tag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post1622615724442356095..comments2024-03-11T12:32:58.950+05:30Comments on मेरी नज़र से : जाने चले जाते हैं कहाँ .....Kamini Sinhahttp://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comBlogger41125tag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-62260268388333019192022-09-12T19:58:19.100+05:302022-09-12T19:58:19.100+05:30☺️ मैं आपकी आज्ञा मानकर जरुर सावधान रहूंगी सर, अच्...☺️ मैं आपकी आज्ञा मानकर जरुर सावधान रहूंगी सर, अच्छा हुआ आपने मुझे सचेत कर दिया,☺️<br /> आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया पाकर लेखन सार्थक हुआ। हृदय तल से धन्यवाद एवं आभार<br />सादर नमस्कार 🙏Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-83092327862904367702022-09-12T19:50:56.260+05:302022-09-12T19:50:56.260+05:30आप का मेरी लेख पर तीसरी बार प्रतिक्रिया देना मेरे ...आप का मेरी लेख पर तीसरी बार प्रतिक्रिया देना मेरे लेख को पूर्णता प्रदान कर रहा है कुसुम जी आप को बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा कि परम्पराओं को सम्मान देना भी पुर्वजों के प्रति श्रद्धा ही है बस जरूरत है परम्पराओं को आडम्बर ना बनने दें। एक बार फिर से तहे दिल से शुक्रिया एवं सादर नमस्कार 🙏Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-3266161343298419712022-09-11T09:52:44.986+05:302022-09-11T09:52:44.986+05:30कामिनी जी, आप ऐसे ही क्रांतिकारी विचार व्यक्त करती...कामिनी जी, आप ऐसे ही क्रांतिकारी विचार व्यक्त करती रहिए. <br />यहाँ आपको सावधान करना मैं अपना कर्तव्य समझता हूँ - <br />पोंगा-पंडितों से और परम्परावादियों से आपको जान का खतरा है. अपने घर में और घर से बाहर निकलते समय भी, हर हाल में अपनी सुरक्षा का समुचित प्रबंध रखिएगा. <br />पुरखों की स्मृति में निर्धन विद्यार्थियों की मदद कर के, औषधि दान कर के, वृक्षारोपण कर के, बाल-कल्याण और नारी-कल्याण के क्षेत्र में उपयोगी कार्य कर के हम सब भगवान का प्यार तो पा सकते हैं लेकिन समाज के इन पैरासाइट्स को खुश नहीं कर सकते. <br />अब यह हमारे ऊपर है कि हम कौन सा रास्ता अपनाएं. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-91890316086072368142022-09-11T08:00:07.621+05:302022-09-11T08:00:07.621+05:30आज हर प्रतिक्रिया फिर से पढ़ी, सब प्रायः आड़म्बरों...आज हर प्रतिक्रिया फिर से पढ़ी, सब प्रायः आड़म्बरों से दूर रहना चाहते हैं पर हम अपनी परम्पराओं को सम्मान भी देते हैं, और यह भी पूर्वजों के प्रति श्रद्धा का एक स्वरूप है, इन सब प्रक्रियाओं को करते समय लोकोपयोगी क्रियाएं निर्वहन करते चलें और जो आड़म्बर हैं छोड़ ये चले।<br />हर समय के लिए प्रेरक लेख।<br />मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-42078233924365345482021-09-29T11:58:52.386+05:302021-09-29T11:58:52.386+05:30एक बार फिर से उपस्थित होकर अपनी भावनाओं को साझा कर...एक बार फिर से उपस्थित होकर अपनी भावनाओं को साझा करने के लिए हृदयतल से आभार कुसुम जी,सादर नमन Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-3352279247212096172021-09-29T11:56:58.531+05:302021-09-29T11:56:58.531+05:30सरहनासम्पन्न और सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु सह्रदय...सरहनासम्पन्न और सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु सह्रदय धन्यवाद संदीप जी,सादर नमन Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-19028658271046505692021-09-29T11:41:48.770+05:302021-09-29T11:41:48.770+05:30विस्तृत और सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु सह्रदय धन्यव...विस्तृत और सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु सह्रदय धन्यवाद दीपक जी,सादर Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-87803303978064478432021-09-27T22:57:39.033+05:302021-09-27T22:57:39.033+05:30गहन विषय गहन चिंतन।
