tag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post286464447289426342..comments2024-03-11T12:32:58.950+05:30Comments on मेरी नज़र से : "गीता ज्ञान"-सत्य और असत्यKamini Sinhahttp://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-74034378478101736342022-02-14T22:38:11.479+05:302022-02-14T22:38:11.479+05:30औपनिवेशिक आधुनिकता हमारी चरित्र निर्माण के जड़ को ...औपनिवेशिक आधुनिकता हमारी चरित्र निर्माण के जड़ को ही उखाड़ चुकी है। हमें पुनः अपनी संस्कृति की ओर लौटने की आवश्यकता है। Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-47027125418750335412022-02-02T22:36:53.567+05:302022-02-02T22:36:53.567+05:30सही कहा आपने प्रतिभा जी, पता कब कहां से हमारे संस्...सही कहा आपने प्रतिभा जी, पता कब कहां से हमारे संस्कार दुषित होते चले गए, अब इतना बिगड़ चुका है कि यदि अब भी नहीं चेते तो बहुत देर हो जाएगी, बहुत बहुत धन्यवाद आपको इस चर्चा में शामिल होने के लिए और मेरे प्रश्नों पर अपनी विचार देने के लिए,सादर नमस्कार आपकोKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-34258915440915893852022-02-02T10:14:00.327+05:302022-02-02T10:14:00.327+05:30हम अपने बच्चों को प्रारंभ से जो शिक्षा देते हैं वह...हम अपने बच्चों को प्रारंभ से जो शिक्षा देते हैं वह सिर्फ़ कमाऊ-खाऊ विद्या की -अच्छे संस्कार और चरित्र-निर्माण पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-32424089501839777362022-02-01T22:00:07.632+05:302022-02-01T22:00:07.632+05:30श्वेता जी, मेरी बुद्धि तो यही कहती है कि-अब सिर्फ ...श्वेता जी, मेरी बुद्धि तो यही कहती है कि-अब सिर्फ कोरी प्रवचन सुनना किसी को मंजूर नहीं, अब बच्चों को हर बात सावित कर दिखाना होगा और इसके लिए पहले किसी भी आदत या प्रविति को पहले खुद धारण करना होगा। अपनी संस्कृति को अब नहीं अपनाया तो बहुत देर हो जायेगी और हमारी नई पीढ़ी हम से बहुत दूर हो जाएगी दुसरे शब्दों में कहें तो हमेशा के लिए भटक जाएगी। मेरे लेख पर आपकी अभिव्यक्ति पा कर बेहद खुशी हुई, दिल से शुक्रिया आपका श्वेता जी 🙏Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-8693590470192072452022-02-01T21:57:01.026+05:302022-02-01T21:57:01.026+05:30गीता का असली ज्ञान तो सिर्फ यही है- वो व्यक्तित्व ...गीता का असली ज्ञान तो सिर्फ यही है- वो व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया ही सिखाती है। और जहां तक आत्मा और पुनर्जन्म की बात है तो ये सिर्फ अपने अनुभव से ही जाना जा सकता है। वैसे विज्ञान ने इसे भी सिद्ध कर दिया है फिर भी.. आप की इस अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद मीना जी 🙏Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-69619763421813224432022-02-01T21:50:28.836+05:302022-02-01T21:50:28.836+05:30आपके सुझाव से मैं पूर्णतः सहमत हूं उषा जी, अपनी यु...आपके सुझाव से मैं पूर्णतः सहमत हूं उषा जी, अपनी युवा पीढ़ी को यदि र्गत में जाने से बचाना है तो इस ज्ञान (जिसे मैं ज्ञान नहीं इक्वेशन कहूंगी) बच्चों को सिखाना बेहद जरूरी है। आपकी इस अनमोल विचार के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं नमन आपकोKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-82695030474182704322022-02-01T21:44:57.676+05:302022-02-01T21:44:57.676+05:30सहृदय धन्यवाद भारती जी, सादर नमस्कारसहृदय धन्यवाद भारती जी, सादर नमस्कारKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-79849829226702536432022-02-01T21:44:19.512+05:302022-02-01T21:44:19.512+05:30सहृदय धन्यवाद सर, सादर नमस्कारसहृदय धन्यवाद सर, सादर नमस्कारKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-18725930738832466812022-02-01T21:42:04.634+05:302022-02-01T21:42:04.634+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-10881471017804205742022-02-01T21:34:10.366+05:302022-02-01T21:34:10.366+05:30हृदय तल से धन्यवाद सुधा जी, आप की प्रतिक्रिया ने ल...