मेरे दिल में उनके प्रति अपार श्रद्धा भाव उत्पन्न हो गया। मुझे लगा कि-"उन्हें क्या जरूरत थी एक आभासी रिश्ते की इतनी परवाह करने की" और फिर मैंने दी को कॉल किया। मैंने दीदी को बताया कि-इन दिनों मैं दिल्ली में हूँ और थोड़ी व्यस्त हूँ फिर बातों-बातों में पता चला कि दी तो मुझसे बस 6-7 किलोमीटर दूरी पर ही है।दी ने कहा - "अकेले सफर करना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल है तुम चाहो तो मुझसे मिलने आ सकती हो" मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ, मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई। "संगीता दीदी" ब्लॉग जगत की सबसे पुरानी  जानीमानी और हर दिल अजीज शख्सियत, कौन नहीं मिलना चाहेंगा उनसे और मैरी तो आदर्श है। 

   लेकिन... खुद के चाहने से क्या होता है जब तक वक्त ना चाहे।दी से बात किए हुए एक महीना गुजर गया मगर किसी ना किसी कारण वश जाना संभव नहीं हो रहा था।दी का एक बार फोन भी आ गया कि- "तुम आईं नहीं।" फिर 11अकटुबर को वो शुभ दिन आ ही गया।मैं अपने पतिदेव के साथ ही गई थी। जैसे ही हम दी के फ्लैट पर पहुंचे वो बाहर ही इन्तजार कर रही थी।उनका शांत सौम्य और आकर्षक व्यक्तित्व.....दरवाजे पर ही मन मोह गया। फिर बातों का सिलसिला शुरू हुआ, ब्लॉग जगत की बहुत सारी बातें, तभी सर आ गए (दीदी के पतिदेव) उनसे मिलना तो ऐसा रहा जैसे एक के साथ दुसरा मनचाहा तोहफा मिल गया हो "दीदी अगर सोना तो वो सुहागा" फिर तो इतना मजा आया कि मैं शब्दों में नहीं बता सकती। दोनों ही जिन्दा दिल शख्सियत..चाय नाश्ते का दौर चला...लगा ही नहीं कि पहली बार किसी से मिलना हो रहा है। सर ने जब मेरे माथे पर हाथ रखकर मुझे अशीष दिया तो लगा जैसे मेरे बड़े भाई ने मेरे सर पर हाथ रख दिया हो, मेरी आंखें नम हो गई। चलते वक्त दी ने पूछा -"हमलोगों से मिलकर कैसा लगा तुम्हें।" मैंने कहा-ब्लॉग  पर लेखन से सम्बंधित बहुत कुछ सीखा है आप से मगर आज जीवन की एक बहुत बड़ी सीख लेकर जा रही हूँ -"उमर के इस दौर को जिस जोश, उत्साह और जिन्दा दिली से आप दोनों गुजार रहे हैं न"....इस जीवन जीने के तरीके को हम पति पत्नी भी अपनाएंगे। 

    मुझे लगता है "जहाँ में ऐसा कोई नहीं जिसे कोई गम न हो और जीवन के आखिरी पड़ाव पर तो कभी सेहत को लेकर कभी बाल-बच्चों को लेकर लोग कोई ना कोई दुःख और कमजोरी पल ही लेते है और उसी से कुंठाग्रस्त रहते हैं" लेकिन दी और सर ने भगवान की दी हुई अनमोल जीवन के पलों को ख़ुशी-ख़ुशी गुजरने के लिए खुद को बड़े ही मनोयोग से संतुलित किया हुआ है...बिना भगवान से कोई शिकवा-शिकायत किये हुए। उनके जीवन जीने की इस कला ने मुझे बहुत प्रभावित किया। संगीता दीदी से मिलना मेरे लिए बेहद सुखद अनुभव रहा। 


दीदी और सर को दिल से शुक्रिया और सादर नमन 








32 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (15-10-2022) को "प्रीतम को तू भा जाना" (चर्चा अंक-4582) पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. अपने दो प्रिय व्यक्तित्व को एक साथ फोटो में देखना मेरे लिए सुखद अनुभूति है । बहुत अच्छा लगा आपकी मुलाक़ात का प्रसंग पढ़ कर । आपको और संगीता दीदी को सस्नेह सादर वन्दे !

