कहते हैं कि-" हमारे देश में तैतीस करोड़ देवी देवता निवास करते हैं " क्या ये सच हो सकता हैं ? हम तो तैतीस का नाम भी ठीक से नहीं जानते। फिर हमे क्यों बताया गया कि तैतीस करोड़ देवी -देवता हैं? ये बाते सतयुग के लिए कहते हैं और सतयुग में हर एक नर में नारायण का वास माना जाता था। "देवता "यानी देने वाला ,उस समय के हर एक मनुष्य में सिर्फ देने का गुण विद्यमान होता था कोई किसी से मांगता नहीं था। तो कही ऐसा तो नहीं कि-उस समय की जनसंख्या ही तैतीस करोड़ थी और सारे सदविचारों से परिपूर्ण ,खुद से पहले दूसरे के भले के बारे में सोचने वाले , नेक नियत वाले ,एक दूसरे पर विश्वास करने वाले थे ,सब केवल दुसरो को देना जानते थे ,मांगना या छीनना उन्हें नहीं आता था शायद इसीलिए उन्हें देवता की उपाधि दी गई थी और जो इन गुणों के विपरीत गुण वाले थे उन्हें दानव कहा गया। परमात्मा तो सिर्फ एक ही हैं तो बाकि इंसानो को दो श्रेणी में रखा गया हो " देवता और दानव "
जीवन का सारा खेल एक नज़र और नज़रिये का ही तो होता है ,किसी को पथ्थर में भगवान नजर आते है किसी को भगवान भी पत्थर के नज़र आते है----
शनिवार, 15 जून 2019
क्या हम अपने नौनिहालों को इंसानियत का पाठ पढ़ा पाएंगे ??
कहते हैं कि-" हमारे देश में तैतीस करोड़ देवी देवता निवास करते हैं " क्या ये सच हो सकता हैं ? हम तो तैतीस का नाम भी ठीक से नहीं जानते। फिर हमे क्यों बताया गया कि तैतीस करोड़ देवी -देवता हैं? ये बाते सतयुग के लिए कहते हैं और सतयुग में हर एक नर में नारायण का वास माना जाता था। "देवता "यानी देने वाला ,उस समय के हर एक मनुष्य में सिर्फ देने का गुण विद्यमान होता था कोई किसी से मांगता नहीं था। तो कही ऐसा तो नहीं कि-उस समय की जनसंख्या ही तैतीस करोड़ थी और सारे सदविचारों से परिपूर्ण ,खुद से पहले दूसरे के भले के बारे में सोचने वाले , नेक नियत वाले ,एक दूसरे पर विश्वास करने वाले थे ,सब केवल दुसरो को देना जानते थे ,मांगना या छीनना उन्हें नहीं आता था शायद इसीलिए उन्हें देवता की उपाधि दी गई थी और जो इन गुणों के विपरीत गुण वाले थे उन्हें दानव कहा गया। परमात्मा तो सिर्फ एक ही हैं तो बाकि इंसानो को दो श्रेणी में रखा गया हो " देवता और दानव "
रविवार, 2 जून 2019
विवाह -संस्कार
हिन्दू धर्म में जन्म से लेकर मरण तक कई संस्कार होते हैं जैसे -पुंसवन संस्कार ,अन्नप्रासन संस्कार ,मुंडन संस्कार ,उपनयन संस्कार ,विवाह संस्कार एवं दाह -संस्कार आदि।वैसे तो संस्कार सोलह माने गए है (कही-कही तो 48 संस्कार भी बताये गए है ) लेकिन ये छह संस्कार तो महत्वपूर्ण है जो अभी तक अपने टूटे- बिखरे रूप में निभाए ही जा रहे हैं। " संस्कार "यानि वो गुण जो सिर्फ आपके शरीर से ही नहीं वरन आत्मा तक से जुड़ जाते हैं। मान्यता ये है कि -आत्मा से जुड़े गुण एक जन्म से दूसरे जन्म तक स्थाई रूप से बनी रहती है। यदि आत्मा पूर्व जन्म से कोई दुर्गुण लेकर आयी भी है तो ये सारे संस्कार उस आत्मा की सुधि भी करते हैं और शायद इसीलिए विवाह संस्कार भी होते हैं और ये मानते हैं कि -विवाह एक जन्म नही वरन जन्म-जन्म का साथ होता है।
सोमवार, 20 मई 2019
दम तोड़ती भावनायें
"क्या ,आज भी तुम बाहर जा रहे हो ??तंग आ गई हूँ मैं तुम्हारे इस रोज रोज के टूर और मिटिंग से ,कभी हमारे लिए भी वक़्त निकल लिया करो। " जैसे ही उस आलिशान बँगले के दरवाज़े पर हम पहुंचे और नौकर ने दरवाज़ा खोला ,अंदर से एक तेज़ आवाज़ कानो में पड़ी ,हमारे कदम वही ठिठक गये। लेकिन तभी बड़ी शालीनता के साथ नौकर ने हमे अंदर आने का आग्रह किया। अंदर एक बड़ा सा गेस्ट रूम था जो सारे आधुनिक प्रसाधनो से सुसज्जित था। नौकर हमे बैठने का इशारा कर ये कह कर चला गया कि -मैडम को आप के आने की सुचना देता हूँ। अंदर जाते ही वो आवाज़ जो अब तक चीखने सा हो चूका था और तेज़ आने लगी।स्पष्ट हो चूका था कि पति पत्नी एक दूसरे पर चीख चिल्ला रहे हैं। मैंने अपनी दोस्त स्वाति की तरफ प्रश्नसूचक निगाह से देखा ,उसने धीरे से कहा -कोई बात नहीं न बैठो ,बड़े घरो में तो ये सब होता ही रहता है। मैंने कहा - क्या ,ये चीखना -चिलाना ? वो बोली - हां ,इग्नोर करो।
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