हृदय तल से धन्यवाद सुधा जी, आप की प्रतिक्रिया ने लेखन को सार्थक किया, मुझे हमेशा से इस बात से एतराज था, अब तो ये बात मेरे जीवन में सिद्ध हो गया है।बस यही कारण है कि अपने भावों को आप सभी से साझा कर लिया।, दिल से शुक्रिया आपका 🙏Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-34086183378065359442022-02-01T21:28:44.499+05:302022-02-01T21:28:44.499+05:30गीता के ज्ञान को तो हम सभी ने ना जाने कितनी बार सु...गीता के ज्ञान को तो हम सभी ने ना जाने कितनी बार सुना होगा, मेरे मन में हमेशा ये प्रश्न बना ही रहता था कि- क्यों इतने महान ग्रंथ की बातें सिर्फ कहीं सुनी जाती है इसे जीवन में अपनाने की सीख क्यों नहीं दी गई। जिज्ञासा जी,इन दिनों मैं कुछ ऐसी ही मनोदशा से गुजर रही हूं जब पंडित जन कहते हैं कि "गीता का पाठ करवा दो सब ठीक हो जाएगा।" ये बात मेरे मन मस्तिष्क में बेचैनी पैदा कर रही थी सो आप सभी से साझा कर लिया । आप सभी की सारगर्भित प्रतिक्रिया ने लेखन को सार्थक किया, हृदय तल से धन्यवाद आपकोKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-80754444201861787922022-02-01T21:17:56.438+05:302022-02-01T21:17:56.438+05:30दिल से शुक्रिया अनीता, बस मन में उठ रहे सवालों को ...दिल से शुक्रिया अनीता, बस मन में उठ रहे सवालों को आप सभी से साझा किया है, सराहना हेतु हृदयतल से धन्यवादKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-90301198102025249572022-02-01T21:16:13.155+05:302022-02-01T21:16:13.155+05:30मेरी जिज्ञासा पर अपनी सहमति देने के लिए हृदयतल से ...मेरी जिज्ञासा पर अपनी सहमति देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद अनीता जी,सादर नमन आपकोKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-28080298899342186492022-02-01T21:14:16.373+05:302022-02-01T21:14:16.373+05:30कुछ ऐसे प्रश्न ही होते जिनके उत्तर स्वयं ही तलाशने...कुछ ऐसे प्रश्न ही होते जिनके उत्तर स्वयं ही तलाशने होते हैं, सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद दिगम्बर जी,सादर नमनKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-77967317437106746512022-02-01T21:08:49.797+05:302022-02-01T21:08:49.797+05:30आपने सही कहा कुसुम जी, बुद्धि तो र्ताकिक होती है म...आपने सही कहा कुसुम जी, बुद्धि तो र्ताकिक होती है मगर प्रज्ञा का तो मतलब ही यही है कि "बुद्धि विवेक से किसी विषय पर चिंतन करो फिर उस पर प्रयोग कर उसकी सत्यता परखो फिर उसका सतत अभ्यास कर जीवन में धारण करो" और इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद किसी भी विषय के सत्यता पर शंका नहीं रह जाती। इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद आपको, सादर नमस्कारKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-56634508461364162012022-02-01T20:58:11.022+05:302022-02-01T20:58:11.022+05:30आपने बहुत ही सुन्दर विषय का चयन किया है…गीता मरते ...आपने बहुत ही सुन्दर विषय का चयन किया है…गीता मरते व्यक्ति को सुनाने से क्या लाभ होगा ? प्रतिस्पर्धा व चुनौतियों से घबड़ा कर जिज तरह से बच्चे व युवा जीवन से सहजता से पलायन कर रहे हैं आजकल या अवसाद का शिकार हो रहे हैं तो गीता में वर्णित निष्काम कर्मयोग का अनुसरण करते हुए इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। गीता मो़ से भी पहले सही तरीक़े से जीना सिखाती है …मुझे लगता है कि इसके कुछ श्लोक संस्कृत के पाठ्यक्रम में अवश्य होने चाहिए ।