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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

"बैठ झरोखे सोच रही हूँ----"

मेरी पहली कविता, एक तुच्छ प्रयास 

(जानती हूँ गलतियाँ बहुत हुई होगी,यकीन करती हूँ कि-आप सब के सानिध्य में सीख भी जाऊँगी )

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बैठ झरोखे सोच रही हूँ 

क्यूँ,पतझड़ के दिन आते हैं

         हर वर्ष बसंत आकर             

क्या, जीवन-पाठ  पढ़ाते हैं  

परिवर्तन है सत्य सृष्टि का 

याद दिलाकर जाते हैं 

रंग बदलते शाखों के पत्ते 

धीरे-धीरे मुरझाते हैं 

तोड़कर बंधन 

अपनी शाखों से 

फिर धरा पर गिर जाते हैं 

 सूनी डाली हो जाती है 

दर्द लिए  बिछड़न का 

बैठी-बैठी मैं देखूं 

ढंग भी ये कुदरत का  

अगली सुबह 

अब उसी शाख पर 

नई सृजन देख रही हूँ 

छोटी-छोटी कोमल पत्तियां  

नन्हे शिशु के कोमल तन सा 

जन्म देकर नई रचना को 

 प्रकृति हमें समझाती है 

जन्म-मरण तो लगा रहेगा 

जीवन आनी-जानी है 

चंचल शैशव धीर-धीरे 

यौवन को छूता जाएगा  

यौवन खुद के रूप पर 

इठलाता नजर आएगा

लेकिन एक समय के बाद  

बुढ़ापा भी आएगा  

सत्य-सनातन है मृत्यु तो  

हे मानव ! इससे तू 

कब तक भाग पायेगा 

********************

चित्र-स्वयं के कैमरे से 

69 टिप्‍पणियां:


  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 19-02-2021) को
    "कुनकुनी सी धूप ने भी बात अब मन की कही है।" (चर्चा अंक- 3982)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

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    1. आपकी पहली कविता के लिए बधाई कामिनी जी🌹
      गद्य विधा की तरह पद्य में भी भावों की सरिता निर्बाध गति से बहा करेगी जिसका आनंद हम सब उठाया करेंगे । हार्दिक शुभकामनाएं🌹

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    2. मेरी इस तुक्ष्छ सी रचना का चयन करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया मीना जी,ये सब आप सभी के सानिध्य का असर है वरना मुझमे कहा इतना सामर्थ,आप सभी का स्नेह यूँ ही बना रहें यही कामना करती हूँ,सादर नमन आपको

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  2. प्रिय कामिनी जी,पहला प्रयास सदैव विशेष होता है।
    बेहद पवित्र,मासूम बच्चे की अनगढ़ कृति की तरह।
    जीवन की अनबुझ पहेलियों का उत्तर की उत्सुकता में दार्शनिकता का भाव लिए सुंदर सृजन।
    बहुत बहुत बधाई और आने वाली रचनाओं के लिए मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें।

    सस्नेह।
    सादर।

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    1. "पहला प्रयास सदैव विशेष होता है।"ये बात तो आपने बिलकुल सही कही श्वेता जी,
      आपकी उत्साहवर्धन करती ये प्रतिक्रिया मेरे लिए अनमोल है,
      आप सभी का स्नेह और साथ यूँ ही बना रहें यही कामना करती हूँ,सादर नमन आपको

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  3. वाह!बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन दी।
    सादर

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    1. प्रिय अनीता,तुम्हारी सराहना से भरी प्रतिक्रिया पाकर बेहद ख़ुशी हुई,तुम सभी का साथ पाकर ही ये हौसला कर पाई हूँ,ढेर सारा स्नेह तुम्हे

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  4. अच्छी शुरुआत है ... गलतियां आती हैं सोचे नहीं ... निरंतरता स्वयं सुधार लाती है ...
    लिखते रहे आप ...

