कहते हैं, सब मुझको "सैनिक"
पर, सच्ची प्रहरी तो तुम हो "माँ"
मैं सपूत इस जन्मभूमि का
ज्ञान ये तुमने दिया।
मस्त-मगन था तेरी गोद में
भेज दिया तुमने फिर रण में।
बोली, माटी का कर्ज़ चुकाओ
मातृभूमि के लाल कहलाओ।
आँचल तेरा छूट गया "माँ"
छूटा गाँव, घर और चौबारा।
रोया था मैं फूट-फूट के
जिस दिन छूटा था साथ तुम्हारा।
तुमने मुझको जन्म दिया "माँ"
इस मिट्टी ने पाला है।
मातृभूमि का कर्ज़ चुकाना
तुमने ही तो सिखलाया है।
तू ही हिम्मत,तू ही हौंसला
शौर्य उपहार तुमने दिया है।
चीर सकूँ दुश्मन का सीना
वो,बल भी तुमने दिया है।
आज धरा का कर्ज़ चुकाकर
तिरंगे में लिपट गया "मैं"।
तेरी ममता का मान बढ़ाकर
लो,देश का बेटा बन गया "मैं"।
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देश के वीर सपूतों को और उन्हें जन्म देने वाली वीरांगनाओं को मेरा सत-सत नमन
वाह!! माँ की कोख की सार्थकता के सत्य के उद्घाटन में मातृ ऋण को चुकाती एक शहीद सपूत की आंतरिक अभिव्यक्ति!!!!
जवाब देंहटाएंहौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया,सादर नमन एवं आभार
हटाएंमन को छूने वाली रचना।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन प्रतिक्रिया देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं नमन
हटाएंनमस्ते.....
जवाब देंहटाएंआप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की ये रचना लिंक की गयी है......
दिनांक 29/05/2022 को.......
पांच लिंकों का आनंद पर....
आप भी अवश्य पधारें....
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं नमन
हटाएंवीर सैनिक के मनोभावों को सुंदर शब्दों में गूंथा है ।।
जवाब देंहटाएंऐसे माँ और बेटे दोनों को नमन।
हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया दी,आपकी उपथिति से लेखन को बल मिला सादर नमन एवं आभार
हटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ मई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं नमन
हटाएंदेश प्रेम का संस्कार एक युवा में उसकी परवरिश के साथ ही पनपता है।माँ को सारा श्रेय जाता है।सच में वो माँ ही राष्ट्र की सच्ची प्रहरी है जिसका अपार संभावनाओं से भरा युवा बेटा उसकी प्रेरणा से अभय पथ का वरण कर देश सेवा के लिए निकलता है और अपना सर्वोच्च बलिदान देता है।बहुत हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति के लिए आभार सखी।यही श्रद्धा सुमन हमारे सैनिकों का मार्ग प्रशस्त करते हैं 🌷🌷🌺🌺
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सखी,बहुत दिनों के बाद तुम्हे अपने ब्लॉग पर देख अच्छा लगा,ढेर सारा स्नेह तुम्हे
हटाएंदिल को छूती बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना एक सैनिक की शौर्यता एवं उसे जन्म देने वाली माँ का त्याग वाकई वंदनीय है ...।
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब सृजन।
हृदयतल से धन्यवाद सुधा जी,प्रोत्साहन हेतु आभार एवं नमन
हटाएंतुमने मुझको जन्म दिया "माँ"
जवाब देंहटाएंइस मिट्टी ने पाला है।
मातृभूमि का कर्ज़ चुकाना
तुमने ही तो सिखलाया है।
बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी सृजन कामिनी जी !
हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया मीना जी, सादर नमन एवं आभार
हटाएंशत-शत नमन
जवाब देंहटाएंआपकी उपथिति से लेखन को बल मिला दी,सादर नमन एवं आभार
हटाएंमातृ भक्ति, देशभक्ति के भावों से ओतप्रोत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसराहना हेतु हृदयतल से धन्यवाद ज्योत्स्ना जी,आभार एवं नमन
हटाएंबहुत सुंदर सृजन. बधि
जवाब देंहटाएंहौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया पम्मी जी, सादर नमन एवं आभार
हटाएंबधाई
जवाब देंहटाएंएक देशभक्त सैनिक की नींव उसकी मां ही है सही कहा कामिनी जी बहुत बहुत प्रभावित करती सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंमाँ के लिए इतनी सुंदर कविता के लिए हृदय से आभार।
सराहना हेतु हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी,आभार एवं नमन
हटाएंसच एक माँ ही तो है बालक की प्रथम गुरू। बालक को जो बना दे।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंसराहना सम्पन प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद एवं नमन सर
हटाएंमन को नम करती भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंसराहना हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं नमन सर
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन प्रतिक्रिया देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं नमन सर
हटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं एवं आभार प्रिय अनीता
जवाब देंहटाएंवीर सैनिकों के मन के भाव को जिस सहजता से आपने व्यक्त किया, हर सैनिक यही सोच के, सेना में जाता है और देश के लिए अमर विजय कामना करता है.. सैनिकों को समर्पित बहुत सुंदर भावों से भरी रचना ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया संजय भाई,इस सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आभार
हटाएंसुन्दर देशभक्ति पूर्ण कविता. हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद तुषार जी, आभार एवं नमन
हटाएंएक वीर सैनिक की मां को सम्मान देती उत्कृष्ट रचना।
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया जिज्ञासा जी, आभार एवं नमन
हटाएंएक सैनिक को उचित परवरिश देने वाली माँ और उसका वीर सपूत दोनों ही वंदनीय है। दिल को छूती सुंदर रचना, कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया ज्योति जी, आभार एवं नमन
हटाएंma hi sachchi pathshala hai. unke sanskaar se hi sainy bhaav aata hai.
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया विभा जी, आभार एवं नमन
हटाएंbahut samay baad laptop lekar baithi hoon mobile se to blog par theek se comment bhi nahi ho pa rhe. pta nhi kya dikkat hai. aur kaisi hain aap Kamini ji. apka lekhan bahut achchha hai. shubhkamnayen.
जवाब देंहटाएंमैं बिल्कुल ठीक हूँ विभा जी,उम्मींद है आप भी स्वस्थ होगी, प्रशंसा हेतु दिल से शुक्रिया,आपने सही कहा जब से ब्लॉग का फॉर्मेट बदला है कोई ना कोई दिक्क्त आ ही रही है,बहुत बार तो प्रतिक्रिया भी स्पैम में चली जा रही है।
हटाएंबहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद मनोज जी 🙏
हटाएंवीर सैनिक की मां को सम्मान देती उत्कृष्ट रचना।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद,🙏
हटाएंदेश के वीरों को सत - सत नमन !
जवाब देंहटाएंहिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
ब्लॉग पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने हेतु आप को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार
हटाएंमन के गहरे भाव ...
जवाब देंहटाएंएक माँ के लिए माँ की आज्ञा बच्चे के लिए कर्तव्य रहता है ...
बहुत भावपूर्ण और ओजस्वी भाव ...
सहृदय धन्यवाद दिगम्बर जी 🙏
हटाएंसहज सरल अभिव्यक्ति, जिसमें कृत्रिमता बिल्कुल नहीं और जो हृदय के उद्गार हैं, वही लिखे गए हैं।
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया मीना जी,बस भाव ही उकेरने की कोशिश की हूं, बाकी छंद बन्ध का ज्ञान तो मुझे है नहीं, आप की सराहना पाकर लेखन सार्थक हुआ 🙏
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