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    1. प्रिय मीना ,
      स्नेहिल शब्दों से अभिभूत हूँ।

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    2. आपका स्नेह अनमोल है दीदी ! आपका स्नेहिल सानिध्य अपार ख़ुशी देता है 🌹🙏

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    3. आपका भी स्नेह अनमोल है, आपसे भी किसी दिन जरूर मिलूंगी ☺️🙏

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    4. मैं भी सोचती हूँ अब की बार मुम्बई आऊँ तो आप भी वहीं हो 😊

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  3. प्रिय कामिनी ,
    इस मुलाकात का पूरा श्रेय तुमको ही है । मैं भी मिलना चाहती थी । लेकिन मेरी अब कुछ लिमिटेशंस हैं , इसीलिए अपनी मजबूरी बता दी थी । तुमने समझा इसके लिए आभार । जितना भी समय मिला , मुझे बहुत आनंद आया । उतने ही समय में तुम्हारी बेटी से भी विडिओ काल पर मुलाकात हो गयी । बहुत अच्छा लगा । मिलने का सिलसिला यहीं नहीं रुकना चाहिए । हमेशा इंतज़ार रहेगा । सस्नेह ।

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    1. आपका आमंत्रण इतना स्नेहिल था कि मुझे तो आना ही था और मेरी पुरी कोशिश होगी कि ये सिलसिला जारी रहें,🙏

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  4. कामिनी दी, सच मे ब्लॉग की आभासी दुनिया में कई ब्लॉगर साथी ऐसे है कि लगता ही नही की इन लोगों से मैं कभी असल जिंदगी में मिली ही नही हूं। आप दोनों को एक साथ देखकर विश्वास हो गया कि मैं भी ऐसे ही आपसे या अन्य ब्लॉगर साथियों से मिलूंगी। एक सुखद पल का आनन्द उठाउंगी।

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    1. आप सही कह रही है ज्योति जी, ऐसा लगता है कि हम सभी एक दूसरे को अच्छे से जानते हैं। संगीता दीदी से मिलकर भी यही लगा जैसे हम पहले कई बार मिल चुके हैं। जब आपकी चाह है तो हम जरूर मिलेंगे,आपके स्नेह के लिए हृदयतल से धन्यवाद 🙏

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  5. कामिनी जी, संगीता दी से आपकी यह मुलाकात वाकई बेहद खास है, और आपके विवरण को पढ़कर लग रहा है जैसे हम भी उसमें शामिल हो गए हैं. कुछ समय पहले मुझे आदरणीया गिरिजा जी का संदेश मिला था, उन दिनों वह भी बंगलूरू में थीं, मिलना तो नहीं हुआ पर फोन पर वार्तालाप हुआ और लगा ही नहीं कि हम पहली बार बात कर रहे हैं. २०१० से जब से ब्लॉग जगत में प्रवेश किया है, कई लोगों को, जिनमें आप दोनों भी शामिल हैं, मैं नियमित पढ़ती आ रही हूँ, उनसे आत्मीयता का अनुभव होना स्वाभाविक है.

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    1. आपने सही कहा अनीता जी, ये ब्लॉग जगत हमारा एक परिवार बन चुका है, और जब स्नेह है तो कभी न कभी मिलना भी होगा ही,हमारी खुशी में शामिल होने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपको 🙏

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  6. वाह! रोचक और मोहक भी!!! शुभकामनाएँ!!!!

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  7. यह मुलाकात वाकई बेहद खास है आभासी दुनिया में

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  8. धन्यवाद कामिनी जी मिलन की इस शुभ घड़ी की खुशियाँ हम सबसे साझा करने हेतु ।आप दोनो के मुलाकात से एक अजीब सी आशा मन में उत्पन्न हो रही है ऐसा लग रहा है जैसे सब कुछ बहुत सरल है, जैसे जब चाहें सबसे मिल सकते हैं ।
    काश कि ऐसा हो हमारे साथ भी ।
    बहुत बहुत बधाइयां आपको ...भगवान आपको ऐसे अवसर बार बार दे ।

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    1. आप ही ने कहा था कि इस मिलन के बारे में विस्तार से जानना चाहती हूं तो मुझे लगा सबको बताना चाहिए। आप से भी मिलना जरुर होगा, यकिन है मुझे, हमारी खुशी में शामिल होने के लिए हृदयतल से धन्यवाद आपको 🙏

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  9. वाह बहुत ही सुन्दर सुखद और रोमांचक पल
    संस्मरण पढ़ कर ऐसा लगा कि हम भी आदरणीया संगीता दीदी से साक्षात रुबरू हो रहें हैं।

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    1. हम जब मिले तो आप सभी की ही बातें हो रही थी तो आप सब भी शामिल ही तो थी सखी 🙏