Usha kiranhttps://www.blogger.com/profile/07381234853649966770noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-81175877346714078832022-02-01T20:48:03.704+05:302022-02-01T20:48:03.704+05:30मेरे मन में उठ रहे सवालों को अपनी सहमति प्रदान करन...मेरे मन में उठ रहे सवालों को अपनी सहमति प्रदान करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद सर, सादर नमनKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-15181381890709117072022-02-01T20:46:07.257+05:302022-02-01T20:46:07.257+05:30मेरे लेख को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद दी...मेरे लेख को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद दी,सादर नमस्कारKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-61005616071538576592022-01-31T23:26:02.159+05:302022-01-31T23:26:02.159+05:30बहुत ही चिंतनपूर्ण अभिव्यक्तिबहुत ही चिंतनपूर्ण अभिव्यक्तिBharti Dashttps://www.blogger.com/profile/04896714022745650542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-31983183312975680732022-01-31T23:11:58.156+05:302022-01-31T23:11:58.156+05:30बहुत ही सारगर्भित आलेख एवं प्रश्न भी अत्यंत विचारण...बहुत ही सारगर्भित आलेख एवं प्रश्न भी अत्यंत विचारणीय आदरणीय मेम । दीपक कुमार भानरेhttps://www.blogger.com/profile/14512403306123301731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-71311734701706051182022-01-31T22:32:35.630+05:302022-01-31T22:32:35.630+05:30कामिनी जी,
गीता का संपूर्ण सार का अत्यंत सूक्ष्म व...कामिनी जी,<br />गीता का संपूर्ण सार का अत्यंत सूक्ष्म विश्लेषण कर सहज सरल भावों में जन के मन तक पहुँचा दिया आपने।<br />सुंदर लेखन।<br />आपके प्रश्न जाएज़ हैं और यह हम अभिभावकों का कर्तव्य है कि बच्चों में संस्कार के रूप में कर्मयोग का यह बीज डालें ताकि स्वस्थ मानसिकता से युक्त लोककल्याण कारी मानववृक्ष का निर्माण हो।<br /><br />सस्नेह। Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-90868497948059502172022-01-31T19:37:34.118+05:302022-01-31T19:37:34.118+05:30सही कहा जब जीवन भर न गीता ज्ञान लिया न आत्मसात किय...सही कहा जब जीवन भर न गीता ज्ञान लिया न आत्मसात किया फिर अंत समय गीता पाठ से मुक्ति कैसे....।गीता उपदेश को सही अर्थ में अपनाने एवं आत्मसात करने हेतु हमें दैनिक जीवन में गीता पाठ अपनाना चाहिए।<br />बहुत ही सारगर्भित एवं सार्थक लेख हेतु बधाई एवं शुभकामनाएं।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-24445905586898248222022-01-31T14:31:21.408+05:302022-01-31T14:31:21.408+05:30बहुत ही चिंतनपूर्ण और विचारणीय प्रासंगिक आलेख ।
य...बहुत ही चिंतनपूर्ण और विचारणीय प्रासंगिक आलेख ।<br /> ये विचार मेरे भी मन में आता है, स्वाभाविक भी है आना । बिलकुल सत्य बात है कि न हमने गीता को अपने आचरण में उतारा न ही हम अपनी अगली पीढ़ी को गीता ज्ञान की तरफ आकर्षित कर पाए ।<br />बहुत ही सारगर्भित प्रश्न उठाने के लिए आपको बहुत बधाई कामिनी जी 💐💐👏👏जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-35874844078499936162022-01-31T13:47:04.076+05:302022-01-31T13:47:04.076+05:30विचारों की गहनता लिए सराहनीय सृजन।
कम शब्दों गीता ...विचारों की गहनता लिए सराहनीय सृजन।<br />कम शब्दों गीता के सार को कहना आसान नहीं सच सराहनीय।<br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-20836912430569976242022-01-31T11:51:07.458+05:302022-01-31T11:51:07.458+05:30बहुत ही सरल ढंग से गीता के महत्व को दर्शाता सुंदर ...बहुत ही सरल ढंग से गीता के महत्व को दर्शाता सुंदर सृजन ! यदि बचपन से ही बच्चों को इसे सरल ढंग से पढ़ाया जाए तो वे अवश्य आत्मज्ञानी बनेंगे Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com