tag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post5224060612992384823..comments2024-03-11T12:32:58.950+05:30Comments on मेरी नज़र से : फुर्सत के चंद लम्हे -"एक मुलाकात खुद से "Kamini Sinhahttp://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-35036009768271198502020-12-15T14:44:14.009+05:302020-12-15T14:44:14.009+05:30तहे दिल से शुक्रिया सर मेरी पुरानी रचना को स्थान द...तहे दिल से शुक्रिया सर मेरी पुरानी रचना को स्थान देने हेतु,सादर नमन आपको Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-27953083932255677692019-07-07T12:51:09.490+05:302019-07-07T12:51:09.490+05:30सर्वप्रथम आप का स्वागत हैं,मेरे लेख अपनी बहुमूल्य ...सर्वप्रथम आप का स्वागत हैं,मेरे लेख अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए दिल से शुक्रिया आपका ,सादर Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-43385388267315224612019-07-07T12:47:07.195+05:302019-07-07T12:47:07.195+05:30बहुत बहुत धन्यवाद शुभा जी ," जब जागे तभी सवेर...बहुत बहुत धन्यवाद शुभा जी ," जब जागे तभी सवेरा "शायद हमारी पीढ़ी की नींद थोड़ी जल्दी खुल गई ,आभार <br />Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-21075574145696771262019-07-07T12:44:20.228+05:302019-07-07T12:44:20.228+05:30आपने बिलकुल सही कहा ,"अंदर का खालीपन हमे कभी ...आपने बिलकुल सही कहा ,"अंदर का खालीपन हमे कभी कभी बेचैन कर देता हैं "शायद इसी खालीपन ने हमे खुद को समझने का अवसर दिया और हमारे भीतर साहित्य को समझने का ज्ञान भी। Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-32654546919107581052019-07-07T12:38:44.823+05:302019-07-07T12:38:44.823+05:30बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी ,इस भेद को समझते हुए थ...बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी ,इस भेद को समझते हुए थोड़ी देर तो हो गई पर जब जागे तभी सवेराKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-22114970090220410262019-07-07T11:59:36.278+05:302019-07-07T11:59:36.278+05:30वाह कामिनी बहन! आपके मन के ये सुंदर भावों कि हमें ...वाह कामिनी बहन! आपके मन के ये सुंदर भावों कि हमें अपनी चिंता खुद करनी चाहिए सारगर्भित है ।बात बिलकुल सही है..जब हम आत्म-तुष्ट नहीं हो सकते दूसरे को कैसे संतुष्ट कर सकते ।बुजुर्गो के दिए संस्कार के अनुसार सभी की भलाई करना ,सभी की जरूरतों का ख्यालों करना हम अपना फर्ज समझते हैं ।पर सामान्यतः लोग इसे हमारे कमजोरी समझते हैं। ज्यादा करने वालों की ज्यादा शिकायतें होती है। जो सबका ख्याल करता है उसपर कोई ख्याल नहीं करता।इसलिए अपना ख्याल खुद रखना सही है।धन्बाद SUJATA PRIYEhttps://www.blogger.com/profile/04317190675625593228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-16125428592865612962019-07-06T17:26:11.215+05:302019-07-06T17:26:11.215+05:30वाह!!कामिनी जी ,बहुत ही खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ।
स...वाह!!कामिनी जी ,बहुत ही खूबसूरत भावाभिव्यक्ति । <br />सही कहा आपने ,हमें हमेशा यही सीख मिली कि अपने लिए जिए तो क्या जिए । इस विषय से संबंधित कई लेख पढे ,और नतीजन कुछ पल मैं भी अपने लिए निकाल ही लेती हूँ । शुभा https://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-82518577644207154252019-07-06T13:04:00.796+05:302019-07-06T13:04:00.796+05:30सत्य कहा कामिनी बहन,हम जिन संस्कारों में
पले-बढ़े ...सत्य कहा कामिनी बहन,हम जिन संस्कारों में<br />पले-बढ़े हैं, उनमें सिर्फ दूसरों को खुश रखने की ही शिक्षा दी जाती है।एक उम्र <br />गुजर जाने के बाद जो खालीपन अंदर महसूस होता है,वह यही कि हमने अपने<br />लिए क्या किया।अपने अस्तित्व की तलाश<br />हमें बैचेन करती है,आज की पीढ़ी पहले<br />अपना अस्तित्व और बाद में शेष कर्त्तव्य<br />निभा रही है।सच भी है अपने अस्तित्व को<br />जाने बिना हम कैसे जी सकते हैं,यह हम<br />दूसरों की आंखों में तलाशते हैं जो हमें<br />कभी प्राप्त नहीं होता।