मैं पहले अपने भाव लिख चुकी काम...गहन विषय गहन चिंतन।<br />मैं पहले अपने भाव लिख चुकी कामिनी जी ।<br />आपके लेख से हुए और ठोस आधार लिए होते हैं।<br />सस्नेह।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-72224106007007526072021-09-27T19:16:51.885+05:302021-09-27T19:16:51.885+05:30मुझे तो यही महसूस होता है, जिन्हे हम प्यार करते है...मुझे तो यही महसूस होता है, जिन्हे हम प्यार करते हैं वो आत्माएं शायद हमारे आस-पास ही होती है वो भी अनदेखी हवाओं की तरह बस हमें छूकर गुजर जाती है।उन्हें याद करके एक पल के लिए आँखें मूंदते ही हमें उनका स्पर्श महसूस होने लगता है। हम ही उन्हें महसूस नहीं करते शायद वो भी हमारे सुख-दुःख, आँसू और हँसी को महसूस करते होंगे तभी तो यदा-कदा हमारे सपनो में आकर हमें दिलासा भी दे जाते हैं और कभी-कभी तो अपने होने का एहसास भी करा जाते हैं । <br />वाकई गहन अनुभूतियों वाला आपका आलेख है...। सच यदि महसूस किया जाए तो सबकुछ महसूस होता है बहुत गहन। खूब अच्छा आलेख है आपका। खूब बधाई आपको। PRAKRITI DARSHANhttps://www.blogger.com/profile/10412459838166453272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-15343883512127788992021-09-26T17:07:30.036+05:302021-09-26T17:07:30.036+05:30आदरणीय मेम ,
हम अपने सभी पर्व प्रकृति और अपनों के...आदरणीय मेम , <br />हम अपने सभी पर्व प्रकृति और अपनों के संग मनाते है । यहाँ तक की जो हमारे बीच नहीं है हमसे बिछुड़ गये है उनको भी याद करने और अपने बीच महसूस करने हेतु भी पर्व है । श्राद्ध भी कुछ ऐसा ही पर्व है जो उन्हे अपनी यादों से उन्हे बिछुड़ने नहीं देता है । इस भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में इन पर्वों के माध्यम से हम उन्हे प्यार , सम्मान और आदर से याद कर उन्हें अपने से अलग होने नहीं होने देते हैं । <br />यह एक जिज्ञासा का विषय है की हमसे बिछुड़ कर हमारे अपने कहाँ चले जाते हैं , वे हमें देखते है या नहीं हमारी अच्छी बातों पर खुश होते है नहीं । <br />ऐसे मौके पर उनके सत्कर्मों को याद कर एवं अपने पीछे छोड़ गये अधूरे कामों अथवा जिम्मेदारियों को पूर्ण करके हम उन्हे सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं । <br /><br />सुंदर आलेख , बहुत शुभकामनायें । <br />दीपक कुमार भानरेhttps://www.blogger.com/profile/14512403306123301731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-29265799517952994972021-09-25T13:09:02.351+05:302021-09-25T13:09:02.351+05:30
दिल से शुक्रिया भारती जी,आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया...<br />दिल से शुक्रिया भारती जी,आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं नमन Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-48719781444092146912021-09-24T21:13:50.167+05:302021-09-24T21:13:50.167+05:30आपने बहुत सुंदर आलेख लिखा है
हमारे सुंदर कर्मों से...आपने बहुत सुंदर आलेख लिखा है<br />हमारे सुंदर कर्मों से ही पितृगण खुश होते हैंBharti Dashttps://www.blogger.com/profile/04896714022745650542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-73654215856201802212020-09-08T20:42:56.517+05:302020-09-08T20:42:56.517+05:30 सहृदय धन्यवाद अनीता जी,बिलकुल सही कहा आपने -श्रद्... सहृदय धन्यवाद अनीता जी,बिलकुल सही कहा आपने -श्रद्धा का दूसरा नाम ही तो श्राद्ध है ,इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभार Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-88851798348571636292020-09-08T20:41:29.884+05:302020-09-08T20:41:29.884+05:30"हमारा वश चले तो हम उन्हें पकड़कर रख लें।&quo..."हमारा वश चले तो हम उन्हें पकड़कर रख लें।" हाँ,चाहत तो यही होती है मगर संभव तो नहीं हो सकता न। सहृदय धन्यवाद सुजाता जी,इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभार Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-51790816886575847792020-09-08T10:21:30.615+05:302020-09-08T10:21:30.615+05:30श्राद्ध कहते ही उन्हीं कर्मों को हैं जो हम अपने पू...