फिर ...? फिर क्या... तय करते हैं अपना अपना सफर...निभाते हैं जन्मो से बंधे सारे प्रेम के बंधनो को...कही न कही, किसी सीमा पर....पुरे होंगे सारे कर्म ... टूटेगी सारी पावंदियाँ ...मुक्त होंगे हर बंधन से फिर मिलते हैं...। तब तक...?
मैं धरती ... तुम मेरे आकाश बन जाओ... एक दुरी पर ही सही.... रहेंगे हर पल आमने सामने ...एक दूसरे के नजरों के सामने ....दुनिया से नजरे बचाकर मिलते रहेंगे क्षितिज पर...। वो मिलन तो आभासी होगा न... नहीं जी सकता तुमसे दूर होकर ....तुम मेरे नजरों के सामने होगी पर मैं तुम्हे छू नहीं सकता.... मुझे तुम पर गुस्सा आ रहा हैं....। तो करों ना गुस्सा ....जब गुस्साना तो सूरज से ताप लेकर मुझे जलाना .....मैं जलूँगी तुम्हारी तपिस में ......यही तो सजा होगी मेरी....। तुम्हारी बहुत याद आएगी....। जब कभी मेरी याद आये, बादल बन बरस जाना मुझ पर .....मैं समेट लुंगी अपने दामन में तुम्हारे अश्कों के एक एक बून्द को ....भिगों लूँगी तुम्हारे आँसुओं में खुद को ....मेरी तपन भी कुछ कम हो जाएगी.....।जब कभी तुम्हे स्पर्श करने का दिल चाहा तो...। तब , चंदा से चाँदनी लेकर मेरी रूह को छू लेना तुम ....रोशन कर देना मेरी रोम रोम को ....तुम्हारी शीतल स्पर्श पाकर धन्य हो जाऊँगी मैं .....भूल जाऊँगी मैं भी अपने सारे गम ....तुम्हारा प्यार चाँदनी बन कर मेरी रूह को छूती रहेगी और मैं खुद को उसमे सराबोर करती रहूँगी.....। बीच में आमावस भी तो आता हैं फिर.....। फिर क्या ,हमें एक दूसरे को देखने के लिए किसी रौशनी की जरूरत तो नहीं.....हाँ , स्पर्श ना करने के वो दिन इंतज़ार में गुजारेगें ....।
दुनिया को दिखाने के लिए हम दूर दूर हैं..... पर देखो न , हमारा मिलन तो होता रहा हैं और होता रहेगा..... हमारे मिलन स्थल को ही तो दुनिया " क्षितिज " कहकर बुलाती हैं...... नादान हैं दुनिया, वो क्या जाने प्यार करने वाले ना कभी बिछड़े हैं ना बिछड़ेंगे .....वो हमारे मिलन स्थल " क्षितिज " को भी ढूढ़ने की कोशिश करते रहते हैं पर आसान हैं क्या " प्रेमनगर " को ढूँढना.... वहाँ तो सिर्फ सच्चे प्यार करने वाले ही पहुँच सकते हैं...। हाँ, सही कहा तुमने " क्षितिज के उस पार " ही तो प्यार करने वालों का बसेरा हैं .....तो चलों ,वादा रहा जीवन के सारे कर्तव्य पुरे कर मिलते हैं... " क्षितिज के उस पार " अपने प्रेमनगर में....। हाँ, वादा रहा ..
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंइस कठिन समय में सुरक्षित व स्वस्थ रहें, सपरिवार
सहृदय धन्यवाद सर ,सादर नमस्कार
हटाएंप्रेम ना बाड़ी उपजे....
जवाब देंहटाएंक्षितिज आभासी ही होता है फिर भी आत्मिक मिलन के प्रतीकों में सर्वोपरि रखा गया है उसे...