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  10. सुखद पलों को बहुत ही कोमल भावों से गुंथा है।आदरणीया संगीता दी की सौम्य छवी किसी का भी मन मोह लेती है। आपकी ख़ुशी शब्दों में छलक रही है। बहुत सुंदर। आप दोनों को ख़ूब बधाइयाँ।
    सादर

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  11. कितना सुखद समय रहा होगा जब आप दोनों साथ रहे होंगे । ब्लॉग की दुनिया में अपनत्व ही इतना है कि दो दिन दूर रहो तो लगता है कुछ खो सा गया है, संगीता दीदी से जैसे अभिभावक का रिश्ता बन गया है कितना कुछ सीख रहे हैं, विनम्रता, लगन और प्रोत्साहन सभी कुछ ।कामिनी जी आपका निरंतर स्नेह और प्रोत्साहन के क्या कहने ? आप दोनो को शुभकामनाएं ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद जिज्ञासा जी, आपने सही कहा संगीता दीदी से अभिभावक सा रिश्ता ही बन गया है मेरी कोई बड़ी बहन नहीं है लेकिन उनसे मिलकर लगा बहन तो थी मगर अब तक मैं अनजान थी ☺️

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  12. सभी के स्नेह और खूबसूरत टिप्पणियों के लिए हृदय से आभार ....... यूँ ही रिश्ते बने रहें .

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  13. प्रिय कामिनी, ब्लॉग जगत की सशक्त रचनाकार और एक बहुत ही उदार व्यक्तित्व की धनी हम सब की प्रिय संगीता दीदी से मिलने की लालसा किसको ना होगी!
    ब्लॉग जगत भी हमारे परिवार की तरह ही बन गया है।एक प्रगाढ़ आत्मीयता का आभास होता है हर सदस्य के प्रति।तुम्हें मौका मिला और तुमने लपक लिया ये सचमुच बहुत ही प्यारा संयोग है।तुमसे ही पता चला कि दीदी दिल्ली में रहती हैं।यूँ तो मेरा भी दिल्ली वसंत कुन्ज कई बार जाना हुआ पर दौड भाग में ही जाना रह्ता है।सुबह यहाँ से भागो तो शाम को वहाँ से।पर फिर भी यदि मुझे भी अवसर मिला तो ये मौका मैं भी छोड़ने वाली नहीं।संगीता दीदी बहुत प्यारी हैं। और साहित्य की गूढ समझ के साथ भावनाओं में पगा उनका लेखन मुझे बहुत अच्छा लगता है।साथ में एक चर्चाकार के रूप में सबको साथ लेकर चलने की उनकी क्षमता ने ब्लॉग जगत को नई ऊर्जा प्रदान की है। उनको सस्नेह शुभकामनाएँ और तुम्हें आभार इस सुन्दर अनुभव को साझा करने के लिए।

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    1. सही कहा तुमने सखी,मेरा सौभाग्य जो मैं दी से मिल सकी

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  14. प्रिय रेणु ,
    हमेशा तुम्हारा स्वागत है । दौड़ भाग करते हुए कभी मेरे घर तक की दौड़ भी लगा लेना । सस्नेह।

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  15. अद्भुत आदरणीया संगीता जी और आप दोनों को सुंदर आत्मीय मुलाक़ात के लिए बधाई और सादर अभिवादन

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  16. बहुत ही मनमोहक ...! मुझे ब्लॉग जगत पर आए हुए अभी दो साल ही हुए हैं जिनमें एक साल तो ब्लॉग से न चाहते हुए भी दूरी बनानी पड़ी पर इन्ही चंद वर्षों में कुछ इतने खास लोग मिल गए हैं जिनसे बेटी या छोटी बहन वाला जुड़ाव महसूस होता! सब इतने प्यारे है और अच्छे कि शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है! मुझे ब्लॉग जगत के सभी लोग इसलिए भी बहुत प्यारे लगते हैं क्योंकि यहाँ अधिकतर मेरे माँ या पिता के उम्र के है जिनके पास अनुभावों का भण्डार है और प्यार है जिससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है ! जो दिखावा बहुत कम ही करते हैं जैसे युवा लोग करते वैसा कुछ नहीं करते हैं! मुझे ब्लॉग जगत के लोग ज्यादा सच्चे लगते बाकि शोसल प्लेफॉर्म की तुलना मे! मुझे भी बहुत जल्द ब्लॉग जगत एक साथी से बहुत जल्द मिलने का अवसर प्राप्त हो सकता है! 😊😊😊

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