सादर<br />Abhilashahttps://www.blogger.com/profile/06192407072045235698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-26210056995667039972019-07-06T12:56:33.117+05:302019-07-06T12:56:33.117+05:30सच कहा कामिनी दी कि हमारी उम्र के लोग अपनी जिंदगी ...सच कहा कामिनी दी कि हमारी उम्र के लोग अपनी जिंदगी जीना ही भूल जाते हैं। लेकिन यदि हम खुद खुश रहेंगे तभी तो खुशियोबको बांट पाएंगे। बहुत सुंदर रचना दी।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-15307620023724016342018-12-25T22:12:23.246+05:302018-12-25T22:12:23.246+05:30शुक्रिया......... संजय जी, सादर नमन शुक्रिया......... संजय जी, सादर नमन Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-89578163116576451282018-12-25T17:37:47.023+05:302018-12-25T17:37:47.023+05:30बेहद उम्दा विचारणीय भाव और बेहतरीन लेखबेहद उम्दा विचारणीय भाव और बेहतरीन लेखसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-81684642729258627072018-12-14T15:18:10.283+05:302018-12-14T15:18:10.283+05:30आभार----------------- आभार----------------- Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-64188238028980719682018-12-13T23:02:52.800+05:302018-12-13T23:02:52.800+05:30प्रिय कामिनी कभी कभी एक छोटा सा कदम हमें एक नई मंज...प्रिय कामिनी कभी कभी एक छोटा सा कदम हमें एक नई मंजिल तक ले जाने का इशारा होता है यही हुआ आपके साथ | मैंने भी शब्द नगरी में अकाउंट टिप्पणी लिखने के लिए बनाया था और लेखन के लिए चल निकला | वे दैवीय पल थे-- शायद माँ सरस्वती की प्रेरणा से ही आपको कुछ लिखने की सूझी होगी | और मेरी वजह से नहीं आपकी अपनी प्रतिभा है -- आपके लेखन में दम ना होता तो मेरी मदद कोई काम ना आती | खुश रहो और निष्काम भाव से अपनी रचनात्मकता को नये आयाम दो | मेरी यही दुआ है ये लेखन यात्रा यूँ ही चलती जाए | सस्नेह | रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-77942434078512279702018-12-12T12:09:36.611+05:302018-12-12T12:09:36.611+05:30प्रिये रेणु ,सच कहुँ,सखी तो ये मेरा पहला लेख है ,ज...प्रिये रेणु ,सच कहुँ,सखी तो ये मेरा पहला लेख है ,जो मेरे जीवन की सचाई भी है ,उस दिन एकांत में बैठे बैठे जो ख्यालात दिल में उमड़े मैंने उन्हें शब्दबंध कर लिया और उसी दिन से मेरी लेखनी चल पड़ी .लेकिन उस दिन ये लेख लिखते समय मैंने सपने में भी नहीं सोचा था की ये मुझे यहां तक लाएगा और आप सब जैसे उदार और प्रभावशाली व्यक्तिवो से जुड़ने का सौभाग्य दिलाएगा .स्नहे सखी Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-70324055130679766922018-12-12T12:01:27.602+05:302018-12-12T12:01:27.602+05:30आभार सखी अनीता ,आप सब के सानिध्य में अभी बहुत कुछ ...आभार सखी अनीता ,आप सब के सानिध्य में अभी बहुत कुछ सीखना है ,स्नेह Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-15399609722098044242018-12-11T22:01:05.366+05:302018-12-11T22:01:05.366+05:30प्रिय कामिनी -- आपने बहुत ही सूक्ष्म आत्मावलोकन...प्रिय कामिनी -- आपने बहुत ही सूक्ष्म आत्मावलोकन कर एक महत्वपूर्ण निचोड़ निकाल कर बहुत ही अद्भुत दर्शन से अपनाया है | सचमुच हम में से ज्यादातर लोग या कहूँ हमारी पीढ़ी के लोग हर समय दूसरों के लिए जीने के लिए प्रयासरत रहते हैं |अपने लिए जीने का हुनर भूल जाते हैं और अंततः मायूसियों में खो जाते है | यूँ तो आज की पीढ़ी का अपने लिए जीना बहुत से संस्कारों को खंडित किये जा रहा है पर व्यक्तिगत रूप में वे अपने लिए सम्पूर्णता से जीने को महत्व देते हैं |हम अपनी रचनात्मकता से जुड़ कर स्वयं से ही साक्षात्कार करते हैं और अपने लिए जीने की प्रेरणा पाते हैं | सस्नेह बधाई इस सुंदर सारगर्भित लेख के लिए | रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-15014836428711988132018-12-11T20:58:30.257+05:302018-12-11T20:58:30.257+05:30बहुत सुन्दर लेख लिखा है सखी आप ने... .जब इंसान खुद...बहुत सुन्दर लेख लिखा है सखी आप ने... .जब इंसान खुद से बातें करने लगता तब तन्हा कहा रहता है <br />और हम तो कला प्रेमी है प्रकृति से ख़ूब स्नेह रखते है, <br />सादर आभार !!अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.com