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    1. उत्साहवर्धन करती आपकी ये प्रतिक्रिया अनमोल है मेरे लिए आप सभी के सानिध्य में धीरे-धीरे सीख ही जाऊँगी ऐसी कामना करती हूँ,सादर नमन आपको

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  5. यथार्थपरक काव्य रचना । केवल पढ़ने ही नहीं, गुनने योग्य ।

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    1. मेरी इस तुक्ष्छ प्रयास को इतना मान दे ने के लिए हृदयतल से आभार आपका,सादर नमन

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  6. सत्य-सनातन है मृत्यु तो

    हे मानव ! इससे तू

    कब तक भाग पायेगा
    बहुत सुंदर और सार्थक सृजन सखी 👌👌

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    1. सरहनासम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद सखी ,सादर नमन

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    1. आपके आशीर्वचनों के लिए हृदयतल से धन्यवाद सर ,सादर नमन

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  8. बहुत ही सुंदर रचना साथ ही प्यारी भी, नमन बधाई हो आपको

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    1. सराहना के लिए हृदयतल से धन्यवाद ज्योति जी ,सादर नमन

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  9. प्रिय कामिनी, निशब्द हूँ आज!!! तुम्हारी ये रचना मेरे लिए विस्मय और आहलाद दोनों का विषय है। अभी चार दिन पहले की मेरी बात इतनी जल्दी सच हो जायेगी, सोचा न था। सच कहूँ तो तुम्हारे भीतर काव्यात्मक प्रतिभा पहले से ही मौजूद थी ,जिसकी झलक तुम्हारे कई लेखों में दिखती थी, पर तुम इसे पहचान नहीं पा रही थी। जीवन के सार की बहुत ही महीनता से अनुभूति करवाती भावपूर्ण रचना के लिए बधाई सखी. ये यात्रा अनंत हो। खूब गीत लिखो, ग़ज़ल लिखो -- और ऐसा लिखो जिसे पाठक स्व अनुभूति की तरह अनुभव करें। तुम्हारी ये रचना अनमोल रहेगी मेरे लिए। प्रथम प्रयास के ढेरों बधाईयाँ और शुभकामनाएँ तुम्हें। ❤❤🌹🌹

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    1. तुम्हारे कहे एक-एक शब्द अनमोल है मेरे लिए सखी,सच कहूं तो मैंने भी कभी नहीं सोचा था कि-मैं कुछ लिख भी पाऊँगी
      यहाँ मुझे एक गीत के बोल याद आ रही है
      "मैं शायर तो नहीं ,मगर ये हसीं....." बस यही कहना चाहूँगी कि-ये संग का रंग है।
      तुम सभी के सानिध्य का असर है,परमात्मा आप सभी का साथ हमेशा बनाए रखें यही कामना करती हूँ। ढेर सारा स्नेह सखी

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  10. सुंदर भावपूर्ण सृजन, प्रथम काव्य सृजन बहुत सुंदर हृदय स्पर्शी, आध्यात्म की झलक, जीवन के शाश्र्वतता को इंगित करते सुंदर उद्गाय।
    लिखते रहिये कामिनी जी अब गद्य के साथ आपका काव्य भी साहित्य जगत में निर्बाध बहता रहे , हार्दिक शुभकामनाएं।
    सुंदर प्रस्तुति।

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    1. मेरी इस तुक्ष्छ प्रयास को इतना मान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी ,आपका आशीर्वाद यूँ ही बना रहें यही कामना करती हूँ,सादर नमन

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  11. बहुत बहुत सुन्दर । यह आपकी पहली जैसी रचना बिलकुल नहीं लगती । इसमें सुन्दर शब्दों का चयन भावों की मधुरता , गति प्रवाह सब कुछ विद्यमान है । बहुत बहुत बधाई हार्दिक शुभकामनाएं ।

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    1. हृदयतल से धन्यवाद सर,आपकी प्रशंसा मेरे लिए पारितोषिक स्वरूप है,आपका आशीर्वाद यूँ ही बना रहें यही कामना करती हूँ,सादर नमन

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  12. पहली कविता की बहुत बहुत बधा एवं शुभकामानाएं, कामिनी दी।

