मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

"पार्क"


"पार्क" अर्थात खुला मैदान 

लेकिन बिडंबना ये है कि-इतने खुले में भी आकर सब अपने आप में ही बंद रहते हैं। पुरे मैदान में हर तरह के हर उम्र के लोग दिखते है पूरा मैदान भरा होता है मगर कोई किसी का नहीं होता। आप दुसरे को देखते है दूसरा आपको। एक दूसरे के चेहरे को देखकर बस मन ही मन ये अनुमान लगाते रहते हैं कि -क्या वो खुश है या दुखी ?क्या वो अपने जीवन से संतुष्ट है या मेरी तरह वो भी असंतुष्ट। किसी को उदास देखकर भी कोई उसके पास जाकर संतावना के दो बोल भी नहीं बोलता। हाँ,कभी-कभी उसकी उदासी आपको और भी गहरी उदासी दे जाती है तो कभी किसी की मुस्कुराहट देख आप भी मन ही मन मुस्कुरा लेते है, पास में हँसते-खेलते,खिलखिलाते बच्चों को देखकर आप भी थोड़ी देर के लिए अपने बचपन में लौट जाते हैं बस। बिना किसी के दर्द बाँटे भी शायद थोड़ी तसल्ली तो यह जरूर मिलती होगी। शायद यही वजह है कि जब अकेले कमरे में तकलीफ बढ़ने लगती है तो अक्सर लोग बाहर निकल जाते हैं सड़कों पर,पब्लिक पार्क में या किसी पब में ही। यहाँ कोई आपको तसल्ली ना भी दे तो भी आपका दुःख या आपका मूड दूसरी तरफ करवट ले लेता है,इससे दुखों का बोझ कम तो नहीं होता बस  एक कंधे से दूसरे कंधे पर चला जाता है और थोड़ा रिलैक्स हो जाते है। 

 "पार्क" हमें ही सुकून नहीं देता होगा यकीनन हमारी मौजूदगी से उसे भी सुकून मिलता ही होगा,बच्चों की किलकारियों से वो भी गुलजार रहता था बड़ों के सुख-दुःख का साक्षी होना उसे भी भाता होगा।  मगर इन दिनों तो सबका ये सहारा भी छूट गया है।आप कामकाजी है तो एक दहशत के साथ दफ्तर जा रहे हैं और  डरते-डरते घर वापस आ रहे हैं। अगर घरेलु है तो बस एक बंद कमरा और साथ में आपकी नींद उड़ाने वाली खबरें। हमारे जीवन के साथ-साथ पार्क  में भी वीरानियाँ पसरी हुई है और बच्चें चारदीवारियों में कैद है....साँझ की बेला कटे नहीं कटती।  

जीवन का ये रूप पहले कभी नहीं देखा गया था और परमात्मा ना करें आगे किसी पीढ़ी को देखना पड़ें। 

गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

"तू मेरी लाडली"

मेरी बेटी दामिनी को जन्मदिन के उपहार स्वरूप समर्पित 


"तू  मेरी लाड़ली"

जूही की कली,मिश्री की डली। 

नाजों में पली,तू मेरी लाड़ली।। 


चन्दा से मुखडें पे,सूरज सा तेज़ है। 

कोमल तन और निर्मल सा मन है।।  

आँखों में तेरे है,सपने सुहाने। 

सितारों पे घर बनाने की रण है।। 

पंख है छोटे,ऊँची उड़ान है। 

हौंसले बुलंद और दिल में उमंग है।। 


तेरे ही सपने है, आँखों में मेरे। 

लो,मैं भी चली हूँ संग-संग  तेरे।। 

तू आगे चल,मैं तेरे पीछे खड़ी हूँ। 

जग से नहीं,मैं तो रब से लड़ी हूँ।।  


मुश्किल सफर है, गिरने का डर है। 

गम नहीं, हाथ थामे तेरे जनक है।। 

 सफल होगी तपस्या हमारी। 

मिलेगी मंजिल मनचाही तुम्हारी।। 


कीचड़ में भी कमल बन खिलना। 

आत्मनिर्भर मगर,सुसंस्कृत नारी तू बनना।। 

तू मेरा मान,तू स्वाभिमान,

तू ही तो है मेरी जान लाड़ली।। 


ये मेरी दुआ है...  

आयेगा एक दिन, जब.... 

हर माँ के दिल का अरमान,

बहनों का अभिमान,

तू बनेगी देश की पहचान लाड़ली।। 


जूही की कली,मिश्री की डली। 

नाजों में पली,तू मेरी लाड़ली।। 

तू मेरी लाड़ली..... 





गुरुवार, 25 मार्च 2021

"होली के फूल"



 ये रंगीन फूल मुबारक तुम्हे हो

ये ख्वाबों की होली मुबारक तुम्हे हो। 


ख़ुशी के रंगों से रंगी है- ये दुनिया

तेरे सपनो के रंगो से सजी है-ये दुनिया। 

इस प्रिय पहर में दो खग यूँ मिले है, 

जैसे एक ही डाली पर दो सुमन खिले है। 

मेरे दिल की लाली मुबारक तुम्हे हो।। 

मेरे ख्वाबों की होली..... 


प्रेम पिचकारी में दिल के रंगों को घोल 

दिल ये कहता है,तुमसे भी होली खेलूं । 

तेरी सारी पोशाकों को रंगों से रंग दूँ, 

तेरे गालों-ललाटों पे गुलालों को मल दूँ। 

मेरे प्यार की रोली मुबारक तुम्हे हो।।  

मेरे ख्वाबों की होली-----


काश !तुमसे मैं होली में मिल पाती 

मगर, ये होली अधूरी ना होगी 

मेरे शब्दों के छीटों से खुद को रंग लेना 

हो सकें तो, इन रंगों को मुझको भी देना। 

संग-प्रीत की ठिठोली मुबारक तुम्हे हो।। 

मेरे ख्वाबों की होली मुबारक तुम्हे हो -----



आप सभी को होली  की हार्दिक शुभकामनायें 

"नारी दिवस"

 नारी दिवस " नारी दिवस " अच्छा लगता है न जब इस विषय पर कुछ पढ़ने या सुनने को मिलता है। खुद के विषय में इतनी बड़ी-बड़ी और सम्मानजनक...