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गुरुवार, 7 दिसंबर 2023

माँ तुम बदल गयी हो...






माँ तुम बदल गयी हो....मनु ने बड़े प्यार से मुझे अपनी बाँहों में पकड़ते हुए कहा। अच्छा....कैसे बदली लग रही हूँ.....तुम्हे डांट नहीं लगा रही हूँ इसलिए। वो हँसकर थोड़ी इतराते  हुए बोली -अरे नहीं यार, मुझे पता है अब मैं बड़ी हो गयी हूँ और थोड़ी समझदार भी इसलिए....तुम मुझे नहीं डांटती.....मैं तो ये महसूस कर रही हूँ कि-तुम अब पहले से शांत हो गई हो,ना गुस्सा ना किसी बात पर रोक-टोक करना , ना किसी बात की चिंता-फ़िक्र करना,मैं जो भी कहती हूँ बिना सवाल किये "हाँ "कह देती हो सच कहूं तो अब तुम मुझे बच्ची सी प्यारी-प्यारी लगने लगी हो।

     मैंने हँसते हुए कहा-अच्छा! उसने कहा-हाँ बिल्कुल। मैं उसका हाथ पकड़कर अपने पास बिठाते हुए बोली-बेटा जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है न वैसे-वैसे खुद में कुछ बदलाव करना जरुरी होता है....बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए, उनके उज्वल भविष्य के लिए हमें सख्ती का आवरण ओढ़ना जरूरी होता है....लेकिन जब बच्चें बड़े हो जाते है और समझदार भी तो, हमें भी उनकी समझदारी पर भरोसाकर उनसे उचित दुरी बना लेनी चाहिए.....उनके भले-बुरे की चिंता भी उन्ही पर छोड़ देनी चाहिए....उनके निर्णय का सम्मान करना चाहिए.....जबरदस्ती की अपनी मर्जी उनपर नहीं थोपनी चाहिए। 

 बस, शांत भाव से उनपर छिपी हुई एक नज़र भर रखनी चाहिए जब कही कुछ गलती देखें तो एक बार समझा भर देना चाहिए ये कहते हुए कि- इस बात पर विचार करना मेरे मत से ये सही नहीं है इसका खामियाज़ा तुम्हे भविष्य में भुगतनी पड़ सकती है बस, इसके आगे मौन और जब बच्चें सफल और समझदार हो जाये तो फिर हर चिंता छोड़ देनी चाहिए हमें ये यकीन रखना चाहिए कि -आज तक हमने बच्चों का हाथ पकडे रखा है तो जब वक़्त आएगा तो वो भी हमें संभाल ही लगे।  और हाँ,जहाँ तक तुम्हारी बात मानाने का सवाल है तो चौबीस साल तक तुम मेरी बात को सर झुककर मानती रही हो तो अब ये मेरी बारी है.....क्युँ सही कहा न ? वो मुस्कुराते हुए मुझसे लिपट गई। 

एक बात और कहूँ बेटा "जैसे जैसे उम्र आगे बढ़ती है न हमें पीछे की ओर लौट ही जाना चाहिए यानि "बच्चा" ही बन जाना चाहिए तभी बच्चों का भरपूर प्यार मिलेगा और जीवन का असली आंनद भी " 

16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 10 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद दी,सादर नमन

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  2. सही और सटीक बात ... बच्चों के बड़े होते होते उनमें वैसे भी माँ बाप उतर आते हैं ... तो खुद को पीछे कर लेना अच्छा होता है ... उनका समय भी आना चाहिए ...

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    1. आपने बिल्कुल सही कहा,सहृदय धन्यवाद सर,सादर नमन

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  3. हृदय में उतर गई आपकी पोस्ट ।माँ-पुत्री के संवाद के रूप में आपने हर सन्तान और उनके माता-पिता के संबंध की ख़ूबसूरती बयान कर दी ।

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  4. वाह! सखी कामिनी जी , दिल को अंदर तक छू गई आपकी लघुकथा ..।

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    1. स्वागत है आपका रूपा जी,सादर आभार एवं नमन

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  6. शांत भाव से उनपर छिपी हुई एक नज़र भर रखनी चाहिए जब कही कुछ गलती देखें तो एक बार समझा भर देना चाहिए ।
    वाह!!!!
    बहुत सटीक सुंदर सीख के साथ अत्यंत भावपूर्ण हृदयस्पर्शी सृजन

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kaminisinha1971@gmail.com