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    1. सरहनासम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद ज्योति जी,सादर नमन

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  13. काव्य स्वयं स्वागत कर रहा है । तनिक बांहों को तो फैला कर देखिए ।

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    1. हृदयतल से धन्यवाद अमृता जी,आप सब के सानिध्य में बाहें फैलाने का हौसला शायद कर सकती हूँ,इतनी प्यारी प्रतिक्रिया देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया सादर नमन

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  14. मेरी इस तुक्ष्छ सी रचना का "पाँच लिंको के आनंद" स्थान पाना मेरे लिए बहुत ही सुखद अनुभूति है, आपका तहे दिल से शुक्रिया श्वेता जी

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  15. अब उसी शाख पर
    नई सृजन देख रही हूँ
    छोटी-छोटी कोमल पत्तियां
    नन्हे शिशु के कोमल तन सा
    जन्म देकर नई रचना को
    प्रकृति हमें समझाती है

    बहुत सुंदर रचना...
    कामिनी जी, आपकी यह प्रथम कविता आपके विस्तृत काव्य जगत का विश्वसनीय आह्वान है...
    स्वागत है आपकी काव्य रचनाओं का 🌹🙏🌹

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    1. हृदयतल से धन्यवाद वर्षा जी,आपके ये शब्द मेरे मनोबल को बढ़ाने में पूर्णतः सहायक होंगे,विश्वास है मुझे,आप सभी का सानिध्य यूँ ही बना रहें,सादर नमन आपको

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  16. प्रिय कामिनी जी,आपकी प्यारी,मासूम एवं कोमल सी रचना मन को छू गई..आपने प्रकृति के समसामयिक स्वरूप को गहराई से महसूस किया और आपकी लेखनी प्रकृति, अध्यात्म और जीवन दर्शन का सुन्दर सृजन कर गई..हाँ आपका ये प्रयास बहुमूल्य है..तुच्छ नहीं..माँ सरस्वती आपकी लेखनी को गति प्रदान करती रहें मेरी यही शुभकामनायें हैं..सादर जिज्ञासा सिंह..

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    1. प्रिय जिज्ञासा जी,मेरा प्रथम प्रयास आपके मन तक पहुँचने में सफल रहा ये जानकर मैं कितनी ख़ुशी हुई ये बता नहीं सकती।प्रशंसा से भरे आपके शब्द मेरा उत्साहवर्धन कर रही है। तहे दिल से शुक्रिया आपका,सादर नमन

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  17. उत्तर
    1. आदरणीय सविता जी,मेरे ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति ही मेरा सौभाग्य है,सादर नमन

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  18. लेकिन एक समय के बाद

    बुढ़ापा भी आएगा

    सत्य-सनातन है मृत्यु तो

    हे मानव ! इससे तू

    कब तक भाग पायेगा ',,,,,,,, बहुत सुंदर रचना आपने बहुत सुंदर तरीक़े से शुरुआत और अंत को पिरोया है,ऐसे ही लिखते रहियेगा,आशा है जल्द ही नई रचना से रूबरू हो स्नेह व शुभकामनाएँ ।

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    1. तहे दिल से शुक्रिया मधूलिका जी,दिल से स्वागत है आपका
      प्रशंसा से भरे आपके शब्द मेरा उत्साहवर्धन कर रही है,सादर नमन

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  19. उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद दीपक जी,दिल से स्वागत है आपका

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  20. चलिए, ऋतुराज बसंत में नव पल्लव फूटे! ये मौसम बना रहे। प्रिय कामिनी, यदि पहली रचना ऐसी सुंदर है तो आगे आगे देखिए होता है क्या !
    बधाई सखी। देर से लिख पाई, एक खास कार्य में व्यस्त थी। क्षमा चाहती हूँ। आपकी और भी कविताओं का इंतजार है।

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    1. तहे दिल से शुक्रिया मीना जी,आप देर आए या सवेर आए आपका आना ही मेरे लिए महत्वपूर्ण है।
      आप सभी सखियों का सानिध्य पाकर ही तो यहाँ तक का सफर तय कर पाई हूँ
      प्रशंसा से भरे आपके एक-एक शब्द ही तो मेरा उत्साहवर्धन करती रही है,सादर नमन