श्राद्ध कहते ही उन्हीं कर्मों को हैं जो हम अपने पूर्वजों की स्मृति में श्रद्धा पूर्वक करते हैं, आपने अत्यंत सुंदर शब्दों में श्राद्ध के महत्व को दर्शाते हुए उसके हर पहलू पर अपने विचार रखे हैं. Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-54805170726401719612020-09-08T05:25:21.725+05:302020-09-08T05:25:21.725+05:30बहुत ही सुंदर और सार्थक लेख प्रिय कामिनी जी।आत्मा ...बहुत ही सुंदर और सार्थक लेख प्रिय कामिनी जी।आत्मा का आना-जाना होना सभी कुछ होता है।पर प्रत्यक्ष रूप में हमारे पास नहीं होने से दुःख होता है।खासकर समय से पूर्व जाने वाले के लिए। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि हमारा वश चले तो हम उन्हें पकड़कर रख लें।SUJATA PRIYEhttps://www.blogger.com/profile/04317190675625593228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-90370967827136556482019-09-22T21:05:57.784+05:302019-09-22T21:05:57.784+05:30ज्योति जी आपके ब्लॉग का लिंक खुल नहीं रहा हैं शायद...ज्योति जी आपके ब्लॉग का लिंक खुल नहीं रहा हैं शायद कुछ त्रुटि हैं। Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-45709333890056084892019-09-22T20:39:45.188+05:302019-09-22T20:39:45.188+05:30सहृदय धन्यवाद सखी ,अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने के ...सहृदय धन्यवाद सखी ,अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने के लिए आभार Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-79495238361140666722019-09-22T20:38:02.067+05:302019-09-22T20:38:02.067+05:30"हम जीते-जी अपने आत्मीय परिजनों को मान-सम्मान..."हम जीते-जी अपने आत्मीय परिजनों को मान-सम्मान दे पाये अपने कर्मों के द्वारा उनका मन न दुखाये तो इसी जीवन में स्वार्गिक सुख देकर हम अपने प्रिय सभी आत्माओं को सशरीर तृप्त कर सकते है।"<br />श्वेता जी ,ये बात अपने बिलकुल सही कहा। इस लेख पर सभी की प्रतिक्रिया से यही स्पष्ट हो रहा हैं कि सब के दृष्टिकोण में वैज्ञानिकता समाहित हैं बस अभी तक हम रूरीवादिता को तोड़ने का साहस नहीं कर पा रहे हैं। आपके विचार बहुत ही उत्तम हैं।मैंने तो अपने लेख में सिर्फ अपनी भावनाएं वयक्त की हैं। मेरे लेख पर इतनी अच्छी प्रतिक्रिया देने के लिए सहृदय धन्यवाद Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-302932911785212452019-09-22T20:23:41.670+05:302019-09-22T20:23:41.670+05:30प्रिये रेणु ,तुम्हारी स्नेहभरी दुआऐ मेरे आत्मबल क...प्रिये रेणु ,तुम्हारी स्नेहभरी दुआऐ मेरे आत्मबल को दृढ़ता प्रदान कर रही हैं ,हां,सखी मुश्किल वचन लिया हैं मैंने ,मेरे बहन के बच्चे मुझे माँ तुल्य मानते हैं और मेरे मुँख से निकला हर शब्द उनके लिए मार्गदर्शन हैं ,तो मेरी जिम्मेदारी बहुत बढ़ गई हैं ,मेरी भी यही प्रार्थना हैं ईश्वर मुझे शक्ति दे। और आखिर में जाने वालो के याद में जो तुमने दो पक्तियां लिखी हैं उसने तो भावविभोर कर दिया ,सहृदय धन्यवाद सखी Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-78948348864613374532019-09-22T16:37:59.535+05:302019-09-22T16:37:59.535+05:30जाने चले जाते हैं कहाँ ,
दुनिया से जाने वाले,
जान...जाने चले जाते हैं कहाँ ,<br />दुनिया से जाने वाले, <br />जाने चले जाते हैं कहाँ कैसे ढूढ़े कोई उनको ,<br />नहीं क़दमों के निशां । सही कहा सखी श्राद्ध हमे याद दिलाने आते हैं कि -इस दुनिया में तुम्हारा आना जाना लगा रहेगा और तुम्हारे कर्म ही तुम्हारे सच्चे साथी हैं। और कुछ नहीं.. हमारे जो अपने जो हमें छोड़कर चले गए हैं उनका अहसास तो सदा हमें उनकी याद दिलाता रहता है। हमारे साथ आशीर्वाद के रूप में रहता है।आपके भाई तुल्य बहनोई को आपकी सच्ची श्रद्धांजलि है। बेहद हृदयस्पर्शी प्रस्तुतिAnuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-54326560824689283112019-09-22T06:33:59.878+05:302019-09-22T06:33:59.878+05:30जी कामिनी जी,
