मंगलवार, 16 जुलाई 2019

गुरु वंदना

गुरुपर्व के पावन अवसर पर " गायत्री परिवार "द्वारा रचित एक हृदयस्पर्शी गुरु वंदना आप सब के साथ साझा कर रही हूँ जो मेरे पापा को अत्यंत प्रिये था और वो इसे हर वक़्त गुनगुनाया करते रहते थे और कहते थे इससे मुझे गुरु की शक्ति मिलती हैं। 

गुरु वो हाथ है जो मुश्किल घडी में भी हमें थामे रखता है 



गुरुवर  तुम्ही बता दो,किसके शरण में जायें     
किसके चरण में गिरकर ,मन की व्यथा सुनायें  
गुरुवर तुम्ही बता दो-----

 अज्ञान के तिमिर ने चारो तरफ से घेरा
क्या रात है प्रलय की ,होगा नहीं सवेरा 
क्या होगा नहीं सवेरा ---
पथ और प्रकाश दो तो ,चलने की शक्ति पायें  
गुरुवर तुम्ही बता दो -------

जीवन के देवता का ,करते रहे निरादर 
कैसे करे समर्पित ,जीवन की जीर्ण चादर  
जीवन की जीर्ण चादर -----
यह पाप की गठरियाँ ,क्या खोलकर दिखायें  
गुरुवर तुम्ही बता दो-----

माना कपूत है हम, क्या रुष्ट रह सकोगें  
मुस्कान ,प्यार, अमृत ,क्या दे नहीं सकोगें  
क्या दे नहीं सकोगें-------
दाता तुम्हारे दर से ,जायें तो कहाँ जायें  
गुरुवर तुम्ही बता दो -------
दाता तुम्ही बता दो --------


सच,है गुरु बिन ज्ञान नहीं होता और आज के युग में गुरु का ही आभाव है। 
मेरा मानना है कि - गुरु सिर्फ वही नहीं है जो संत-महात्मा ही हो 
यदि एक बच्चा भी आपको कोई ज्ञान दे जाता है तो उस पल वही आप का गुरु है 
गुरु अर्थात ज्ञान---
गुरुपर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ,आप सब पर गुरु की कृपा बनी रहें .... 






26 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सही कहा आपने ,आज सच्चे गुरु के आभाव में ही तो हम पथ से भर्मित हो चुके हैं ,सादर नमस्कार

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  2. कामिनी जी स्कूल में यह कंठस्थ था और आज भी नहीं भूले है सस्वर तब तब गाते रहते हैं...आपने इसे साझा करके मेरी स्कूल की सारी स्मृतियाँ जीवित कर दी।
    हृदय से अति आभार आपका...बहुत शुक्रिया दिल से।
    गुरू पर्व की हार्दिक शुभेच्छा मेरी भी स्वीकार करिये।

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    1. सहृदय आभार श्वेता जी ,वक़्त आभाव और कुछ पारिवारिक मुस्किलो के कारण गुरु को कुछ और समर्पित तो नहीं कर पाए तो सोची आप सब के साथ उनकी वंदना ही कर ले। आप की भी बचपन की यादे इससे जुडी हैं ये जान बहुत ख़ुशी हुई ,हम तो आज भी मुश्किल घडी में इसी प्रार्थना का सहारा लेते हैं ,सादर स्नेह

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  3. बहुत सुंदर गुरु वंदना। फिर याद दिला दी कातर भाव से कोई गाता है तो लगता है स्वयं ब्रह्मा जी उपस्थित हो आस-पास।
    अप्रतिम पोस्ट कामिनी जी ।

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    1. सहृदय आभार कुसुम जी ,मेरे पापा तो इससे गाते गाते आंसुओ से भीग जाते थे ,ये मेरे पापा की यादें भी हैं। सादर नमस्कार

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  4. जीवन कथा कहती हुई .....आध्यात्मक अनुभूति से भरी अनुपम रचना कामिनी जी

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    1. सहृदय आभार संजय जी ,सही कहा आपने जीवन के सारे रहस्य छिपे हैं इसमें ,आपको अच्छा लगा ये जान कर ख़ुशी हुई ,सादर स्नेह

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  5. बहुत खूबसूरत गुरू वंदना 🙏प्रिय सखी ।

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  6. बहुत ही भावपूर्ण गुरु वंदना,कामिनी दी।

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  7. बहुत सुन्दर और श्रद्धा से ओतप्रोत सृजन । आपका लिखा पढ़ने की हार्दिक इच्छा है । बहुत दिनों से आपकी सृजनात्मकता के दर्शन नही हुए ।

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    1. सहृदय धन्यवाद मीना जी ,मेरा सौभाग्य कि आपने मुझे इतना मान दिया। बीते दो महीने बड़ा ही कठिन गुजरा हैं मेरे जीवन में सो मेरी कलम ठहर सी गई हैं लेकिन फिर से कोशिश में लगी हूँ। आप सब का स्नेह रहा तो जल्द ही शुरुआत कर पाऊँगी ,सादर

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  8. गुरुवर तुम्ही बता दो----- सुन्दर शब्द वंदन !

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  9. अज्ञान के तिमिर ने चारो तरफ से घेरा
    क्या रात है प्रलय की ,होगा नहीं सवेरा
    आजकल तो यही कह रहा है मन...कब भगवान स्वयं आकर इस अंधकार से मुक्ति दिलायेंगे..
    बहुत सुन्दर भक्ति पूर्ण सृजन

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  10. सुन्दर रचना।

    अज्ञानता का तिमिर लिखें ....

    👍

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    1. सहृदय धन्यवाद पुरूषोत्तम जी, अशुद्धि की ओर ध्यान दिलाने के लिए,सादर नमस्कार

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  11. गुरु की महिमा अपार है। इतनी सुंदर गुरु वंदना का आभार। हम सब पर गुरु कृपा बनी रहे।

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kaminisinha1971@gmail.com

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