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  21. आपको आपकी पहली कविता की शुभकामनाएँ। इस पर मिली प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है आपका प्रयास अत्यधिक सफल रहा है। आपका सृजन अनमोल है। आपने अपनी पहली कविता को यादगार बना लिया है। आपको अनंत बधाईयाँ। सादर

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    1. सहृदय धन्यवाद वीरेंद्र जी,आपकी शुभकामनाओं के लिए हृदयतल से आभार एवं सादर नमन

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  22. बहुत सुन्दर कविता कामिनी जी . ऋतुओं के चक्र और जीवन के अद्भुत साम्य को आपने बखूबी व्यक्त किया है

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    1. सहृदय धन्यवाद आदरणीय गिरिजा जी,आपकी प्रतिक्रिया पाकर लेखन को सार्थकता मिली। सादर नमन आपको

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  23. और यह पहली कविता है यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ . पहली रचना इतनी परिपक्व है तो आगे की रचनाएं तो अनुपम होंगी ही

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    1. आपका आशीष बना रहें और आपकी उमींदों पर मैं खड़ी उतरु। सादर नमन आपको

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  24. जीवन धारा को समझ लिया और प्रश्न भी किए..उत्तर भी दिए..फिर भी निम्न कहना बड़प्पन है आपका..ईश्वर से प्रार्थना है कि आपकी हर रचना कलजयी हो जाए..सादर प्रणाम

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    1. इतनी सुंदर और स्नेहिल प्रतिक्रिया देने के लिए हृदयतल से आभार अर्पिता जी

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  25. बच्चा लड़खड़ाते हुए धीरे-धीरे कदम आगे बढ़ता है और फिर निरंतर अभ्यास से एक दिन सरपट दौड़ लगाने लगता है
    जो भी लिखो बस अपने दिल की लिखते चलो,

    बहुत सुन्दर

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    1. सहृदय धन्यवाद कविता जी,आपकी प्रतिक्रिया मेरा मनोबल बढ़ाने में सहायक है,सादर नमन

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  26. क्या सचमुच यह आपकी पहली कविता है प्रिय कामिनी जी? Amazing....

    इतनी मंजी हुई अभिव्यक्ति कि लगता है जैसे आप दशकों से कविता सृजन में संलग्न हों। साधुवाद 🙏

    ढेर सारी स्नेहिल शुभकामनाएं आपको, आपके सृजन को.... सदा ख़ुश रहें और नित नव साहित्य का सृजन करती रहें...
    सस्नेह,
    डॉ. वर्षा सिंह

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    1. हाँ,सचमुच ये मेरी पहली कविता है और इसमें जो कुछ भी दिख रहा है वो यकीनन आप सभी बुद्विजीवियों और साहित्य प्रेमियों के संगत का ही असर है। आप की इस स्नेहिल प्रतिक्रिया और शुभकामना के लिए तहे दिल से शुक्रिया वर्षा जी,सादर नमस्कार

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  27. प्रिय कामिनी जी, मेरे ब्लॉग
    साहित्य वर्षा ब्लॉग
    पर भी आपका स्वागत है।

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    1. मैं जरूर आऊँगी,ये मेरा सौभाग्य होगा वर्षा जी,सादर नमस्कार

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  28. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  29. पहली कविता सुंदर तरीक़े से शुरुआत कोमल सी रचना मन को छू गई...लिखते रहिये कामिनी जी

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  30. पहली कविता की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं सखी! तुच्छ नही बहुत ही उच्च काव्य सृजन है आपका...।बिल्कुल आपके आलेखों जैसा...।माँ सरस्वती की अनुकम्पा आप पर हमेशा यूँ ही बनी रहे...अनंत शुभकामनाएं।

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    1. दिल से शुक्रिया सुधा जी,आपका आशीर्वाद पाकर धन्य हुई,मेरा लिखना सार्थक हुआ,सादर नमन आपको

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