जब भी स्वप्न कोई टूटा
पलकों को सहला दिया
शूल चुभा कोई दामन में
होठों से दर्द चुरा लिया
जब छलका आँखों से आँसू
एक मीठी लोरी सुना दिया
जब भी थका सामर्थ्य मेरा
उम्मीद किरण दिखला दिया
राह सूनी जब घुप्प अँधेरा
पथ में दीपक जला दिया
जब-जब जग ने ताने मारे
आँचल में तुमने छुपा लिया
पल-पल मुझे सँवारा तुमने
हो गई खुद की जर्जर काया
मेरा व्यक्तित्व निखारा तुमने
खुद का वज़ूद मिटा दिया
तू ज्ञान है तू ही प्रेरणा
तुमने ही जीवन दिया
धरती पर "माँ" तेरे रुप ने
ईश्वर दर्शन करा दिया
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 07 दिसम्बर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद दी,सादर नमन
हटाएंपल-पल मुझे सँवारा तुमने
जवाब देंहटाएंहो गई खुद की जर्जर काया
मेरा व्यक्तित्व निखारा तुमने
खुद का वज़ूद मिटा दिया
कामिनी दी, हर माँ का सच्चा रूप है ये।
बिल्कुल सही कहा आपने ज्योति जी, मां को शब्दों में समेटना असम्भव है। फिर भी जब कभी मां के स्नेह से मन अभिभुत हो जाता है... चन्द शब्दों दिल की गहराई से निकल ही जाते हैं,सादर नमस्कार आपको
हटाएंजब छलका आँखों से आँसू
जवाब देंहटाएंएक मीठी लोरी सुना दिया
जब भी थका सामर्थ्य मेरा
उम्मीद किरण दिखला दिया
माँ अपनी संतान की सर्वस्व है वहीं सन्तान के माँ के लिए समर्पण भाव भी पूजनीय हैं । अप्रतिम भाव लिए मनमोहक सृजन ।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद मीना जी,बस आज कल मां के प्रति अपना कर्तव्य निभाने में ही व्यस्त हूं,एक कोशिश की उसके किये का एक अंश मात्र भी उसकी सेवा कर सकूं, एक बार फिर से आभार आपका🙏
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर, आप का आशीर्वाद बना रहे,सादर नमस्कार
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा मंगलवार (07-12-2021 ) को 'आया ओमीक्रोन का, चर्चा में अब नाम' (चर्चा अंक 4271) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
मंच पर स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद सर, सादर नमन
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंपल-पल मुझे सँवारा तुमने
जवाब देंहटाएंहो गई खुद की जर्जर काया
मेरा व्यक्तित्व निखारा तुमने
खुद का वज़ूद मिटा दिया
बहुत ही गहरी बात कही आपने मैम
बहुत ही सुंदर व प्यारी रचना!
मां जितना प्यार है इस दुनिया में सच में कोई नहीं हो सकता मैं!
आपने बिल्कुल सही कहा मनीषा, बच्चों को भी मां के प्रति अपने कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए,ढ़ेर सारा स्नेह तुम्हें
हटाएंमाँ इसी का तो नाम है
जवाब देंहटाएंहां अनीता जी, आसान कहां है मां को परिभाषित करना,सादर नमन
हटाएंमाँ के अनेक रूप , हर पल ध्यान रखने वाली माँ को बच्चे बड़े हो कर भुला बैठते हैं तो बहुत कष्ट होता है माँ को ।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने दी, मां के इस कष्ट को एक मां ही समझ सकती है। मां के सेवा का सौभाग्य भी हर किसी को नहीं मिलता.. मुझे ये सौभाग्य हमेशा मिला है और इन दिनों मैं अपनी मां के सेवा में ही व्यस्त हूं जिसे डाक्टरों ने चन्द दिनों का मेहमान बता रखा है। आप के स्नेह के लिए आभारी हूं दी,सादर नमस्कार आपको
हटाएंओह , जान कर कष्ट हुआ । आपकी सेवा को ईश्वर सार्थक करे ।।
हटाएं🙏 दी
हटाएंनिःस्वर्थ भाव से औलाद का पालन पोषण करने वाली मां को परिभाषित करती आपकी सुंदर रचना के लिए आपको बहुत शुभकामनाएं और बधाई 💐💐
जवाब देंहटाएंमां को कहां कोई परिभाषित कर पाया है.. बस हम सब मां के प्रति अपने अगाध स्नेह को ही शब्द दे पाते हैं। सराहना हेतु हृदयतल से धन्यवाद जिज्ञासा जी, सादर नमन आपको
हटाएंतू ज्ञान है टप्प प्रेरणा है ... और माँ ऐसी ही होती है ...
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण, सहज और माँ से बात करती हुई रचना है ... माँ को पूर्णतः बयाँ करती रचना ...
सहृदय धन्यवाद दिगम्बर जी, आप से बेहतर मां को शब्दों में कौन समेट पायेगा,मेरा तो ये तुच्छ प्रयास भर है, सराहना हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं नमन आपको
हटाएंजब छलका आँखों से आँसू
जवाब देंहटाएंएक मीठी लोरी सुना दिया
जब भी थका सामर्थ्य मेरा
उम्मीद किरण दिखला दिया
वाह बहुत सार्थक रचना👍
बहुत बहुत धन्यवाद सर,सादर नमन
हटाएंसराहनीय रचना। धन्यवाद सहित।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर, स्वागत है आपका,🙏
हटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी सत्य।
बहुमूल्य उद्गार कामिनी जी।
तूने मुझको जन्म दिया माँ
तेरा ये उपकार रहा
तेरे पावन कर कमलों का
सर पर आशीर्वाद रहा।
सुंदर पोस्ट।
मेरी रचना को पुर्णता प्रदान करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी,सादर नमस्कार आपको
हटाएंतू ज्ञान है तू ही प्रेरणा
जवाब देंहटाएंतुमने ही जीवन दिया
धरती पर "माँ" तेरे रुप ने
ईश्वर दर्शन करा दिया
माँ में ही ईश्वर दर्शन है बस इतनी ही परिभाषा है माँ की...ईश्वर सी असीमित ...अलौकिक ....
और यही हमारा सौभाग्य कि इन चरणों की सेवा कर सकें ...आपको भी मिला है सुअवसर...।इससे आगे और इस स्थिति में जाकर कितनी बेदना है समझ सकती हूँ ..चन्द दिनों की मेहमान!!
पर कर भी क्या सकते हैं उसके आगे किसी का जोर भी तो नहीं चलता.. बस सेवा कीजिए भगवान आपको सामर्थ्य दे और आपकी सेवा को सफल बनाए।
बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन।
बड़ी अजीब अवस्था है सुधा जी,एक पल को लगता है कि कोई चमत्कार होगा और मां उठ खड़ी होगी और अगले पल उसकी पीड़ा देख दुआ करते हैं कि- है परमात्मा उसे मुक्ति दे दो।
हटाएंमां दुबारा नहीं मिलती।
हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सुधा जी 🙏
अपना सर्वस्व देकर भी जब किसी भी मां की उपेक्षा करते हैं बच्चे तो मन को गहरी ठेस पहुंचती है, मां जैैसा अन्य कोई भी नहीं है इस दुनिया में, फिर भी आजकल के हालातों को देख दुख होता है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
आपने सही कहा आजकल के हालात को देख बहुत दुःख होता है। जन्म देने वाली मां की भी इतना अवहेलना देखी नहीं जाती
हटाएंसराहना हेतु हृदयतल से धन्यवाद आपका