गजब के अहसास हैं आपके शब्दों में प्रिय कामिनी। बहुत सा स्नेह।
दिल से शुक्रिया मीना जी ,आपके स्नेहिल शब्दों से मुझे आत्मीयता का एहसास होता हैं ,ढेर सारा स्नेह सखी
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 18 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद दी ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए दिल से आभार ,सादर नमस्कार
हटाएंआशा का संचार करती सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर ,सादर नमस्कार
हटाएंकामिनी जी,
जवाब देंहटाएंक्या खूब लिखती है आप, बहुत कुछ समझा और बहुत कुछ समझने के लिए यह सफर युहीं आगे भी आपके साथ चलता रहें। आपकी लेखनी युहीं चलती रहे और हम पढ़ने वालों को भी बहुत कुछ मिलता रहे।
आप लिखते रहें
हम पढ़ते रहें
गीत बनता रहे
हम गुनगुनाते रहें
सफर चलता रहे
साथ चलते रहें
आप लिखते रहे
हम पढ़ते रहें ...2
सधन्यवाद ... 💐💐
दिल से धन्यवाद मुकेश जी ,आपकी ये बेहतरीन चंद पंक्तियाँ किसी भी लेखक का मनोबल बढ़ाने के लिए काफी हैं ,आभार आपका
हटाएंवाह कामिनी जी सुंदर ,शानदार,लाजवाब।बेहतरीन सृजन।
जवाब देंहटाएंढेरों शुभकामनाएँ।
दिल से धन्यवाद सुजाता जी ,इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभार आपका ,सादर नमन
हटाएंI am really happy to say it’s an interesting post to read Sandeep Maheshwari Quotes Hindi
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका
हटाएंमन छूती बेहद सुंदर अभिव्यक्ति कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंप्रेम बंधनों को नहीं मानता,प्रेम की अपनी ही दुनिया है जिसमें नयी-पुरानी स्मृतियों और अनुभूतियों की बेशकीमती मोती टके होते हैं।
बहुत सुंदर लेखन कामिनी जी।
दिल से शुक्रिया श्वेता जी ,प्रेम को शब्दों में पिरोना बेहद मुश्किल हैं ये तो बस एक ख्वाबों की दुनिया रचने की कोशिश मात्र हैं ,आभार आपके स्नेह भरे इन शब्दों के लिए ,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत सुंदर सृजन सखी 👌
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सखी ,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति कामिनी दीदी.
जवाब देंहटाएंसादर
दिल से धन्यवाद अनीता जी , ढेर सारा स्नेह आपको
हटाएंक्षितिज के पार धरा आसमां का प्यार .....प्रेमनगर... बहुत सुन्दर लेखन
जवाब देंहटाएंवाह!!!
दिल से धन्यवाद सुधा जी,आपके सराहना से भरे इन शब्दों के लिए हृदयतल से आभार ,सादर नमस्कार
हटाएंक्षितिज के उस पार ... जहाँ पृथ्वी आकाश का मिलन है ... जहां कई बार सागर खड़ा रहता है मिलन के दृश्य को ताकते ... बहुत ही रोमानी कल्पनाओं की लम्बी उड़ान से बुना आलेख ... मन से मन को जाता ..
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद दिगम्बर जी , " जहां कई बार सागर खड़ा रहता है मिलन के दृश्य को ताकते ..." इन पंक्तियों से आपने मेरे आलेख को पूर्णता प्रदान कर दी , हृदयतल से आभार आपका ,सादर नमस्कार
हटाएंप्रेम जीवन का आधार है
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सृजन
पढ़े--लौट रहे हैं अपने गांव
सहृदय धन्यवाद सर ,सादर नमस्कार
हटाएंI am really happy to say it’s an interesting post to read Thanks For Sharing Sandeep Maheshwari Quotation in Hindi
जवाब देंहटाएंThe article is very easy to understand, detailed and meticulous! Also visit Inspirational Struggle Story in Hindi!
जवाब देंहटाएंbahut khub apne in ache vichar ko likha hai
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद, स्वागत है आपका
हटाएंWow this is fantastic article. I love it and I have also bookmark this page to read again and again. Also check - Best 13 Inch laptop Under 500
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया आपका
हटाएंसुन्दर अति सुन्दर, हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।, एक राय मेरी रचना पर भी
जवाब देंहटाएंbest shoes
जवाब देंहटाएंwigs for women
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