इहलोक परलोक के रहस्यों की गुत्थियों ...जी कामिनी जी,<br />इहलोक परलोक के रहस्यों की गुत्थियों को सुलझाने में कौन सक्षम है भला?<br />सृष्टि में मानव जीवन सबसे बहुमूल्य उपहार है ऐसा प्रतीत होता है जीवन मरण अलिखित है कब किसे आना है और जग छोड़कर कब किसे जाना यह किसी को नहीं पता।<br />जग में रिश्ते-नाते भावनाओं और माया के वशीभूत होते है।<br />हमारे कर्मकांडों में आडंबर की अधिकता है,बिना सोचे-समझे अंधपरंपराओं का आँखें मूँदे हम निर्वाहन करते है और विरोध करने पर या बदलाव की माँग पर तिरस्कृत किये जाते हैं।<br />सच कहे तो हम हमेशा से यही सोचते रहे जो चले जाते है हमारे बीच से उनतक हमारी अनुभूतियाँ शायद पहुँच भी जाये पर पिंड दान के नाम पर किया जाने वाला कर्म दान पहुँच पाना नामुमकिन है।<br />हम जीते-जी अपने आत्मीय परिजनों को मान-सम्मान दे पाये अपने कर्मों के द्वारा उनका मन न दुखाये तो इसी जीवन में स्वार्गिक सुख देकर हम अपने प्रिय सभी आत्माओं को सशरीर तृप्त कर सकते है। <br />मुझे श्राद्ध जैसे आडंबरयुक्त कर्मकांड में विश्वास नहीं।<br />क्षमा चाहेंगे अगर कुछ अनुचित लिख दिये हो तो।<br />आपका यह लेख भाव और विचारों का सुंदर मिश्रण है।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-56724244213045515262019-09-21T23:47:10.304+05:302019-09-21T23:47:10.304+05:30प्रिय कुसुम बहन -- आपके विचारों और शेयर किये गये...प्रिय कुसुम बहन -- आपके विचारों और शेयर किये गये इस ज्ञानवर्धक लेख से बहुत कुछ जाना | आपकी ये टिप्पणी अनमोल है | आपका बहुत बहुत आभार इन संवेदनशील और ज्ञानवर्धक उद्गारों के लिए जो आपके उदात्त और निष्कलुष व्यक्तित्व का दर्पण हैं | रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-20973747151169706742019-09-21T23:43:36.260+05:302019-09-21T23:43:36.260+05:30प्रिय कामिनी , तुम्हारे लेख को मैंने कल ही पढ़ लिया...प्रिय कामिनी , तुम्हारे लेख को मैंने कल ही पढ़ लिया था पर भावनाओं से भरे लेख पर लिखने के लिए मैं बहुत चिंतन करती रही | श्राद्ध को बहुत ही अलग नजरिये से देखती तुम्हारी दृष्टि का दर्पण है ये लेख | सब की तरह मुझे भी नहीं पता जीवन के उस पार जाने वाले कहाँ जा बसते हैं पर उनकी यादों से भाव विहल स्वजन किस दर्द से गुजरते हैं यह वो जानते हैं जो भुक्तभोगी हैं अथवा ईश्वर | असमय काल में समाए वाले व्यक्ति के साथ उसके परिजनों के अनेक सपने भी ध्वस्त हो जाते हैं | मैं जानती हूँ तुम कितनी व्याकुल थी जब तुम्हे अपने भाई तुल्य बहनोई की लाइलाज बिमारी के बारे में पता चला | अपनी सरल मासूम बहन के लिए तुम्हारी व्यथा का अंत नहीं था , पर नियति के फैसले इन्सान कभी मोड़ नहीं पाया है | वे हर हाल में मानने ही पड़ते हैं | फिर भी दिवंगत के अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है | और किसी भी औपचारिक क्रिया - कलाप से कहीं श्रेष्ठ है | मुझे पता है तुम ये सब बहुत ही बेहतरीन ढंग से अपनी बहन के साथ चट्टान की तरह खड़े होकर मजबूत सहारा बनोगी | भले श्राद्धों पर अनगिन मत दिए गये , पर अगर सहजता से कहें तो ये अपनों को श्रद्धा से स्मरण करने का मात्र बहाना है | हम उन लोगों के लिए अपना स्नेह और सम्मान प्रकट करते हैं जो हमारे लिए जीते जी बहुत कुछ करते रहे और विरासत में हमें बहुत कुछ सौंप कर गये | तुम अपने संकल्प को भली भांति पूरा करो यही दुआ है | ईश्वर तुम्हें तन -मन की अदम्य शक्ति प्रदान करे | <br /><br /> दुनिया से जाने वालों के नाम --<br /><br /> लाख बहाए हमने आंसूं -- ना लौटे वो जाने वाले -<br /> जाने कहाँ बसाई बस्ती -- तोड़ निकल गये मन के शिवाले !!!!! रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3326747471989254320.post-26363997999493533012019-09-21T23:42:15.036+05:302019-09-21T23:42:15.036+05:30प्रिय ज्योति बहन , बहुत दुःख हुआ जानकर | उससे भ...प्रिय ज्योति बहन , बहुत दुःख हुआ जानकर | उससे भी ज्यादा इसलिए कि मुझे पता नहीं चल पाया | मैं भी जरुर आऊंगी आपके ब्लॉग पर | स्नेहिल पिता को खोना जीवन की अपूर्णीय क्षति है | रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.com